विद्यादत्त शर्मा व लवराज धर्मसत्तू को राज्यपाल/कुलाधिपति ने दी डी.लिट् उपाधि

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डी.लिट् उपाधि ने नवाज़े गए दोनों महानुभाव की दृढ़ इच्छाशक्ति हम सबके लिये प्रेरणादायक : राज्यपाल 

उपाधियां शिक्षा का अतिंम पड़ाव नहीं बल्कि मनुष्य आजीवन विद्यार्थी होता है

39 छात्रों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, तीन छात्रों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक व छह छात्र-छात्राओं को स्मृति स्वर्ण पदक

 22659 उत्तीर्ण छात्र छात्राओं को श्री राज्यपाल व कुलाधिपति श्रीमती बेबी रानी मौर्य द्वारा दी गई उपाधियां

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

हल्द्वानी : उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षान्त समारोह में विद्यादत्त शर्मा व लवराज धर्मसत्तू को डी.लिट् उपाधि देने पर हर्ष व्यक्त करते हुये कहा कि दोनों महानुभाव की दृढ़ इच्छाशक्ति हम सबके लिये प्रेरणादायक है।

गौरतलब हो कि श्री विद्या दत्त शर्मा पर कुछ ही महीने पहले राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक निर्मल चंद्र डंडरियाल ने बुजुर्ग किसान के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ”मोतीबाग” बनाई है, जिसे ऑस्कर में एंट्री मिली है। वहीं इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल में प्रथम पुरस्कार भी मिल चुका है। वहीं लवराज धर्मसत्तू  ने सात  बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर इतिहास रचा है। इसके लिए सरकार द्वारा लवराज को पद्मश्री और नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सम्मानित भी किया गया है।

इस अवसर पर उन्होने कहा कि उपाधियां शिक्षा का अतिंम पड़ाव नहीं बल्कि मनुष्य आजीवन विद्यार्थी होता है। अपने जीवन के प्रत्येक कालखण्ड में सामाजिक परिस्थियों से भी मनुष्य को शिक्षा मिलती है इसलिये जीवन भर कुछ नया सीखते रहे एवं ज्ञान से समाज को लाभाविंत करें ।

उन्होने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि मुक्त विश्वविद्यालय में लगभग 69 हजार से अधिक विद्यार्थी  अध्ययन कर रहे है। जिसमे से 30 प्रतिशत संख्या से अधिक बेटियो की है। उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय अनेक पाठ्यक्रम द्वारा समाज के सभी वर्गों को शिक्षा का अवसर प्रदान कर रहा है साथ ही रोजगार परक पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहा है यह खुशी की बात है।

उन्होने कहा कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली लचीली होने के साथ -साथ सहज व सुलभ भी है इस शिक्षा प्रणाली में किसी आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति शिक्षा ग्रहण कर रोजगार हासिल कर सकता है। उन्होने कहा कि दूरस्थ शिक्षा का पाठ्यक्रम अपडेट एवं प्रासंगिक होने साथ ही विषयों का पाठ्यक्रम लोकप्रिय व सरल भाषा में होनी चाहिए। ज्ञान समप्रदा के इस दौर में तकनीकी का वर्चस्व हो चुका है किन्तु दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के लिए मुर्दित सामाग्री का महत्व अभी बरकार है। विद्यार्थीयों के लिये ऑनलाईन सामाग्री के साथ ही डिजिटल लाईबेरी भी होनी चाहिए। स्मार्ट कैम्पस और वर्चुअल क्लासों के माध्यम से शिक्षा दिया जाना वर्तमान समय की मांग है।

उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थीयों को पर्यावण संरक्षण, ग्रीन लाईफ स्टाइल, सौर ऊर्जा का प्रयोग, वर्षा जल संरक्षण, व सीगंल यूज प्लास्टिक बहिष्कार जैसे विषयों की जानकारी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायें ।

इस दौरान राज्यपाल व कुलाधिपति श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने दो डी.लिट् मानद उपाधियों के साथ ही 39 छात्रों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, तीन छात्रों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक व छह छात्र-छात्राओं को स्मृति स्वर्ण पदक सहित 22659 उत्तीर्ण छात्र छात्राओं को श्री राज्यपाल व कुलाधिपति श्रीमती बेबी रानी मौर्य द्वारा उपाधियां प्रदान की गई।

श्री राज्यपाल व कुलाधिपति श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने दीक्षान्त समारोह को सबोधित करते हुये कहा कि यह बडे़ हर्ष का विषय है कि यह विश्वविद्यालय तीन वर्ष की अवधि के भीतर ही पांचवें दीक्षान्त समारोह का आयोजन कर रहा हैं ,इसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति,विद्या परिषद तथा कार्य परिषद के सभी सदस्यों एवं शिक्षक गण को बहुत-बहुत बधाई। दीक्षान्त समारोह विश्वविद्याालय में अध्ययनरत विद्यार्थी के लिए गौरवशाली तथा विशेष अवसर होता है। उन्होने सभी छात्र छात्राओं के साथ ही पदक प्राप्त करने वालों को बधाई दी ।

राज्य का प्रत्येक विश्वविद्यालय लेगा एक-एक गांव को गोद : उच्च शिक्षा मंत्री, धन सिंह रावत  

दीक्षान्त समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने सभी को बधाई देते हुये कहा कि दीक्षान्त समारोह में प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित हो कर गौरव का अनुभव कर हूँ। उन्होने कहा कि सभी विश्वविद्यालय में प्रति वर्ष दीक्षान्त समारोह का आयोजित किया जायेगे। उन्होने कहा मुक्त विश्वविद्यालय को प्रदेश सरकार द्वारा पूर्ण सहयोग दिया जायेगा। मुक्त विश्वविद्यालय 13 विद्या शाखाओं के भीतर 70 पाठ्क्रमों का संचालन कर रहा है यह गौरव की बात है।

उन्होने कहा प्रदेश में चारधाम के साथ ही पांचवां सैनिक धाम है व छठा विद्या धाम के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होने कहा कि कि उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य है, जिसमें 39 प्रतिशत विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे। उन्होने कहा प्रत्येक विश्वविद्यालय एक-एक गांव को गोद लेंगे।

दीक्षान्त समारोह में कुलपति मुक्त विश्वविद्यालय प्रो. ओम प्रकाश सिंह नेगी ने कुलाधिपति का स्वागत करते हुये सभी अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन करते हुए विश्वविद्यालय प्रगति आख्या रखी।

दीक्षान्त समारोह में आयुक्त व सचिव मुख्यमंत्री राजीव रौतेला, कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. देवी प्रसाद, कुलपति वानिकी विश्वविद्यालय भरसार प्रो. कर्नाटक, कुलपति कुमाऊ विश्वविद्यालय प्रो. के.एस.राणा, जिलाधिकारी सविन बंसल, एसएसपी सुनील कुमार मीणा, कुलसचिव भरत सिंह, वित्त नियंत्रक आभा गर्ब्याल, उप कुलसचिव विमल मिश्रा, प्रो. योगेश पंत, प्रो. गिरिजा पाण्डे,प्रो. पीडी पंत, जनसम्पर्क अधिकारी डा. राकेश रयाल,राजेन्द्र क्वीरा सहित अनेक गणमान्य मौजूद थे।