हमारे समाज में लिंगानुपात संबंधी कई बुराइयां : लक्ष्मी नारायण
देहरादून । देहरादून में दो दिवसीय लिट्रेचर फैस्ट शुरु हुआ। इसका आयोजन ओएनजीसी आॅफिसर्स क्लब में किया जा रहा है। फैस्ट के पहले दिन कुल आठ सत्र आयोजित किये गये जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लेखक, थिएटर जगत के कलाकार, व्यापार जगत के नेता व अन्य क्षेत्रों की प्रख्यात हस्तियांें ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
पहले दिन फैस्ट में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, डाॅ. बिजयलक्ष्मी नंदा, व प्रशांत आर चौहान, हृदयेश जोशी, लक्ष्मी पंत, सुशील बहुगुणा, त्रेपन सिंह चौहान, अनुज तिवारी, सुम्रित शाही, शिखा कौल, किरन मनराल, राहुल भट्ट, मोना वर्मा, रक्षंदा जलिल, अतुलपुंडीर , डाॅ. एमएच फारूखी व अन्य विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों व लेखकों ने पहले दिन फैस्ट में हिस्सा लिया। फैस्ट की शुरूआत ’लिंग बाधाओं में प्रश्नात्मक’ पहले सत्र की मेजबानी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, डाॅ. बिजयलक्ष्मी नंदा, व पी आर चौहान ने की। सत्र का संचालन राखी बक्शी ने किया।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ट्रांसजेंडर राइट्स एक्टिविस्ट, हिंदी फिल्म एक्ट्रेस व भरतनाट्यम डांसर है। 2008 में यूएन के एशिया पैसिफिक में लक्ष्मी ने पहली ट्रांसजेंडर व्यक्ति के रूप में प्रतिनिधित्व किया।सत्र की पहली पैनलिस्ट लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस मौके पर कहा कि, हमारे समाज में लिंगानुपात संबंधी कई बुराइयां है, किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व आज समाज सुनिश्चित करता है जो कि गलत है। लक्ष्मी ने कहा कि, आज महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने व महिलाओं को समाज में एक अलग पहचान दिलाने में हमारे देश के मीडिया हाउस ने भी अपना अलग योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि, सोसाइटी आपके बारे में क्या सोचती है, बल्कि यह जरूरी है कि आप खुद क्या हो ? और स्वयं के लिए क्या महसूस करते हो। उन्होंने कहा कि, हम भारतीय आज अपना कल्चर भूल कर अन्य यूरोपीय देशों के कल्चर अपना रहे हैं।
सत्र की दूसरी पैनलिस्ट डाॅ. बिजयलक्ष्मी नंदा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं को आज भी हमारे देश में लक्ष्मण रेखा के अंदर रखा जाता है। जिस देश में आज कन्या को पैदा ही नहीं होने दिया जाता उस समाज व देश में मलिाओं व स्त्रीयों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। सत्र के तीसरे पैनलिस्ट पी आर चैहान ने कहा कि लिंग भेदभाव आज बहुत बड़ी समस्या है और जहां महिलाएं आज समाज में कई समस्याओं से जूझ रही है वहीं हमारे समाज में पुरूष भी कई प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने व लिंग भेदभाव को खत्म करने की बात भी कही। सत्र का संचालन कर रही राखी बक्शी ने कहा कि, यदि लोग समाज में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाएंगे तो समस्याएं लोगों के घरों तक सिमट के रह जाती है, प्रत्येक व्यक्ति की उपस्थिति सोसाइटी में अनिवार्य है तभी लोगों में जागरूकता फैलगी व समस्याओं का समाधान मिलेगा
