सीबीआई आखिर पौने तीन अरब के NH घोटाले की जांच में हाथ डालने से क्यों बच रही?

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सीएम ने की सीबीआई जांच की सिफारिश

शासन को आखिर क्यों भेजना पड़ा दूसरा रिमाइंडर
राज्य गठन के बाद पहली बार किसी घोटाले पर सरकार हुई सक्रिय 

देहरादून । नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि में 270 करोड़ की राजस्व क्षति के मामले में सीबीआई जांच से क्यों बच रही है। सीबीआई को सरकार की ओर से अब दूसरा रिमाइंडर भेजना पड़ा है, लेकिन सीबीआई के अफसर इस प्रकरण की जांच टेकओवर करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। हालांकि सीबीआई को इस प्रकरण से जुड़े दस्तावेज भी शासन स्तर से भेजे जा चुके हैं। सवाल यह उठ रहा है कि सीबीआई इस केस में दिलचस्पी क्यों नहीं ले रही है।

यहां बता दें कि राज्य गठन के बाद पहली बार किसी घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने की है। नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि के मुआवजे में अफसरों की मिलीभगत से करोड़ों के न्यारे वारे कर लिए गए। मंडलायुक्त डी सेंथिल पांडियन ने खुद इस प्रकरण का संज्ञान लेकर जांच शुरू की तो घोटाले की परतें उधड़ती चली गई। प्रारंभिक जांच में ही 270 करोड़ की राजस्व क्षति का मामला सामने आ गया। दरअसल, अफसरों ने कृषि भूमि को बैक डेट में अकृषक घोषित कर दिया, जिससे किसानों को दस गुना अधिक मुआवजा दिया गया।

खास बात यह रही कि इसमें न सिर्फ राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी शामिल रहे, बल्कि एनएचआई के अधिकारियों की भी संलिप्तता सामने आई। आयुक्त की प्रारंभिक रिपोर्ट पर शासन ने मामले में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। पंतनगर थाने में कई विभागों के अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मुख्यमंत्री बनने के बाद श्री रावत ने आधा दर्जन पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया, साथ ही सीबीआई जांच की सिफारिश की। हालांकि अभी एक और पीसीएस अधिकारी तीरथ पाल के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है, जो शासन स्तर पर विचाराधीन है। यही नहीं कुछ नायब तहसीलदारों पर भी कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इस कार्रवाई में भी देरी हो रही है।

जब सीबीआई ने जांच टेकओवर नहीं की तो मुख्यमंत्री की ओर से सीबीआई को रिमाइंडर दिया। सीबीआई ने इस रिमाइंडर पर भी गौर नहीं किया। अब मुख्य सचिव की ओर से सीबीआई को दूसरी स्मृति पत्र भेजा गया है। मामले में दोषी कई अफसरों पर कार्रवाई की पत्रावली लंबित होने पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उन्हें बचने का मौका क्यों दिया जा रहा है? इस मामले में अभी तमाम बड़ी मछलियां ऐसी हैं जो कार्रवाई की जद में फिलहाल नहीं हैं। सीबीआई जांच करेगी तो इन बड़ी मछलियों पर भी कार्रवाई संभव है। बड़ा सवाल यह कि राज्य में हुए अरबों के घोटाले की जांच को सीबीआई टेकओवर क्यों नहीं कर रही है, जबकि सीबीआई का दायित्व है कि शासकीय धन के दुरुपयोग की जांच कर दोषियों को सजा दिलाए।