मंदिर पर तड़ित चालक लगाये जाने पर तीर्थ पुरोहित और एएसआई आमने सामने

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मंदिर के शीर्ष गुम्बद के ऊपर तड़ित चालक लगाये जाने का मामला 

देहरादून : ताजमहल और कुतुबमीनार जैसे ऐतिहासिक धरोहरों को आकाशीय बिजली से होने वाले नुकसान से बचाए रखने के बाद अब आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) केदारनाथ मंदिर को बचाने के लिए उसके शीर्ष में तड़ित चालक (lightning conductor) लगाना चाहती है। लेकिन केदारधाम के तीर्थ पुरोहित और उनका समाज इसके खिलाफ एक हो गए है उनका कहना है एएसआई द्वारा लगाये जाने वाले तड़ित चालक से मंदिर की रक्षा नहीं हो सकती इसको बचाने के लिए बाबा केदार का त्रिशूल और कलश अपने आप ही बिजली को रोकने में खुद ही सक्षम है।

तीर्थ पुरोहित समाज के तर्क से वैज्ञानिक हतप्रभ हैं उनका कहना है यह अलग बात है कि आज तक मंदिर को आकाशीय बिजली से भले ही कोई नुकसान न पहुंचा हो लेकिन एएसआई द्वारा मंदिर के शीर्ष गुम्बद के ऊपर तड़ित चालक लगाये जाने से मंदिर को आकाशीय बिजली से बचाया जा सकता है। क्योंकि यह आकाशीय बिजली को जमीन तक पहुँचाने में सक्षम है जबकि मंदिर के ऊपर लगे त्रिशूल और कलश का जमीन के साथ कोई संपर्क नहीं है लिहाज़ा वह आकाशीय बिजली से मंदिर को नहीं बचा सकते।

कुलमिलाकर एएसआई और तीर्थ पुरोहित एक बार फिर तड़ित चालक को लगाये जाने के को लेकर आपस में भिड़ गए हैं. जिससे मंदिर को सुरक्षित बनाने की एएसआई की कोशिशों पर तीर्थ पुरोहित समाज ने फिर अड़ंगा कहा जा सकता है।

मामला गुरुवार को तब बढ़ा जब एएसआई की टीम मंदिर पर तड़ित चालक लगाने पहुंची तो तीर्थ पुरोहितों उसे रोक दिया और ऐलान कर दिया कि मंदिर पर कोई उपकरण नहीं लगने दिया जाएगा।

वहीँ जब देहरादून में एएसआई की सुपरिटेंडेंट आर्किलॉजिस्ट लिली धस्माना से बात की गयी तो उनका कहना था कि तड़ित चालक मंदिर की सुरक्षा के लिए लगाया जाना जरूरी है और उन्होंने इस मसले को लेकर रूद्रप्रयाग के डीएम से बात हुई है. कि अब वे ही तीर्थ पुरोहितों को तड़ित चालक को लगाये जाने का वैज्ञानिक आधार समझाएं।

साथ ही उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग यह बात नहीं समझ पा रहे हैं कि पुरातात्विक महत्व की सभी पुरानी इमारतों में यह उपकरण लगाया जाता है ताकि उसे की नुक़सान न हो. धस्माना के अनुसार ताजमहल और कुतुबमीनार में भी यह उपकरण लगाया गया है।