मनपसंद और मलाईदार पोस्ट के तलबगारों को नहीं मिल रहा रास्ता

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मुख्यमंत्री से नौकरशाही उलझन में, कुछ ने चली छापों की चाल

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून । अपनी अब तक की चाल से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अपने प्रशंसकों के साथ-साथ चतुर नौकरशाही को भी उलझन में डाल दिया है। अब तक की सरकारों में किसी न किसी के मुंह लगे जिन नौकरशाहों ने सत्ता परिवर्तन के साथ ही शासन व प्रशासन में संभावित सामूहिक परिवर्तनों और स्थानांतरणों के साथ ही मनपसंद पोस्ट के लिये अपने राजनीतिक संरक्षकों से संपर्क बनाया था, अब तक कुछ न हो पाने से थकने लगे हैं।

कारण कि मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि उन्हे पोस्टिंग आदि को लेकर बहुत जल्दी नही है और वे इस बारे में सोच-विचार कर ही निर्णय लेंगें। इस संबंध में किसी दवाब या प्रभाव में आने का तो सवाल ही नही है। इसके उलट ’मलाईदार’ पद संभाले बैठे अफसर भी असुविधाजनक स्थिति में है कि उनकी बिदाई के कितने दिन बाकी रह गये है ?

असल में मुख्यमंत्री मंत्रियों के बीच मंत्रालय वितरण में अपने स्वतंत्र विचार और कार्यप्रणाली का परिचय पहले से ही दे चुके हैं। विषेशकर जिन एक-दो मंत्रियों ने शपथ लेते ही अपनी पसंद के मंत्रालयों की बैठकें आदि लेकर दबाव बनाना शुरू किया था, उनके खासकर वे मंत्रालय नही मिले । इसके बाद बचे दो मंत्री पदों के संबंध में वे यह साफ कर चुके हैं कि समय आने पर ही वे आगे दो मंत्री बनायेंगें । वैसे भी भाजपा को इतना भारी बहुमत मिला है कि मुख्यमंत्री पर कोई भी किसी भी तरह का दबाव बनाने की स्थिति में है ही नहीं।

अलबत्ता, एक वरिष्ठ और अनुभवी नौकरशाह का कहना था कि भले ही मुख्यमंत्री नौकरशाही में फेरबदल को लेकर समय लेना चाहते हैं लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद नौकरशाही की पोस्टिंग में परिवर्तन होने या न होने के बारे में अनिश्चितता  निश्चय  ही शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली के बारे में शुभ नही है। यदि वास्तव में मुख्यमंत्री इस धारणा के हामी हैं कि काम कराना आना चाहिये और मौजूदा व्यवस्था में ही वे बेहतर प्रदर्शन कराने में समर्थ हैं तो उन्हे यह भी साफ कर ही देना चाहिये। वरना मौजूदा भ्रम की स्थिति में कार्यप्रदर्शन के मोर्च पर इसके अच्छे परिणाम नही आ सकते।

इन स्थितियों में कुछ अफसरों ने नई सरकार को खुश करने को अपने आप ही छापेमारी अभियान जरूर शुरू कर दिये हैं। ऐसे अफसरों को इससे अपने पदों पर अपनी उपयोगिता साबित करने की आशा बन गई है। मुख्यमंत्री ने इन छापों में से कुछ को अपनी सरकार की उपलब्धि बता भी दिया है। सो, अब देखने की बात है कि क्या ऐसे अफसरों की यह चाल कामयाब हो पायेगी।