ऋषिकेश : ऋषियों की तपस्थली के रूप में विश्वविख्यात ऋषिकेश में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस महोत्सव की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है जो ‘योग और आध्यात्मिक पर्यटन’ के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड को उत्कृष्ट गंतव्य स्थल के रूप में स्थापित करने में मदद कर रहा है। उत्तराखण्ड को योग की जन्मस्थली बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार सत्य और ज्ञान की खोज तथा ध्यान के लिए ऋषि-मुनियों, संतों ने जिस शांतिपूर्ण प्राकृतिक स्थल का चयन किया वह क्षेत्र देवभूमि उत्तराखण्ड ही था। ऋषि-मुनियों की यह तपस्थली आज पूरे विश्व में योग और साधना की जन्मस्थली के रूप में विख्यात हो चुकी है। यह अद्भुत और सुखद है कि विश्व के कोने-कोने से योग प्रेमी ‘आध्यात्म और योग’ के इस आयोजन में शामिल होने के लिए वर्षों से एकत्र हो रहे हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में सात दिवसीय ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव’ का उद्घाटन किया गया। उन्होंने आयुष मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद, गढ़वाल मंडल विकास निगम तथा परमार्थ निकेतन ऋषिकेश द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित योग महोत्सव में संतो, योगाचार्यों तथा दुनिया के विभिन्न देशों से आए उत्साही योग साधकों के बीच स्वयं की मौजूदगी पर प्रसन्नता व्यक्त की।
डॉ. पॉल ने कहा सुगन्धित बासंतिक मौसम तथा पवित्र गंगा नदी के निर्मल जल प्रवाह के निकट आयोजित ‘योग महोत्सव’ की आलौकिकता के प्रभाव का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ‘मैंने विगत दो वर्षों से इस आयोजन के समापन समारोह में आकार इसके उत्कर्ष को देखा और आनन्दित हुआ किन्तु अद्भुत कल्याण और एकता के इस महोत्सव का उद्घाटन करके मैं और अधिक प्रसन्न हूँ।
राज्यपाल ने देश-विदेश से आये प्रतिभागियों का आह्वाहन करते हुए कहा कि आज माँ गंगा के पवित्र तट पर, हिमालय की गोद में बैठकर संकल्प ले कि शांति, स्वास्थ्य और एकता के संवाहक के रूप में पूरी दुनिया को योग के लाभ से परिचित करायेंगे क्योंकि सभी को प्रत्येक क्षण इसकी सख्त जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि योग, ध्यान से सम्बद्ध है, अथर्ववेद और ऋग्वेद से इसकी जड़ें जुड़ी हैं। आधुनिक युग में भी यह उतना ही प्रासंगिक है। योग, मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है तथा अवसाद और तनाव से भी बचाता है। यह ‘योग उत्सव’ एक अद्भुत तरीके से विभिन्न सभ्यताओं और विभिन्न धर्मों के लोगों को आपस में जोड़ रहा है और शारीरिक, आध्यात्मिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रोत्साहित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन शैली में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। योग से तनाव व अवसाद जैसी अनेक मानसिक समस्याओं से भी निजात मिलती है।
राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत के युज शब्द से ‘योग’ शब्द बना है जिसका अर्थ है जुड़ना, वास्तविक रूप में यह व्यक्ति और ब्रहमतत्व के बीच का श्रेष्ठ जुड़ाव है। महर्षि पतंजलि द्वारा बताये गये अष्ठांग योग के आठ अंगों में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से अभिन्न सम्बन्ध रखते हैं। योग को दैनिक जीवन शैली का हिस्सा बनकर कई लोग धुम्रपान जैसे व्यसनों से निजात पा चुके हैं। नशामुक्ति केन्द्रों द्वारा भी योग के माध्यम से लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि योग विशेषज्ञों का यह वार्षिकोत्सव उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक गतिविधियों का सबके आकर्षक और सार्थक आयोजन है, जिसमें विश्व के प्रत्येक कोने से आने वाले योगी, विद्यार्थी, आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़े व्यक्ति, शांति की खोज में निकले जिज्ञासु लोग गंगा के पवित्र तट पर प्राचीन रहस्यों को आत्मसात करने के लिए एकत्र हुए हैं।
योग कक्षाओं की झलक
कैलिफोर्निया, अमेरिका के सुखमन्दिर सिंह खालसा द्वारा कुण्डलिनी योग के विषय में जानकारी देते हुये कहा, ’प्राणशक्ति का केन्द्र है कुण्डलिनी योग। यह शरीर की सभी नाड़ीयों का संचालन कर सातों चक्रों को जाग्रत एवं क्रियाशील करने में मदद करता है। इस योग के अभ्यास से मस्तिष्क तनावरहित एवं क्रियाशील बना रहता है।’
पेन्सिलवानिया, अमेरिका, की लीला योग विशेषज्ञ एरिका काफॅमैन ने लीला योग की विशेषत बताते हुये कहा, ’लीला योग पर पारम्परिक हठ योग, राज योग एवं भक्ति योग का विशेष प्रभाव है। इसके अभ्यास से आन्तिरिक ऊर्जा जाग्रत होती है। साथ ही यह शरीर एवं मन की स्वच्छता, सन्तुलन एवं प्रेम की भावना को विकसित करता है। यह हमारे चारों ओर विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रित कर आत्मबल को बढ़ाता है।
परमार्थ निकेतन की साध्वी आभा सरस्वती जी ने पारम्परिक हठ योग के बारे में समझाते हुये कहा, ’पारम्परिक हठ योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिससे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ सकारात्मक दिशा में कार्य करने की प्रेरणा मिलती हैै।
योगा और परमार्थ निकेतन ………..
