वन्यजीव विभाग का रेडियो कॉलर उतार, CTR से लाया बाघ हुआ RTR से ग़ायब

वन्यजीव विभाग के काबिल अधिकारियों की लापरवाही का एक उदाहरण

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कमजोर कन्धों पर है सूबे के वन्यजीव महकमे का भार 

राजाजी टाइगर रिजर्व से रेडियो कॉलर बाड़े में छोड़ टाइगर हुआ ‘गायब’

राजाजी टाइगर रिजर्व से गायब हुए टाइगर का वन्य जीव महकमे को नहीं मिला कोई सुराग

पिछले साढ़े तीन महीने से गायब बाघिन को अब तक नहीं खोज पाए क़ाबिल अधिकारी 

राजेंद्र जोशी 

वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने वन्यजीव अधिकारियों को लगाई कड़ी फटकार 

CTR से लाए गए बाघ के अचानक यूँ ही रेडियो कॉलर बाड़े में ही छोड़ कर भाग निकलने की घटना को वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने गंभीरता से लेते हुए वन्यजीव अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। उन्होंने देवभूमि मीडिया से बात करते हुए वन्य जीव विभाग के अधिकारियों सहित उन कथित तीरंदाजों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए हैं जो इस मुहिम में शामिल थे।  वन मंत्री का कहना है वे ऐसे अधिकारियों को नहीं बख्शेंगे जो अपने कार्य के प्रति गंभीर नहीं हैं।  उन्होंने कहा चार दिन पहले उन्होंने खुद ही देश के वाइल्ड लाइफ विभाग के अधिकारियों जिनमें सचिव आनंद वर्धन , हेड ऑफ़ फारेस्ट राजीव भरतरी और NTCA के मेंबर सेक्रेटरी के साथ उस बाघ को राजाजी पार्क के बाड़े में देखा था जो बहुत ही ढीढ किस्म का था और हमारे वहां उपस्थिति पर लेटे -लेटे गर्जना कर रहा था।  उन्होंने कहा एक बात तो बिल्कुल साफ़ है वन जीव विभाग के अधिकारियों और कठोर एक्सपर्ट की नाकामी है जो बाघ अपने गले का रेडियो कॉलर बाड़े में ही छोड़कर राजाजी के जंगल में भाग निकला और वन्य जीव विभाग के गैर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को भनक ही नहीं लगी।  इस घटना से साफ़ है कि हमारे वन्यजीव विभाग के अधिकारी अक्षम हैं।

देहरादून : प्रदेश के वन्यजीव अधिकारियों (wild Life) की लापरवाही का खामियाज़ा अब किसे भोगना होगा यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन एक बात तो जरूर है जिन वन्यजीव अधिकारियों के कन्धों पर सूबे के टाइगर रिज़र्व का भार है वे तो बहुत ही कमजोर निकले, जो पहले तो तीन महीने से गायब बाघिन को नहीं खोज पाए, उसके बाद CTR (कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व) के पास ही एक बाघ को दुर्घटना में मरवा डाला और अब CTR से ट्रांस लोकेट कर राजाजी टाइगर रिज़र्व में लाया बाघ ही इनके कमजोर हाथों से निकल भागा , जिसका दो दिन से कोई पता नहीं है।

 गौरतलब हो कि कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) से राजाजी टाइगर रिजर्व (RTR) में पांच बाघों को ट्रांस लोकेट इसलिए किया जाना है कि राजाजी टाइगर रिसर्व में केवल दो ही बाघिन थी। और पार्क में बाघों की संख्या बढ़ाए जाने के लिए यहां बाघ और बाघिनों को यहाँ ट्रांस लोकेट किया जाना है लेकिन यहां पहले से एक बाघिन पिछले साढ़े तीन महीने से लापता है, हालाँकि इस बाघिन पर भी वन्य जीव विभाग के तमाम आला अधिकारी मुख्यमंत्री से लेकर वन मंत्री और सूबे के वन्यजीव प्रेमियों तक को गुमराह कर रहे हैं कि बाघिन यहीं कहीं है। लेकिन सही बात तो यह है वह बाघिन गायब है। ऐसे में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से लाए जाने वाले बाघों के जीवन के सामने भी ख़तरा साफ़ झलक रहा है ,और हमारी बात तब और पुख्ता हो जाती है जब एक सप्ताह पूर्व कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व (CTR) से लाया गया बाघ भी वन्यजीव विभाग के बाड़े से अपना रेडियो कॉलर वहीं छोड़कर गायब हो जाता है। 

ज्ञांत हो कि बीते कुछ सप्ताह पूर्व ही वन्य जीव महकमे के अधिकारियों द्वार एक फीमेल टाइगर राजाजी पार्क (RTR) में लाई जा चुकी है, जबकि दूसरा बाघ बीती आठ दिसंबर को कार्बेट से ट्रेंकुलाइज कर उसके गले में रेडियो कॉलर लगाने के बाद नौ दिसंबर की सुबह राजाजी टाइगर रिजर्व में लाया गया था, यहां टाइगर को डेढ़ करोड़ की लागत से जंगल में बनाए गए एक बाड़े में डाला गया। क्योंकि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के नियमों के अनुसार किसी दूसरी जगह से लाये गए वन्यजीव को नए वन के माहौल में ढलने के लिए वहां बनाए गए बाड़े में रखा जाता है, इस प्रक्रिया को इनकी तकनीकी भाषा में ”शॉप्ट रिलीज” कहा जाता है। जिसको यहां कुछ दिन रखने के बाद ही जंगल में छोड़ा जाता है ,लेकिन यहां तो कॉर्बेट से लाए गए टाइगर वन्यजीव महकमे की तमाम व्यवस्थाओं को धत्ता बताते हुए राजाजी टाइगर रिज़र्व के जंगल में भाग निकला। 

यहां यह भी बताना समीचीन होगा कि इस तरह के बाघ जैसे खूंख्वार जानवर के किसी दूसरे जंगल में अचानक भाग  जाने और वह भी तब जब वह जानवर उस जंगल की परिस्थितियों और वातावरण से पूरी तरह अनविज्ञ हो तो वह किसी भी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है। इस बात की जिम्मेदारी से अब सूबे के वन्य जीव महकमे के अधिकारी बच नहीं सकते।  

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