खबर का असर : चांइशील ट्रैक को पर्यटन विभाग ने बनाया ट्रैक ऑफ द ईयर

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”देवभूमि मीडिया” में वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल की चार मार्च की खबर ” एक और सरू ताल”  के प्रकाशित होने के बाद सूबे के पर्यटन विभाग की राज्य के ट्रैक व पर्यटक स्थलों पर नींद टूटी है, रोमांच और साहसिक पर्यटन में दिलचस्पी रखने वालों के लिए इस साल एक दिलचस्प और रोमांच से भरे चांइशील ट्रैक को  द्रोणागिरी के साथ ही ट्रैक ऑफ द ईयर बनाया जा रहा है। 

देहरादून  :  उत्तराखंड प्राकृतिक खूबसूरती के बारे में बताने की जरूरत नहीं हैं। यहां एक से बढ़कर एक जगह हैं। ऐसी ही एक जगह है चांइशील, जिसके बारे में राज्य पर्यटन विभाग को बहुत कुछ मालूम नहीं था। वहीँ पहाड़ों पर रोमांच पाने की हसरत में हर साल काफी लोग ट्रेकिंग के लिए उत्तराखंड पहुंचते हैं। रोमांच और साहसिक पर्यटन में दिलचस्पी रखने वालों के लिए इस साल एक दिलचस्प और रोमांच से भरे चांइशील ट्रैक को ट्रैक ऑफ द ईयर बनाया जा रहा है बस अब इसकी आधिकारिक घोषणा होनी बाकि है ।

  पर्यटन सचिव शैलेश बगोली के अनुसार चांइशील ट्रैक को द्रोणागिरी के साथ ट्रैक ऑफ द ईयर बनाया जा रहा है। द्रोणागिरी ट्रैक ऑफ़ द ईयर को लेकर तो आधिकारिक घोषणा हो चुकी है जबकि इस ट्रैक के लिए राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा बजट भी आवंटित किया जा चुका है और इसके लिए अपर आयुक्त हरक सिंह रावत को नोडल अधिकारी बनाया गया है। वहीँ चांइशील अब तक एक अपरिचित पर्यटन स्थल रहा है। चांइशील का स्थानीय भाषा में अर्थ है- चांद के समान शीतल।

   देहरादून से लगभग 230 किमी की दूर चांइशील खूबसूरत बुग्यालों से घिरा हुआ पयर्टन क्षेत्र है। चांइशील उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक के बंगाण क्षेत्र की कोठीगाढ़ घाटी और हिमाचल की राजधानी शिमला की तहसील रोहडू के बीच की ऊंची चोटियों पर स्थित है। चांइशील में मानसून सत्र को छोड़कर साल भर पर्यटन के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से ही उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा इसे ट्रैक ऑफ द ईयर के रूप में तैयार किया जा रहा है। पर्यटन सचिव शैलेश बगोली के मुताबिक चांइशील क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जिसकी वजह से इसे ट्रैक ऑफ द ईयर चुना गया है। वैसे तो पूरी चांइशील घाटी ही रमणीक और मनमोहक है, फिर भी यहां कुछ जगह बेहद खूबसूरत है।

सुनाइटी बुग्याल: यह बुग्याल (घास का मैदान) स्थान मखमली घास की चादर ओढे हुए है। लगभग 1 वर्ग किमी में फैला यह बुग्याल हल्की ढलान युक्त है, जिसके चारों ओर खरसू के पेड़ हैं। यहां से लगभग 150 मीटर नीचे जलस्रोत भी है। जहाँ यह स्थान गर्मी में शान्त और रमणीक पिकनिक स्पाट हो सकता है, वहीं शीतकाल में यहां पर विन्टर गैम्स के लिए ट्रैक तैयार किये जा सकते हैं। बुताहा तप्पड़: यह भी समान रूप से ढलान युक्त मखमली घास का बुग्याल है। कुबाबुग्याल: यहां से हिमालय की बर्फाच्छादित चोटियों के दर्शन होते हैं। मखमली घास वाले इस बुग्याल में बुराँस की सफेद फूल की प्रजाति और भोज पत्र के पेड़ हैं।

सामटा बुग्याल : यह बहुत ही सुन्दर व काफी बड़े क्षेत्र में फैला लगभग समतल मैदान है। जिसकी छोटी घास व विभिन्न प्रकार के फूल मन को मोह लेते है। लाम्बीधार व ठोलाशीर: यहां हल्की ढलानयुक्त लगभग 3 किमी लम्बी जगह है। जहां पर आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर लगभग 10 किमी लम्बा विश्व स्तरीय स्नो स्कीइंग, स्नो बोर्ड ट्रैक तैयार किया जा सकता है।

संई सुनाई बुग्याल: निहायती खूवसूरत बुग्याल जहां पर एक छोर से दूसरे छोर पर देखने पर व्यक्ति बहुत छोटा दिखता है। इस बुग्याल की आकृति लगभग अर्ध वृत्ताकार है। यहां पर पत्थर शैलखण्ड के काफी टुकड़े दिखते हैं, जो देखने में काफी चमकीले और आकर्षक लगते हैं। बुड़ीक बुग्याल: यह चाँइशील के सबसे सुन्दर स्थनों में से एक है। चाँइशील के शिखर के ऊपर लगभग समतल मैदान है। जिसमें पूर्व की ओर हल्की ढलान युक्त लम्बी धार है। जहां विश्व का सबसे खूबसूरत लम्बा व चौड़ा स्नो स्कीइंग ट्रेक तैयार किया जा सकता है। कोशमोल्टी धार: चाँइशील श्रृखला की सबसे ऊँची चोटी व लगभग हल्की ढलानयुक्त धार जिसमें ढलान में नीचे की ओर एक काफी बड़ा बुग्याल है, जो बहुत ही खुबसूरत और रमणीय है।

