चार महीने से गायब बाघिन पर आखिर वन्यजीव अधिकारियों की जुबान पर क्यों पड़ जाते हैं ताले !

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वन्य जीव प्रेमियों को अब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से लाये गए दो बाघों की भी होने लगी है चिंता !

चार महीने से गायब बाघिन के बारे में किसी भी तरह का जिक्र करने से न जाने क्यों बच रहे हैं वन्य जीव अधिकारी !

आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट पर खुलासा या कार्रवाही से क्यों बच रहे हैं वन्यजीव अधिकारी ?

राजेंद्र जोशी 
देहरादून : कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से रेस्क्यू कर राजाजी के जंगल में छोड़े गए बाघ और बाघिन की गतिविधियों पर तो वन्यजीव के अधिकारी नज़र बनाए हुए हैं , लेकिन चार महीने से गायब बाघिन की जानकारी देने के नाम पर वन्य अधिकारियों की जुबान पर न जाने क्यों ताले पड़ जाते हैं यह विचारणीय सवाल सूबे के वन्यजीव प्रेमियों को साल रहा है कि आखिर वन्यजीव विभाग के आलाअधिकारी उस बाघिन की जानकारी क्यों नहीं दे रहे हैं जो बीते चार महीने से गायब है। ऐसे में वन्य जीव प्रेमियों को अब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से लाये गए दो बाघों की भी चिंता होने लगी है कि कहीं ये बाघ भी यदि वन्य अधिकारियों की नज़रों से ओझल हो गए तो सूबे में वन्य जीवों की जिम्मेदारी आखिर फिर किसकी होगी।
गौरतलब हो कि बीते महीने सूबे के वन्यजीव प्रतिपालक ने गायब बाघिन के बारे में मुख्यमंत्री सहित सूबे के वन मंत्री को गुमराह करते हुए जानकारी देते हुए कहा था कि कहा था कि कभी वह बाघिन बड़कोट रेंज में देखी गयी तो कभी कहा कि वह राजाजी पार्क में ही है और कभी कहा कि वह कांसरों के जंगल में देखी गयी है लेकिन उसके बाद से चार महीने होने को हैं वन्य जीव विभाग के अधिकारी अब उस गायब बाघिन की बात तो अपनी जुबां पर लाने से न जाने क्यों डर रहे हैं, यह तो वही जाने लेकिन इसके साथ ही यह खबर सुखद है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी पार्क में लाए गए बाघ और बाघिन आजकल अपने आप में अपना क्षेत्रफल बनाने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन वन्य जीव प्रेमियों को चिंता तब हुई जब यह बाघिन मोहंड तक पहुँचकर फिर वापस राजाजी पार्क के भीतरी इलाके में वापस आ गयी जहां इसको छोड़ा गया था।
वन्य जीव विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार कॉर्बेट से लाए गए बाघ से अधिक कॉर्बेट की बाघिन जंगल में अधिक मूवमेंट और बड़े वन्यजीवों का शिकार कर रही है। जबकि बाघ सीमित दायरे में रहकर शिकार कर रहा है। हालांकि बाघ और बाघिन का मूवमेंट देखकर एनटीसीए और कॉर्बेट और राजाजी के अधिकारी राजाजी में बाघों का कुनबा बढ़ने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन उस बाघिन के बारे में किसी भी तरह का जिक्र करने से न जाने क्यों बच रहे हैं। जबकि सूत्रों अनुसार  राजाजी पार्क के अधिकारियों ने बीते चार महीने से गायब बाघिन के मामले में विभागीय जांच तो शुरू कर दी है लेकिन पता चला है उस जांच रिपोर्ट में भी वहीँ होगा जो वन्य जीव विभाग के मातहत अधिकारी चाहेंगे। यानि जांच रिपोर्ट भी किसी निर्णय तक पहुंचने से पहले ही अंजाम तक नहीं पहुँच पायेगी कि आखिर चार महीने से गायब बाघिन को आसमान निगल गया है या धरती खा गयी है। 
जबकि सूबे के वन्य जीव प्रेमियों का कहना है कि राजाजी पार्क से अब तक न जाने ऐसे कितने बाघ और बाघिनें इसी तरह गायब हुए हैं जिनका आज तक पता नहीं चला जबकि वन्यजीव तस्करों और पार्क अधिकारियों पर सांठ-गाँठ के आरोप भी लगते रहे हैं , जिस्ले लिए आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट खुलासा करने को काफी थी लेकिन फांसी का फंदा वन्यजीव अधिकारियों के गले के पास आने के डर से वन्यजीव विभाग के आलाअधिकारियों ने जांच रिपोर्ट को चार माह से गायब बाघिन की तरह गायब करवा दिया।  जबकि वन्यजीव प्रेमियों को उम्मीद थी यदि आईएफएस मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाही होती तो राजाजी पार्क में क्या कुछ चल रहा है उसकी तह तक पहुंचा जा सकता था।