दिल्ली में बैठ प्रदेश में कौन फैला रहा घोर जातिवाद का जहर !

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ब्लैकमेलर का माहौल बिगाड़ने में नेता ले रहा सहारा !

राजेन्द्र जोशी 

भाजपा में आजकल एक जनाधारविहीन नेता चर्चाओं में है, आज तक एक भी चुनाव न जीत पाने वाला यह नेता तिकड़म और चाटुकारिता के सहारे राजनीती की सफलताओं का एक के बाद एक पायदान चढ़ता तो है साथ ही अब ऊँचे ख्वाब भी पालने लगा है। इसकी कहानी भी अजीब है यह नेता पहले सीधे दिल्ली से उत्तराखंड मे युवा मोर्चा में पदाधिकारी बनने आये फिर दिल्ली चले गये। उसके बाद विधानसभा चुनाव में फिर से सिफारिश से टिकट ले आये और विपक्षी के हाथों बुरी तरह से हारकर फिर दिल्ली लौट गये। फिर जैसे ही उत्तराखंड मे भाजपा की सरकार बनी तो फिर सिफारिश कराके दायित्वधारी बन गये और फिर दिल्ली चले गये।

उत्तराखंड भाजपा की सरकार बनी फिर इस जनाधार विहीन नेता को दिल्ली में सीधे अतिमहत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया गया, अब ये साहब दिल्ली में बैठकर हर रात मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे हैं। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री जिस तरह से ईमानदारी से सरकार चला रहे हैं तो वे इन्हें रास नहीं आ रहे हैं वह गुट बनाकर उन्हें बदनाम करने कि साजिश कर अपनी जाति विशेष लोगों के साथ मिलकर इन दिनों राज्य का माहौल खराब करने की कोशिश में हैं। अपने पिछले कई दांव में शिकस्त खाने के बाद अब ये नेता जातिवाद की नीच हरकत पर तक उतर आये हैं ऐसा सूत्रों का कहना है। 

उनके इस अभियान में उत्तराखंड भाजपा के एक नेता जो भाजपा की सभी सरकारों मे दलाली करने मे मुख्य भूमिका में आगे रहता था चाहे वो खंडूरी की सरकार रही हो या निशंक की सरकार रही हो हमेशा मुख्यमंत्री से ज्यादा भीड़ उस नेता के घर मे रहती थी जिसके लिए एक कहावत उस वक्त के एक मुख्यमंत्री ने कही थी ”कि हमारे भाजपा मे एक नेता पहले व्यक्ति को विधायक बनाने मे साथ देता है, फिर मंत्री बनाने मे साथ देता है, फिर मुख्यमंत्री बनाने में साथ देता है, फिर मुख्यमंत्री बनने के बाद दलाली करता है और अगर मुख्यमंत्री ने उसकी नहीं मानी या टाल दिया तो फिर उसे सूली पर लटकाने के लिये गुट बाजी करता है।”

वर्तमान में यह नेता एक अन्य जनाधारविहीन नेता के साथ मिलकर वर्तमान मुखिया की सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। जनाधारविहीन इस नेता का साथ देने वालो में वही नेता मुख्य भूमिका में है जिस पर राज्य में पहले विधानसभा चुनाव के दौरान राजपुर रोड स्थित पुराने भाजपा कार्यालय मे उत्तराखंड राज्य स्थापना के समय विधान सभा के पहले चुनाव मे 84 लाख कि चोरी का आरोप लगा था और पार्टी की जांच समिति ने मामले में इनकी संलिप्तता से इनकार नहीं किया था, लेकिन प्रदेश में सरकार होने के कारण इनके खिलाफ कोई भी कार्रवाही नहीं हो पायी और मामला ठन्डे बस्ते में चला गया।

चर्चा है कि प्रदेश में कुछ नेता जो हर बार घोर जातिवादी विष फैलाते रहे हैं, ऐसे नेता कभी राजपूत नेता को तो मुख्यमंत्री नहीं देख सकते तो कभी ब्राह्मण नेता को ही नहीं पचा पाते हैं। ऐसा इन्होने पहले भी कोश्यारी के कार्यकाल में भी किया था और उसके बाद निशंक के कार्यकाल में भी। चर्चा तो यहां तक है यह गुट कहीं तो ब्राह्मणवाद फैलाकर अपना उल्लू सीधा करता रहा है तो कहीं ब्राह्मणों को ही राजपूत नेताओं के खिलाफ जहर भरकर अपने मंसूबों में सफल होता रहा है।

वहीं अब ये नेता पत्रकार का चोला ओढ़कर जिन ब्लैकमेलरों और माफियाओं ने उत्तराखंड की तबाही की है उनके पीछे जाकर नेता खड़ा हो गया है और त्रिवेन्द्र सरकार में हर तरफ से पस्त हो चुके ब्लैकमेलर अब इस नेता की शरण में हैं और इसकी शह पाकर अब समाजसेवी बनकर उत्तराखंड की जनता को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे नेता के उभरने से उत्तराखंड में माफिया राज पनपना निश्चित है। ब्लैक मेलरों का सहारा लेकर आगे बढ़ने की कोशिश का प्रमाण बीते कुछ दिनों से मुखिया के खिलाफ खड़े किये जा रहे माहौल से साफ़ नज़र आ रहा है।

चर्चा सत्ता के गलियारों में इस बात की भी है कि इनकी काली करतूतों का केंद्रीय नेतृत्व को पता चल गया और इस नेता को साफ़ कह दिया गया है कि जो काम आपके पास है आप उसी पर अपना ध्यान केंदित रखें।

चर्चा तो इस बात की भी है कि दलाली करने में माहिर इस नेता ने उत्तराखंड मे आल वेदर रोड के ठेकेदारों से भी काम दिलाने की नाम पर करोड़ों की मोटी उगाही की है इतना ही नहीं चर्चा तो यहाँ तक है कि आल वेदर रोड के निर्माण कार्यों में जहां स्थानीय लोगों ने प्रशासन को कई घटिया निर्माण कर रहे ठेकेदारों की शिकायत की तो इस नेता ने ठेकेदारों की पैरवी कर प्रशासन पर दबाव बना कर मामले को दबाने का दबाव बनाया और उन्हें मन मर्जी का कार्य करने देने तक को कहा।