सात मई (अक्षय तृतीया) से शुरू हो जायेगा तीर्थ स्थलों के खुलने का सिलसिला

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  • मंगलवार (कल) खुलेंगे गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट 
  • गंगा की डोली का परम्परागत यात्रा मार्ग है बदहाल
  • 25 क्विंटल फूलों से  गंगोत्री मंदिर परिसर की होगी सजावट

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। तीर्थ पुरोहितों के गांव मुखबा में मां गंगा की गंगोत्री धाम के लिए विदाई हो चुकी है। सोमवार को गंगा माता की उत्सव डोली को गाजे बाजों के साथ रवाना किया गया। दोपहर ठीक 12.15 बजे अमृत बेला पर एक बजे गंगा की डोली मंदिर से बाहर निकाली गई। 12.35 बजे 2वीं महार रेजिमेंट के आर्मी बैंड तथा ढोल-रणसिंगों की अगुआई में गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई। यात्रा में स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश के श्रद्धालु भी शामिल हुए। मुखवा से गंगा की डोली को स्थानीय महिलाएं व अन्य लोगों ने परंपरानुसार विदा किया।

वहीं मुखवा गांव के पास ही भागीरथी के तट पर मार्कंडेय पुरी में कुछ देर विश्राम के बाद डोली यात्रा प्राचीन पैदल मार्ग से जांगला होते हुए भैरोंघाटी पहुंचेगी। यहां सोमवार रात्रि विश्राम के दौरान पूरी रात भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाएगा।

सात मई (मंगलवार) को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगोत्री मंदिर के कपाट खोलकर गंगा जी की भोग मूर्ति को वहां प्रतिष्ठापित किया जाएगा। वहीं इस अवसर पर लोकगायक वगंगोत्री मंदिर के पुजारी रजनीकांत सेमवाल ने”जलसा” नाम से मुखवा से गंगोत्री धाम तक की यात्रा पर एक भजन गीत यू-ट्यूब पर डाला है,जिसे लोग खूब देख रहे हैं।

गौरतलब हो कि परम्परागत रूप से हर साल अन्नकूट के पावन पर्व पर गंगोत्री धाम के कपाट बंद कर मां गंगा की भोग मूर्ति को तीर्थ पुरोहितों के गांव मुखबा स्थित मंदिर में रखा जाता है। शीतकाल में यहीं पर माँ गंगा जी के दर्शन और पूजा-अर्चना की जाती है। 

सोमवार को मुखवा में बेटी की विदाई का सा दृश्य था जहाँ कपाट बंद होने के बाद और देशाटन से लौटने के बाद गांव लौटे तीर्थ पुरोहित परिवार माँ गंगा के लिए बेटियों की तरह कलेवा देने के लिए पकवान तैयार कर रहे थे । वहीं पूजा अर्चना के बाद मां गंगा की उत्सव मूर्ति को  गंगोत्री धाम के लिए विदा किया गया।

गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल एवं सचिव दीपक सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को सुबह डोली यात्रा भैरोंघाटी से चलकर गंगोत्री धाम पहुंचेगी और यहां शुभ मुहूर्त में पूर्वाह्न 11:30 बजे गंगोत्री मंदिर के कपाट खोलकर गंगा जी की भोग मूर्ति को प्रतिष्ठापित किया जाएगा। इस मौके पर मौजूद श्रद्धालु मंदिर के भीतर जल रही अखंड ज्योति के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त कर पाएंगे 

मुखवा से गंगा जी की डोली यात्रा को मुखबा से जांगला तक जोखिम भरा पैदल रास्ता तय कर जाना पड़ेगा। यह कहना है मंदिर के पुजारी और लोकगायक रजनीकांत सेमवाल का। उन्होंने बताया इस साल सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण भारी हिमस्खलन से यह माई कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त पड़ा है। उन्होंने बताया गुमगुम नाले पर बनी पुलिया जर्जर होकर हादसे को न्योता दे रही है। इस पैदल पुलिया से एक बार में एक व्यक्ति ही पार हो सकता है। ऐसे में गंगा जी की डोली को ले जाने में तीर्थ पुरोहितों का खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा ।

वहीं गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया कि मुखबा से जांगला तक गंगा के बायीं तरफ सड़क स्वीकृत हुई थी, लेकिन जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के चलते यह मार्ग अभी भी नहीं बन पाया है जबकि गंगा की डोली को भैरोंघाटी तक ले जाने का यही परम्परागत एक मात्र मार्ग है।

वहीं गंगोत्री मंदिर समिति के सहसचिव राजेश सेमवाल ने बताया कि इस बार गंगोत्री मंदिर को भव्य रूप से सजाया जा रहा है। मंदिर को सजाने के लिए 25 क्विंटल फूल मंगाए गए हैं। गंगोत्री मंदिर के साथ ही धाम में मौजूद तमाम मठ, मंदिर, धर्मशाला एवं आश्रमों के साथ ही व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी सजाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धाम में इस बार पिछले साल की तरह दूरसंचार सेवाएं बुरी तरह बदहाल पड़ी हैं।