खोड़ गांव के ग्रामीणों ने तीन किलोमीटर नहर बनाकर खेत में पहुंचाया पानी

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सरकार के भरोसे रहते तो पानी के लिए  25 साल और इंतजार

डीडीहाट (पिथौरागढ़) : खोड़ गांव के लोग 25 वर्ष से सिंचाई नहर की मांग उठा रहे थे। सरकार ने इनकी मांग पर गौर नहीं किया। जब सरकार से उम्मीद खत्म हो गई तो लोगों ने खुद ही नहर बनाने की ठान ली। साथ ही यह भी तय कर लिया कि खेतों तक अपने दम पर पानी पहुंचाएंगे। खोड़ गांव से तीन किलोमीटर दूर चिरकटिया जंगल में बहने वाले छोटे से नाले में पर्याप्त पानी है। यह पानी गर्मियों में भी कम नहीं होता। इसी पानी को गांव तक लाने की योजना बनायीं और गांव के खेतों तक पानी भी पहुंचा दिया।
गाँव के लोगों ने शासन-प्रशासन को आईना दिखाते हुए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद के तहसील मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर ननपापू ग्राम पंचायत के खोड़ गांव के लोगों ने वह कर दिखाया जो लोगों के लिए आदर्श बन गया। इन्होंने अपने खेतों की सिंचाई के लिए पानी की कमी पूरी करने के लिए 15 दिन का श्रमदान किया और तीन किलोमीटर नहर बना दी।
अपनी सौ नाली जमीन की सिंचाई करने के लिए खुद ही तीन किलोमीटर नहर बना ली। नहर बनाने के लिए गांव के लोगों को 15 दिन श्रमदान करना पड़ा। तीन किलोमीटर दूर चिरकटिया के जंगल में बेकार बहने वाले पानी को जब लोगों ने अपनी मेहनत से खेतों तक पहुंचाया तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। इन खेतों में इसी पानी से धान की नर्सरी लगाने का काम शुरू हो गया है। पहली बार गांव के लोग अपनी सौ नाली जमीन में धान की रोपाई भी करेंगे।

खोड़ गांव के नरेंद्र सिंह कन्याल ने बताया कि गांव के हर परिवार ने श्रमदान किया, जो ऐसा नहीं कर सकता था उसने आर्थिक सहयोग दिया। शनिवार की शाम तीन किलोमीटर लंबी इस नहर का निर्माण कार्य पूरा हुआ और खेतों में पानी पहुंच गया। रविवार की सुबह से लोग खेतों में धान की नर्सरी लगाने के काम में जुट गए।

ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार के भरोसे रहते तो शायद नहर के लिए 25 साल और इंतजार करना पड़ता। गांव के लोगों ने तीन किलोमीटर नहर बनाने में जिस तकनीक का प्रयोग किया है वह इंजीनियरों के लिए भी चुनौती है। नहर में कहीं पर भी सीमेंट और ईंट का प्रयोग नहीं किया गया है। सिर्फ मिट्टी और पत्थरों की मदद से नहर तैयार की गई है। इसमें कहीं पर भी पानी की एक बूंद लीक नहीं हो रही है।