इस विश्व विख्यात कार्यक्रम की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस महोत्सव नेे विश्व स्तर पर अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित की है तथा वर्ष प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में इसका व्यापक प्रसार हो रहा है। विश्व के विभिन्न देशों से योगाचार्य, योग जिज्ञासु, योग शिक्षक एवं विद्यार्थी इस कार्यक्रम में भाग लेने हेतु परमार्थ निकेतन पधार चुके हैं। इस अन्तर्राष्ट्रीय योगपर्व में सम्पूर्ण विश्व के लगभग 100 देशों से 1200 प्रतिभागी ने सहभाग किया।
योग की कक्षायें प्रातः 4 बजे से रात 9:30 बजे तक लगभग 70 से अधिक पूज्य संतों, योगाचार्यो एवं विशेषज्ञों द्वारा संचालित की जायेंगी जो विश्व के 20 से अधिक देशों से पधारे हैं।
अष्टांग योग, आयंगर योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सोमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, भरत योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले 150 योगों के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त ध्यान, मुद्रा, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न होंगी। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों एवं धर्मगुरूओं द्वारा धार्मिक सवांद एवं प्रश्नोत्तरी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में किया जायेगा।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की प्रथम सुबह की शुरूआत प्रातः 4 बजे कैलिफोर्निया अमेरिका से आये सुखमन्दिर सिंह खालसा द्वारा कुण्डलिनी योग के अभ्यास के साथ हुयी। तत्पश्चात पेन्सिलवानिया अमेरिका से आयी एरिका काफॅमैन द्वारा लीला योग, डाॅ फरजाना सिराज द्वारा योग थेरेपी का समकालीन औषधि के रूप में उपयोग एवं साध्वी आभा सरस्वती जी द्वारा पारम्परिक हठ योग का अभ्यास कराया गया। अमेरिका से आयी आनन्द्रा जार्ज द्वारा ब्रह्ममूहूर्त में ध्यान के दौरान मंत्रो का मधुर वाचन किया गया।
आल्पाहार के पश्चात प्रातःकालीन आसन की कक्षाओं मंें दो घंटे तक योगगुरूओं द्वारा योग का अभ्यास कराया गया। माँ गंगा के तट पर ‘योग से संयोग’ के इस विशिष्ट सत्र का निर्देशन कैलिफोर्निया अमेरिका की प्रसिद्ध योगी लौरा प्लम्ब, किया मिलर, कैलिफोर्निया अमेरिका की प्रसिद्ध योगी टामी रोजेन एवं ऋषिकेश व वर्तमान में चीन के योगाचार्य मोहन भण्डारी द्वारा किया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का उद्घाट्न प्रातः 11ऽ00 बजे सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर कई आध्यात्मिक संत एवं योगाचार्य भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशिका साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सभी के प्रति आभार प्रकट करते हुये उनका स्वागत किया और स्वागत भाषण दिया। उसके पश्चात उत्तराखण्ड सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री शैलेश बगोली जी ने दुनिया के कोने-कोने से पधारे अतिथियों के स्वागत हेतु अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर योगाचार्यो द्वारा भव्य योग नृत्य का प्रदर्शन किया गया तथा राजदूतों एवं योगाचार्यो को ’ट्री आफ योग’ भेंट किया। वहाँ पर उपस्थित सभी प्रतिभागियों को पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने ’व्यवहार में योग’ का संकल्प करवाया। उन्होने सभी से प्रकृति संरक्षण एवं पारस्थितिकीय के अनुकुल कार्य करने का आहृवान किया