ब्रह्मलीन हुए टपकेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य महंत माया गिरी

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  • महंत की मृत्यु पर भक्तों का रो-रोकर हुआ बुरा हाल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : दून घाटी के प्रसिद्ध श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर के 95 वर्षीय श्री महंत 108 माया गिरी महाराज रविवार दोपहर लगभग 12 बजे पल्टन बाजार स्थित जंगम शिवालय मंदिर आश्रम में अंतिम सांस ली। 

एक जानकारी के अनुसार दो साल पहले महाराज के चोट लगने से वह अक्सर बीमार रहते थे। पिछले एक महीने पहले ही महाराज अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे। महाराज की मृत्यु की खबर मिलने के बाद से ही उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन को पाने को उनके अनुयायियों का तांता लगा रहा।

जिसके बाद शाम चार बजे से आश्रम से शव यात्रा निकाल उन्हें टपकेश्वर मंदिर परिसर में भू-समाधि दी गई। वहीं महाराज के स्वर्गवास के बाद से अब महानिर्वाणी अखाड़ा के उत्तराधिकारी कृष्ण गिरी महाराज हो गए हैं। 

ब्रह्मलीन माया गिरी महाराज मूल रूप से मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के रहने वाले थे। उनका जन्म वर्ष 1923 में हुआ था। 1940 में वह साधु बने थे। वह वर्ष 1942 में दून आए और वर्ष 1976 में महंत नारायण गिरी के स्वर्गवास के बाद टपकेश्वर मंदिर के महंत बने।
इस दौरान वे श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महंत और सचिव पदों पर भी रहे। साथ ही महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश अखाड़ों के इंचार्ज रहे। उनके शिष्य कृष्ण गिरी महाराज ने बताया कि महाराज बेहद विनम्र और सरल स्वभाव के थे। उन्होंने गो सेवा के साथ ही कई सामाजिक सेवाओं के लिए कार्य किए।टपकेश्वर मंदिर में उनके अनुयाइयों से बताया कि दो वर्ष पहले उनके कूल्हे की चोट लगने के बाद से वह बीमार चल रहे थे। अभी एक माह पहले भी लीवर के इंफेक्शन के चलते वह बल्लूपुर स्थित अस्पताल में भर्ती रहे। उन्होंने कहा कि महाराज के जाने से बहुत बड़ी क्षति हुई है। महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव रवींद्र पुरी ने बताया कि माया गिरी महाराज के जाने के बाद उनके उत्तराधिकारी कृष्ण गिरी महाराज होंगे।