सरूताल: कोश्मोल्टी से उत्तर दिशा की ओर जाने पर ढलान पार कर हल्की समतल धार में लगभग 2 किमी दूरी पर धार के ऊपर सरूताल नामक झील है, जिसमें एक बड़ा व एक छोटा तालाब स्थित है। यह ताल इतनी ऊंची चोटी पर स्थित होने के कारण स्वयं में कौतुहल जगाता है, जब इस झील में हिमाच्छादित हिमालय की चोटियों का विम्ब पड़ता है तो यह दृश्य आँखों को शीतलता व सुकून प्रदान करता है। यह झील हालांकि हिमाचल प्रदेश की सीमा में स्थित है। लेकिन पर्यटक भौगोलिक सीमाएं नहीं देखता।

भिऊंसिंह शैल: यह शैलखण्ड ग्राम दुचाणू में स्थित है। यह चट्टान सेब के बागों के बीच सीधी खड़ी स्थित है, जिसकी ऊंचार्इ काफी अधिक है। यह शैलखण्ड काफी आकर्षक है इसे नीचे से ऊपर देखने पर टोपी गिरजाती है। मान्यता है कि इस शैलखण्ड को भीम द्वारा यहाँ स्थापित किया गया है। इस शैल खण्ड को बंगी जमिपंग के लिए विकसित किया जा सकता है।

धुपालटू बुग्याल: हल्की ढलान युक्त खुबसूरत बुग्याल जो आधा उत्तराखण्ड राज्य में व आधा हिमालच प्रदेश में फैला है। कोटूजानी: यहां पर काफी मात्रा में शैल खंड बिखरे हैं। इसकी ढलान हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित है। टिकूला बुग्याल: बहुत ही विशाल मैदान इसका आकार इतना बड़ा है कि इसमें हवाई पट्टी भी तैयार की जा सकती है। यह बुग्याल इतना बड़ा है कि इसको गोल्फ ग्राउण्ड के रूप में विकसित किया जा सकता है। हल्की घास और फूलों से ढंका यह बुग्याल चाँइशील स्थित सभी बुग्यालों से आकार की दृष्टि से सबसे बड़ा बुग्याल है। इस बुग्याल के पश्चिम की ओर हल्की लम्बी व खूबसूरत ढलान है। फलची बुग्याल: यह ढलान युक्त बुग्याल केलांर्इधार से चाँइशील को जाते हुए सबसे पहला बुग्याल है। वाटरफाल: यह वाटरफाल केलांर्इधार से लगभग 1 किमी पैदल (सीधा) रास्ता तय करने पर पड़ता है, जिसकी ऊँचाइ कैम्टीफाल (मसूरी) व टाइगरफाल से लगभग तीन गुणा अधिक है। तारामण्डल – यह भोकटाड़ागाड़ में स्थित जलमण्डल है यहा पर पानी इतने तेज वेग से फुवारे के रूप में बहता है और ऊपर हल्का आसमान दिखता है एडवेंचर्स प्रेमियों को यह स्थान अत्यन्त प्रिय लगता है।

देबवन तीर्थ स्थल: चार महासू में से एक श्री महाशिव पवासी देवता जिसे उत्तरकाशी जिले के बंगाण क्षेत्र व हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के अधिकांश क्षेत्र का कुल देवता कहा जाता है। यह मंदिर देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित बुग्याल में है। चार महासू को शिव का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि जब चार महासू जम्मू कश्मीर की अमरनाथगुफा से हनोल में आये तो महाशिव पवासी देवता अपने लिए अलग स्थान की खोज में निकले और देवदार के घने जंगलों में स्थित देववन को उन्होंने अमरनाथ के समान उच्च शिखर पर स्थित पत्रित स्थान मानते हुए अपना तीर्थस्थल चुना। सामान्यत: यहां पर अक्षय तृतीया पर जाने की प्रथा प्रचलन में है। मान्यता है कि यहां पर जो भी व्यक्ति सच्चे मन से अपनी मुराद लेकर जाता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र के सभी गावों में धार्मिक मंदिर स्थित है।


चाँइसील में कुछ इतने बडे बुग्याल हैं जिन्हें गोल्फ ग्राउंड के रुप में तैयार किया जा रहा है। पर्यटन सचिव शैलेश बगोली के मुताबिक हिमाचल से चाँइशील में बडे पैमाने पर पर्यटक हर साल पहुंचते हैं। उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर से कोशिश की जा रही है कि रास्ते ठीक किए जाएं ताकि उत्तराखंड के रास्ते से भी पर्यटक इस खूबसूरत क्षेत्रों में पहुंचें। ऐसे पहुंचे चाँइशील: रूट एक: देहरादून – मसूरी – नौगाव – पुरोला – मोरी – त्यूनी – आराकोट – टिकोची। रूट दो: देहरादून – विकासनगर – चकराता – त्यूनी – आराकोट – टिकोची

ठहरने के लिए यहां कैंपिंग और नजदीकी गांव में होम स्टे की ही विकल्प है। चाँइशील ट्रैक को अगर विकसित किया जाता है तो राज्य के पर्यटन के साथ स्थानिय लोगों की आजीविका के साधन भी बढेंगे। अब ऐसे में पर्यटन विभाग के लिए ये बडी चुनौती है कि वे अब तक अपरिचित रहे चाँइशील क्षेत्र को कैसे देश विदेश के ट्रैकर्स का पसंदीदा एडवेंचर स्पॉट बनाते हैं। चाँइशील में कम से कम एक बार तो आना बनता ही है।

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