बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार 17 नवंबर को सायं काल  5 बजकर 13 मिनट होंगे शीतकाल के लिए बंद

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श्री बद्रीनाथ मंदिर को भव्य रुप से फूलों से सजाया

पंच पूजाओं के अंतर्गत चौथे  दिन मां लक्ष्मी जी को रावल जी द्वारा न्यौता भेजा गया

बद्रीनाथ धाम में हुई हल्की बर्फवारी

प्रदेश के वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत भगवान बद्रीविशाल के दर्शन को पहुंचे

मंदिर परिसर में हुआ भव्य स्वागत

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

श्री बदरीनाथ धाम : श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष 17 नवंबर, रविवार, कर्क लग्न में शायंकाल  5 बजकर 13 मिनट को शीतकाल हेतु बंद कर दिये जायेंगे। श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी के पांडुकेश्वर जाने एवं आदि गुरू शंकराचार्य जी के नृसिंह मंदिर  जोशीमठ प्रस्थान की तिथि 18 नवंबर तय है। इस अवसर हेतु बद्रीनाथ मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया है।

शनिवार दोपहर बाद प्रदेश के वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत भगवान बद्रीविशाल के दर्शन को धाम पहुंचे।  दर्शन के पश्चात मंदिर परिसर में उनका मंदिर समिति अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल द्वारा भब्य स्वागत किया गया। शाल अंगवस्त्र, प्रसाद एवं भगवान बद्रीविशाल का स्मृतिचिन्ह भेंट किया।

मंदिर समिति अध्यक्ष तथा मुख्यकार्याधिकारी ने वन मंत्री से मंदिर समिति के विद्यापीठ गुप्तकाशी तथा संस्कृत महाविद्यालय मंडल में जड़ी-बूटियों की नर्सरी तैयार किये जाने का भी प्रस्ताव भी रखा जिस पर वन मंत्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया।

श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत पंच पूजायें 13 नवंबर से शुरू हो गयी थी। 13 नवंबर  को  प्रातः श्री गणेश जी की पूजा आराधना एवं  देर शाम को भगवान गणेश जी के कपाट बंद हुए।

इससे पूर्व गुरुवार 14 नवंबर को श्री बद्रीनाथ  मंदिर में भोग लगने के पश्चात दिन में  रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा पूजा-अर्चना की भगवान आदि केदारेश्वर को अन्नकूट अर्थात पके चावलों का भोग चढ़ाया। आरती  एवं दीप प्रज्वलन के पश्चात दिन में 2 बजे आदिकेदारेश्वर एवं आदि गुरू शंकराचार्य मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद हुए। शुक्रवार 15 नवंबर  वेदों एवं धार्मिक पुस्तकों की पूजा के बाद देर  शाम से श्री बद्रीनाथ धाम में वेद ऋचाओं का पाठ बंद कर दिया गया। शनिवार को रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा भगवान बद्रीविशाल को भोग लगाने के पश्चात  पूजा-अर्चना कर मां लक्ष्मी को न्यौता दिया । 

इस अवसर पर  प्रदेश के वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत, श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, माननीय वन मंत्री जी के ओएसडी  श्री नरेंद्र सेमवाल जय प्रकाश इंड्रस्ट्रीज के संस्थापक जे.पी.गौड़  सदस्य अरूण मैठाणी, राजपाल सिंह जड़धारी, राजपाल सिंह पुंडीर,  श्रीमती  चंद्रकला ध्यानी, मुख्य कार्याधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, उप धर्माधिकारी सत्य प्रसाद चमोला, उप धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी   रविन्द्र भट्ट, ज्योतिष डिमरी, जयंती प्रसाद डिमरी एवं   सहायक अभियंता विपिन तिवारी,सहायक मंदिर अधिकारी राजेन्द्र चौहान, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी गिरीश चौहान, प्रबंधक राजेन्द्र सेमवाल, सहायक प्रबंधक अजय सती कमेटी सहायक संजय भट्ट, लेखाकार भूपेंद्र रावत, संजय चमोली, डा.हरीश गौड़,  अनसुया नौटियाल, एस आई गगन मैठाणी, दफेदार कृपाल सनवाल आदि मौजूद रहे। 

रविवार 17 नवंबर प्रात:काल भगवान का श्रृंगार एवं  एवं रावल जी द्वारा स्त्री भेष धारण कर मां लक्ष्मी को भगवान बद्रीविशाल के सानिध्य में विराजमान कर दिया जायेगा। अपराह्न  पश्चात भगवान बद्रीविशाल को घृतकंबल  ओढ़ने सहित रावल जी द्वारा कपाट बंद करने की प्रक्रिया के साथ सायं 5 बजकर 13 मिनट पर भगवान बदरीनाथ भगवान के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये जायेंगे।

सोमवार 18 नवंबर श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी का पांडुकेश्वर तथा आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी का नृसिंह मंदिर हेतु प्रस्थान एवं रात्रि विश्राम  योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर  में होगा। 19 नवंबर आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल जी  का  पांडुकेश्वर से नृसिंह मंदिर जोशीमठ आगमन होगा। कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ मंदिर को भव्य रुप से सजाया गया है। कपाट बंद होने से पूर्व भी श्रद्धालुओं का दर्शन के लिए आने का सिलसिला जारी है। 

इस अवसर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, उपाध्यक्ष अशोक खत्री एवं सदस्यगण, रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, मुख्य कार्याधिकारी बी.डी.सिंह, उपमुख्य कार्याधिकारी सुनील तिवारी, कार्याधिकारी एन.पी.जमलोकी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल सहित मंदिर समिति के अधिकारी-कर्मचारी,हक-हकूकधारी एवं श्रद्दालुगण मौजूद रहेंगे।