युवा संत अनशन पर और सरकार अपनी मौन पर अडिग!

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  • 23 फरवरी को जंतर मंतर पर होगा गंगा प्रेमियों का जमावड़ा!

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : युवा संत हरिद्वार लौटने के बाद मातृ सदन आश्रम में स्वस्थ और प्रसन्नचित्त अपने अनशन पर अडिग हैं इस बीच प्रशासन या सरकार का कोई नुमाइंदा उनके पास बातचीत करने नहीं पहुंचा है।

हरिद्वार की युवाओं ने हर की पौड़ी पर पुनः प्रदर्शन की घोषणा की है। ज्ञातव्य है की हरिद्वार में युवाओं ने उनकी मांगों को समर्थन देते हुए मांग पूरी ना होने तक, काली पट्टी बांधने का निर्णय लिया था। अब हर की पौड़ी पर आए लोगों के बीच में गंगा की स्थिति, युवा संत द्वारा गंगा के लिए किए जा रहे  अनशन का और इस पर सरकार की चुप्पी का प्रचार करेंगे।

दिल्ली जंतर मंतर पर चल रही संकेतिक धरने पर जन आंदोलनों की राष्ट्रीय समन्वय के प्रमुख साथी दिल्ली में कंझावला क्षेत्र में विस्थापन के खिलाफ लड़ रहे श्री भूपेंद्र रावत धरने पर अपनी शिरकत की उन्होंने बताया कि हम देशभर में इस मुद्दे को उठा रहे हैं सरकार की चुप्पी निंदनीय है चुनाव में अर्धकुंभ का झूठा प्रचार करके वोट लेने की कोशिश मात्र है किंतु गंगा की सच्चाई सामने ला रहे एक संत से बात करने तक की हिम्मत सरकार में नहीं है यह बहुत अफसोस की बात है कि भाजपा सरकार गंगा के साथ वोटों की राजनीति खेलते हुए असली मुद्दों से बिल्कुल भटक गई है।

आजादी बचाओ आंदोलन के महाराष्ट्र के साथी किसान नेता विवेकानंद ने कहां की गंगा एक धर्म के लोगों की नहीं, पूरे देश के लोग उसे मानते हैं। उत्तरी भारत में गंगा  40 करोड़ लोगों के

जीवन से सीधी जुड़ी है। जिसमें उसकी सभी सहायक नदियां आती हैं। किसानों का जीवन, गंगा किनारे के मेले, गंगा किनारे के शहर-नगर और बस्तियां तथा इस में रहने वाले लोगों का आर्थिक जीवन भी गंगा के साथ जुड़ा है। बांधों के कारण गंगा का प्रवाह पूरी तरह से नियंत्रित कर दिया गया है। किसी भी नदी के लिए उसका नियंत्रित प्रवाह उचित नहीं। वह उसके पर्यावरणीय पक्ष को भी प्रभावित करता है। फिर गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा देने के बावजूद उसका ऐसा दोहन और गंगा के बारे में दुष्प्रचार कहां तक उचित है। युवा संत के उपवास ने इन सारी असलियतो  को खोल कर रखा है।

धरने पर बैठे युवा साथी दिनेश जैन ने कहा कि योजनाकारों को हम नई पीढ़ी के लिए गंगा वैसे ही देनी चाहिए जैसी उन्हें विरासत में मिली थी। हरिद्वार से पहुंची मातृ सदन की सहकर्मी वर्षा वर्मा ने कहा कि जब लोग धरने पर बैठे हैं तो मजबूर होते हैं। प्रजातंत्र में सरकार पर यह एक बहुत बड़ा नैतिक दायित्व है। हमारी मांग है कि सरकार 116 दिन के लंबे उपवास के बावजूद  अपने अनशन पर अधिक संत अतुलानंद जी की उपवास का तुरंत संज्ञान ले।

झारखंड से सर्व धर्म समन्वय समिति के संयोजक जगजीत सिंह सोनी, सचिव असद बारी व बसंत कुमार सहित अन्य साथियों ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि यदि गंगा का अभी गर्ल और निर्मल प्रभाव नहीं होता तो इसके गंभीर परिणामों से कोई बचने वाला नहीं है 2013 की आपदा में उत्तराखंड हम यह भयानक त्रासदी देख चुके हैं।

दिल्ली में जंतर मंतर पर सांकेतिक धरना चालू है। 23 फरवरी को धरने पर एक बड़ी सभा रैली का आयोजन निश्चित हुआ है। जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे, राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव व  पूर्व सांसद यशवंत सिन्हा व अन्य समाज कर्मी एवं गंगा प्रेमी भी उस दिन शिरकत करेंगे।

हम तमाम पर्यावरण हितैषी और गंगा के प्रेमियों से अपील करते हैं कि वह बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल हो और सरकार को इस बात के लिए अपील करें कि वह इतने लंबे उपवास के बाद भी मौन क्यों है?  सरकार मौन तोड़े, बातचीत के लिए सामने आकर गंगा की अविरल का सुनिश्चित करें और गंगा के अनन्य कार्यकर्ता युवा संत आत्मबोधानंद जी के जीवन को भी सुरक्षित रखें। अब और संतों की बलि स्वीकार नहीं होगी।