जब जंगलों में लगी आग से सीएम हुए लाल वन विभाग के अधिकारियों को लिया आड़े हाथों

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  • आग अभी लगी है, आप पैसा कब के लिये बचा रहे हैं :  मुख्यमंत्री 
  • स्थानीय लोगों की मदद के साथ, वनों की प्रभावी सुरक्षा की जा सकती
  • वनों की आग सिर्फ वन विभाग की समस्या नहीं पूरे राज्य की है ये  समस्या
  • जनपदों में वनाग्नि की घटनाओं की जवाबदेही अब जिलाधिकारियों की होगी  
देहरादून :  मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र रावत  ने वन विभाग के अधिकारियों को आडे़ हाथों लेते हुए उनसे पूछा कि उन्होंने जंगलों को आग से बचाने की क्या तैयारी की थी ? अगर तैयारी पूरी थी तो परिणाम क्यों नहीं मिला ? मुख्यमंत्री ने वन विभाग के नोडल अधिकारी श्री वीपी गुप्ता और डी.एफ.ओ. पौड़ी को फटकार लगाते हुए कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को भी हिदायत दी कि अपने जनपदों में वनाग्नि की घटनाओं की जवाबदेही अब उन्हीं की होगी।  मुख्यमंत्री बुधवार को राज्य में वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिये सभी जिलाधिकारियों और वन विभाग के अधिकारियों के साथ वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ वनाग्नि की घटनाओं की समीक्षा कर रहे थे । 
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रभागीय वनाधिकारी की परफाॅर्मेंस एप्रेजल रिर्पोट में वनाग्नि की रोकथाम के प्रयासों तथा उनके परिणामों को भी दर्ज किया जाय। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि जिलाधिकारियों और वन विभाग, स्थानीय समुदायों को अपने साथ जोड़ें। स्थानीय लोगों की मदद के साथ, वनों की प्रभावी सुरक्षा की जा सकती है। 
मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की रोकथाम के लिये कुल प्रावधानित बजट 12 करोड़ 37 लाख का 50 प्रतिशत ही जारी किये जाने पर भी सख्त नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने वन विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि, ‘‘आग अभी लगी है, आप पैसा कब के लिये बचा रहे हैं।’’ उन्होंने शेष राशि तत्काल जनपदों देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी आपदा प्रबंधन तंत्र तथा आपदा प्रबंधन मद में उपलब्ध धनराशि का भी समुचित प्रयोग करें। सभी जनपदों में आपाद प्रबंधन मद में 5-5 करोड़ की धनराशि दी गई है जिसकी 10 प्रतिशत राशि से उपकरण क्रय किये जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों की आग सिर्फ वन विभाग की समस्या नही है। अन्तरविभागीय समन्वय कर इससे पूरी क्षमता के साथ लड़ा जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग वर्षा काल का इंतजार न करे और अभी से अपने प्रयासों को तेज करे। जिन जनपदों में एक्टिव फायर की रिपोर्ट नही है उन्हें भी सजग रहने की जरूरत है। 
वनाग्नि की घटनाओं में सम्बन्धित नोडल अधिकारी ने बताया कि अभी तक कुल 776 घटनाएं दर्ज हुई है, जिनमें 1271 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। 40 मास्टर कंट्रोल रूम स्थापित किये गये हैं । 
बैठक में अपर मुख्य सचिव डाॅ.रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव श्री अमित नेगी, श्रीमती राधिका झा, श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, अपर सचिव श्री आशीष श्रीवास्तव एव वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
गौरतलब हो कि वन विभाग कर्मियों के साथ पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के जवान और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आग बुझाने में जुटे हैं। इन सभी की संख्या 4306 है। यही नहीं, दावानल पर नियंत्रण के मद्देनजर 248 वाहन भी लगाए गए हैं। जंगल किस तेजी से धधक रहे हैं, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 15 फरवरी से शुरू हुए इस फायर सीजन के दौरान सोमवार तक राज्य के जंगलों में आग की 776  घटनाएं हुई थीं और बुधवार को यह आंकड़ा 776  पहुंच गया। सबसे अधिक आग गढ़वाल क्षेत्र के जंगलों में भड़की हुई है।
  • महिलाओं से संभाला जंगलों की आग बुझाने का मोर्चा

उत्तरकाशी जिले के टौंस वन प्रभाग के जरमोला, रामा, सुराणु, सेरी, पोरा, सुकडाला, नोरी बीट के चीड़ के जंगलों मे बीती  रात से भीषण आग लगी है। आग को बुझाने में पूरी रात भर वन कर्मियों के साथ ही ग्रामीण और महिलाएं जुटे रहे। बुधवार सुबह आग बुझाने के दौरान धेवरा गांव की देवेश्वरी पहाड़ी से फिसल गई। इससे वह घायल हो गई। घायल महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। आग बुझाने में गांव की कविता देवी, बसंती देवी, बसी देवी, अनिता देवी, सावित्री देवी, राधिका देवी, सरोज देवी दक्षिणा देवी, राजेश्वरी देवी, रंजना देवी, लोकेंद्र प्रसाद, अनिल, विनोद, सिद्धि प्रसाद हरीश प्रसाद, मनीराम आदि जुटे रहे। वहीं मुखेम रेंज के जंगल में लगी आग को बुझाने में डांग गांव के ग्रामीणों ने बढ़ चढ़ कर  भाग लिया ।

जंगल की आग की चपेट में आयी स्कूल से घर लौट रही छह छात्राएं

उत्तरकाशी :  स्कूल से घर लौट रही छह छात्राएं आग की चपेट में आकर झुलस गईं। सभी का उपचार पीएचसी कल्याणी में कराया गया। यहां से तीन छात्राओं को जहां इलाज के बाद घर भेज दिया गया है। जबकि तीन छात्राओं को ब्रह्मखाल के एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया है।

जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी वन प्रभाग के धरासू वनक्षेत्र के अंतर्गत राजकीय इंटर कालेज मालनाधार की 6 छात्राएं विद्यालय की छुट्टी होने बाद मालना से पैदल रास्ते अपने घर पुजारगांव की ओर जा रही थीं। इस दौरान कल्पना पुत्री ध्यानू, वंदना पुत्री वीरेन्द्र लाल, प्रीति पुत्री उम्मेद लाल, करिश्मा पुत्री प्रेमलाल, मुस्कान पुत्री राकेश ग्राम जखारी और शिवानी पुत्री त्रेपन सिंह ग्राम पटारा आग की चपेट में आकर झुलस गईं।

बालिकाओं ने किसी तरह साहस दिखाकरआग की लपटों से अपनी जान तो बचाई, लेकिन स्कूल के बैग, किताबें और जूते-चप्पलें आग में जलकर राख हो गए। स्थानीय लोगों को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने सभी बालिकाओं को प्राथमिक अस्पताल कल्याणी में भर्ती कराया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद कल्पना, वंदना, प्रीति को इलाज के बाद घर भेज दिया गया है। जबकि करिश्मा, मुस्कान ग्राम जखारी तथा शिवानी ग्राम पटारा का इलाज ब्रह्मखाल के एक निजी क्लीनिक में चल रहा है। सभी की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।