न उपचुनाव की चुनौती और ना ही बगावत का डर
योगेश भट्ट
उत्तराखंड को प्रचंड जनादेश के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत के रूप में नवां मुख्यमंत्री मिला है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि त्रिवेंद्र रावत प्रदेश भाजपा की प्रथम पंक्ति का चेहरा नहीं थे, बावजूद इसके भाजपा हाईकमान यानी प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने उन पर भरोसा जताया है।
जाहिर है, पार्टी के भीतर और बाहर बहुत से लोगों को त्रिवेंद्र की ताजपोशी गले न उतर रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि त्रिवेंद्र मौजूदा परिवेश में पार्टी के प्रति विश्वसनीयता, निष्ठा और समर्पण के मानकों पर पूरी तरह मुफीद बैठते हैं। यही एक बड़ा कारण भी है कि कई बड़े चेहरों और योग्य उम्मीदवारों के बावजूद उन्हें कमान सौंपी गई है। त्रिवेंद्र की इस ताजपोशी में सबसे अहम बात यह है कि वे पसंद भले ही हाईकमान की हों, मगर मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत विधिवत हुई है।
डेढ दशक के इतिहास में पहली बार एक विधायक मुख्यमंत्री चुना गया गया है। अन्यथा अभी तक तो परंपरा पहले मुख्यमंत्री बनने और फिर उपचुनाव के जरिए विधायक बनने की रही है। बहरहाल त्रिवेंद्र के लिए यह बड़ा दिन है। यहां से उनकी एक नई राजनीतिक यात्रा शुरू होती है। यह उनके लिए एक नई पहचान के आगाज का दिन है। निश्चित तौर पर संघ की पृष्ठभूमि, पार्टी के लिए दिन-रात की मेहनत, वरिष्ठ नेताओं के प्रति सम्मान और मौजूदा नेतृत्व से उनकी नजदीकियों ने उन्हें राज्य का नेतृत्व करने का अवसर दिया है।
एक राजनेता के तौर पर वे प्रदेश की जरूरतों से बखूबी वाकिफ हैं। उनके लिए कुछ भी नया नहीं है, क्योंकि भाजपा सरकार में वे कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। संगठन का लंबा अनुभव उनके पास है। इतना ही नहीं, एक मुख्यमंत्री के लिए बेहद जरूरी, मजबूत बहुमत और केंद्र का साथ भी उनके पक्ष में है। इस लिहाज से देखें तो त्रिवेंद्र बेहद ‘भाग्यशाली’ सीएम हैं। उनके सामने न उपचुनाव की चुनौती है और ना ही बगावत का डर। प्रदेश के इतिहास में वे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें सरकार चलने के लिए इतनी अनुकूल स्थितियां मिली हैं।
जिस निष्ठा और समर्पण ने उन्हें इस शिखर पर पहुंचाया है, अब उनसे उसी निष्ठा और समर्पण की दरकार प्रदेश को है। देखना यह है कि मजबूत मुख्यमंत्री बन कर वे प्रदेश की नब्ज पकड़ पाते हैं या नहीं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस वक्त प्रदेश की जनता ने जो जनादेश दिया है, वो परिवर्तन के लिए दिया है, नई शुरुआत के लिए दिया है, नई इबारत लिखने के लिए दिया है। जनता ने उन वादों और दावों पर भरोसा करके भाजपा को इतना बड़ा बहुमत दिया है, जिन्हें अक्सर चुनाव के बाद जुमला कह कर खारिज कर दिया जाता है। जनता ने उन नारों पर यकीन करके भाजपा को बहुमत दिया है जिनमें प्रदेश की तकदीर बदलने का जिक्र होता है। अब देखना यह है कि ये ‘भाग्यशाली’ मुख्यमंत्री, उत्तराखंड का ‘भाग्य’ बदल पाते हैं या नहीं।