ब्लैक होल की पहली तस्वीर दुनिया ने देखी

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The Event Horizon Telescope (EHT) — a planet-scale array of eight ground-based radio telescopes forged through international collaboration — was designed to capture images of a black hole. In coordinated press conferences across the globe, EHT researchers revealed that they succeeded, unveiling the first direct visual evidence of the supermassive black hole in the centre of Messier 87 and its shadow. The shadow of a black hole seen here is the closest we can come to an image of the black hole itself, a completely dark object from which light cannot escape. The black hole’s boundary — the event horizon from which the EHT takes its name — is around 2.5 times smaller than the shadow it casts and measures just under 40 billion km across. While this may sound large, this ring is only about 40 microarcseconds across — equivalent to measuring the length of a credit card on the surface of the Moon. Although the telescopes making up the EHT are not physically connected, they are able to synchronize their recorded data with atomic clocks — hydrogen masers — which precisely time their observations. These observations were collected at a wavelength of 1.3 mm during a 2017 global campaign. Each telescope of the EHT produced enormous amounts of data – roughly 350 terabytes per day – which was stored on high-performance helium-filled hard drives. These data were flown to highly specialised supercomputers — known as correlators — at the Max Planck Institute for Radio Astronomy and MIT Haystack Observatory to be combined. They were then painstakingly converted into an image using novel computational tools developed by the collaboration.
  • तस्वीर टेलीस्कोप के एक ग्लोबल नेटवर्क की मदद से खींची
  • ब्लैक होल धरती से करीब 9.5 लाख करोड़ किलोमीटर है दूर 
  • महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने  किया था ब्लैक होल पर अध्ययन

वाशिंगटन : एस्ट्रोफिजिक्स (खगोल-भौतिकी) के क्षेत्र में बुधवार ऐतिहासिक उपलब्धि का दिन रहा। दुनिया ने पहली बार एक ब्लैक होल की तस्वीर देखी। वैज्ञानिकों ने एक साथ वाशिंगटन, ब्रसेल्स, सैंटियागो, शंघाई, ताइपे और टोक्यो में इस तस्वीर को जारी किया। तस्वीर टेलीस्कोप के एक ग्लोबल नेटवर्क की मदद से खींची गई है। यह ब्लैक होल धरती से 5.4 करोड़ प्रकाश वर्ष (करीब 9.5 लाख करोड़ किलोमीटर) दूर एम-87 गैलेक्सी में स्थित है। यह उपलब्धि ऐसी ही है, जैसे धरती पर रहकर चांद पर रखे किसी छर्रे  की तस्वीर खींचना।

यह उपलब्धि 2012 में शुरू हुए इवेंट होराइजन टेलीस्कोप (ईएचटी) शोध का नतीजा है। अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ के रूप में शुरू किए गए इस शोध का उद्देश्य विभिन्न ब्लैक होल की नजदीक से जानकारी जुटाना है। वैज्ञानिकों को इस अध्ययन से जो जानकारी मिली है, उससे 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा दिया गया सापेक्षता का सिद्धांत (थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी) और पुष्ट हुआ है। इस उपलब्धि पर वैज्ञानिक शेपर्ड डोलमैन ने कहा, ‘हमने वह हासिल कर लिया है, जिसे कुछ पीढ़ी पहले तक असंभव माना जाता था।’ लोगों ने इस मौके पर महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग को भी याद किया। हॉकिंग ने ब्लैक होल पर व्यापक अध्ययन किया था।

कैसे ली गई तस्वीर?: असल में किसी भी ब्लैक होल की तस्वीर लेना असंभव है। ब्लैक होल ऐसी संरचना है, जिससे प्रकाश भी वापस नहीं आता। ब्लैक होल की एक सीमा होती है, जिसमें पहुंचते ही कोई भी पिंड घूमते हुए धीरे-धीरे उसके केंद्र में समा जाता है। ब्लैक होल में हर पल अनगिनत पिंड समा रहे होते हैं। इस प्रक्रिया में उसके चारों ओर प्रकाश और तरंगों का एक चक्र बन जाता है, जिससे छल्ले जैसी आकृति बनती है। वैज्ञानिकों ने ऐसी ही छल्ले की तस्वीर खींची है। उन तरंगों के बीच दिख रहा काला हिस्सा ही ब्लैक होल है

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