देवभूमि मीडिया ब्यूरो
DEHRADUN : एनएच -74 घोटाले में चर्चा में आये दो आईएएस अधिकारियों के नाम और उसके बाद उनके गुपचुप तरीके से बीते रविवार को लिए गए बयानों और और आईएएस अधिकारियों का एसोसिएशन के माध्यम से सरकार पर बनाये जा रहे दबाव की नीति के बीच एसआईटी द्वारा अब इनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति की तैयारी शुरू हो गयी है। वहीँ एच-74 घोटाले के दौरान ऊधमसिंह नगर जिले में बतौर एसडीएम तैनात रहे तीन आईएएस अफसरों के नाम इस मामले से जुड़ जाने की चर्चाओं के बाद सूबे के शासन में जहाँ खलबली का माहौल है वहीँ बीते दिन तक सरकार को घेरने की योजना बनाने वाले आला अधिकारी सकते में आ गए हैं।
चर्चा है कि अभी तक एसआईटी की जांच रिपोर्ट में इन तीनों में से किसी भी अधिकारी का कहीं भी नाम का जिक्र नहीं हुआ था लेकिन आज अचानक यह जानकारी सामने आयी कि मामले में तीन और अधिकारियों पर एसआईटी की जांच की आंच आने वाली है।चर्चा है कि इन अधिकारियों में एक वर्तमान में प्राधिकरण में उपाध्यक्ष है, जबकि दूसरा एक नगर निगम में नगर आयुक्त और तीसरा अधिकारी किसी जिले का जिलाधिकारी बताया जा रहा है।
गौरतलब हो कि एसआईटी की रिपोर्ट शासन को मिलने के बाद के दिन से लगातार एक के बाद एक नया रहस्योद्घाटन हो रहा हैं। चर्चा है कि अब जिन तीन अधिकारियों के नाम सामने आये हैं ये तीनों आईएएस अधिकारी जून-2013 से मई-2016 की अवधि में ऊधमसिंह नगर जिले में एसडीएम रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैक डेट यानी धारा तीन के प्रकाशन के बाद 143 की जितनी भी कार्रवाई की गई, उनके परवाने 2013 से 2016 के बीच जारी किए गए। जबकि नियमानुसार परवाना 143 (भूमि की प्रस्थिति में परिवर्तन) की कार्रवाई पूरी होने के 90 दिनों के भीतर किया जाना होता है। मगर यहां परवाना बाद में जारी किए गए हैं ।
हालाँकि सूत्रों के अनुसार इन तीनों अधिकारियों के नाम अभी तक एसआईटी रिपोर्ट में तो नहीं आया लेकिन इन तीनों की भूमिका की जांच को लेकर अधिकारियों में दबी जुबान में आवाज उठ रही है। कि हम तो डूबेंगे सनम तुम्हे भी ले डूबेंगे। गौरतलब है कि एनएच-74 घोटाले में अब तक आठ पीसीएस अफसरों सहित 22 अधिकारी व कर्मचारी जेल जा चुके हैं। इतना ही नहीं, दो आईएएस अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।