फैस्ट के दूसरे सत्र में जल जंगल जमीन पर हृदयेश जोशी, लक्ष्मी पंत, सुशील बहुगुणा, त्रेपन सिंह चैहान ने चर्चा की। इस सत्र का संचालन हृदयेश जोशी ने किया। इस सत्र में उपस्थित सभी पैनलिस्ट उत्तराखंड राज्य से हैं, जों पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हैं। इन्होंने 2013 की उत्तराखंड त्रासदी में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। इस सत्र में सभी पैनलिस्ट ने प्रकृति की सौंदर्यता पर प्रकाश डाला साथ ही उन्होंने प्रकृति से हो रहे छेड़छाड़ पर गहरी संवेदना प्रकट की। इस सत्र में बताया गया कि, उत्तराखंड राज्य में पशु-पालन व्यवसाय में महिलाओं की अहम भागीदारी रही है, महिलाएं ही मुख्यत जंगल से घास व लकड़ी लाने का कार्य करती है, और यही वजह है कि महिलाओं का जंगल से गहरा रिश्ता होता है।
सत्र में यह भी बताया गया कि, यदि जंगल सुरक्षित रहेंगे तो पेड़-पौधे, नदियां व प्रकृति से प्राप्त होने वाले अमूल्य खनिज संसाधन भी सुरक्षित रहेंगे। पहले दिन के सत्र को आगे बढ़ाते हुए अनुज तिवारी, सुम्रित शाही व शिखा कौल ने रोमांस पर आधारित सत्र ’लव इज़ इन द एयर’ पर अपने विचार प्रकट किये। गौरतलब है कि यह तीनो लेखक आज की युवा पीढ़ी के जाने माने लेखक हैं। इन लेखकों से प्रेरित होकर आज की युवा पीढ़ी पुस्तकों के प्रति काफी आकर्षित हुए हैं। इस सत्र में उपस्थित लोगों को प्यार के सही रूप व सही मायनों से रूबरू करवाया गया। साहित्य प्रेमियों के लिए सावी शर्मा की नयी पुस्तक ’दिस इज नाॅट योर स्टोरी’ पुस्तक का लांच की गयी, साथ ही इस पुस्तक पर चर्चा की गयी। इस सत्र के दौरान सावी शर्मा ने सभी उपस्थित लोगों को पुस्तक से रूबरू भी करवाया।
इसके अलावा पहले दिन ’राइटिंग फ्राॅम द हिल्स’ सत्र आयोजित किया गया, जिसमें किरन मनराल, राहुल भट्ट व मोना वर्मा ने सत्र की मेजबानी की। इस सत्र में पहाड़ों का विस्तार से वर्णन किया गया है। सभी उपस्थित सभी पैनलिस्ट ने पहाड़ों में महसूस होने वाले अहसास को बयां किया। उर्दू:अनुकूल, अमीर और वास्तविक पर सत्र में डाॅ. रक्षंदा जलील, अतुल पुंडीर व डाॅ. एम एच फारूकी ने उर्दू भाषा पर अपने-अपने विचार प्रकट किये, साथ ही उर्दू की विशेषताओं को उजागर किया। इस सत्र में उर्दू भाषा के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया। हास्य कवि सम्मेलन पर आधारित आपके मुंह में घी शक्कर पहले दिन का आखिरी सत्र रहा। डीएलएफ का मुख्य उद्देश्य दूनवासियों व साहित्य प्रेमियों के लिए शहर में भारत सहित विदेशों के प्रख्यात लेखकों सेे रूबरू करवाना है, ताकि साहित्य के प्रति लोगों व छात्रों की रूचि बढ़े व उन्हें प्रोत्साहन मिले।
इस मौके पर बुक वल्र्ड के रणधीर अरोड़ा, हयूमन्स फाॅर हयूमैनिटी एनजीओ से अनुराग चौहान, हेड्स अप के निदेशक सम्रान्त विरमानी कैनियन क्लब के वाइस प्रेजीडेंट निमीष, धर्मेंद्र सेठी, शहर के अन्य मान्यगण लोग व भारी संख्या में दर्शकगण उपस्थित रहे।