मुख्यमंत्री बदलने की दुकान सजी हैं ये चंद दलालों की हैं, उनके खैरख्वाहों की ही नज़र आ रही हैं

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इस अभागे राज्य में इस तरह की दुकानें न सजती तो हम बहुत आगे निकल गए होते

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
उत्तराखण्ड गर्म है शायद यहाँ की सर्दी चली गयी, हर तरफ CM को बदलवाने की दुकानें सजी थी, शायद जब उत्तराखंड बना तब हमारे शहीदों ओर माताओं ने ये नहीं सोचा था कि जिस राज्य को बनाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया है उस राज्य को मुहम्मद गजनवी बनकर बाहरी आक्रांता लुटेरे आकर लूट करेंगे और हमारे लोग तमाशा देखते रहेंगे,काश हर बार इस अभागे राज्य में इस तरह की दुकानें न सजती तो हम बहुत आगे निकल गए होते।
आखिर क्यों इस तरह की हवा चली क्या किसी का भी दिल्ली से आना ये संकेत है कि मुख्यमंत्री बदलेगा, आखिर क्यों वे लोग उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बनने को आतुर है जिनकी दिल्ली में अपनी-अपनी दुकानें सजी हुईं हैं जो दिल्ली में बैठकर उत्तराखंड को चलाना चाहते हैं जबकि उन्हें पार्टी कई बार मौक़ा दे चुकी है और वे हमेशा पार्टी की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाएं हैं। दिल्ली में बैठकर मीडिया ट्रायल करने में महारत हासिल प्राप्त ऐसे लोग जो दलालों और रिश्वतखोरों के पनाहगार रहे हैं वे आखिर क्यों प्रधानमंत्री मोदी ,अमित शाह और नड्डा जैसे नेताओं के खून पसीने से खड़ी की गयी इस पार्टी को अपने गंदे मंसूबों को मूर्तरूप देने की तिकड़मबाज़ी में बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।
आखिर क्यों बदले जाए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, क्या इसलिए कि उन्होंने भ्रष्टाचार कम कर दिया या बाहरी लुटेरों और दलालों की दुकानें बंद कर दी या यूं कहें कि चंद लोगो की जो भीड़ जो दिल्ली के दलाल स्ट्रीट से लेकर उत्तराखंड के सचिवालय में केवल दलाली करने के लिए घूमती थी उन्होंने उन दलालों की फ़ौज खत्म कर दी, उनका सचिवालय में प्रवेश बंद कर दिया, तो क्या इसलिए मुख्यमंत्री बदल दें, या चंद लोगों को सत्ता की मलाई और मीट भात खाने का मौक़ा नहीं मिल रहा इसलिए मुख्यमंत्री बदल दें ,या गैरसैण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बना कर राज्य आंदोलनकारी शहीदों के सपनों को पंख देकर उसने विकास के मार्ग पर एक कदम आगे बढ़ाया है, इसलिए मुख्यमंत्री बदल दें
या इसलिए मुख्यमंत्री बदला जाए या कि वे सादगी से रहते हैं और पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह रात्रि पार्टी का आयोजन नहीं करते ,महंगी शराब या शबाब के शौक़ीन नहीं हैं ,इसलिए मुख्यमंत्री बदल दें, मुख्यमंत्री आवास में दलालों का अब जमघट नहीं लगता इसलिए मुख्यमंत्री बदल दें या वे गलत और झूठे वादे कर लोगों को बरगलाते हैं, इसलिए मुख्यमंत्री बदला जाए, आखिर दलालों का प्रवेश खोल दिया जाए जो उत्तराखंड को लूटने के लिए पिछले चार सालों से कुलबुला रहे हैं। यानि उत्तराखंड को लूटने दिया जाए शायद तब सबको सही लगेगा, ये जो मुख्यमंत्री बदलने की दुकान सजी हैं ये चंद दलालों की है, उनके खैरख्वाहों की ही नज़र आ रही हैं।
आखिर क्या जनता ने कोई मांग की है या कोई बड़ा घोटाला सामने आया हो , ये अलग है कि कुछ नासमझ अधिकारी गलती कर रहे हैं तो उनको हटाने की जगह सीधा निशाना मुख्यमंत्री क्यों ?  क्या उन अधिकारियों के भ्रष्टाचार की जांच की मांग नहीं होनी चाहिए कि कहीं वे ही तो परदे के पीछे से ये खेल तो नहीं खेल रहे। 
आखिर ऐसा ईमानदार मुख्यमंत्री जिस पर कोई आरोप नहीं है जिसको जनता भी सज्जन ओर ईमानदार कहती हो जिसको माताओं ओर बेटियों की चिंता हो, जिसको यहाँ के युवाओं का दर्द हो , उसको इन चंद गलत अधिकारियों और दलालों की भेंट नहीं चढ़ने दिया जाना चाहिए , उत्तराखंड के वो चिंतक और लोग जो वास्तव में उत्तराखंड का हित चाहते हैं उनको आगे आना चाहिए , नही तो चंद बाहरी लोग जो आजकल परेशान हैं वे वापस आकर राज़ करेंगे और आप सब तमाशा देखेंगे, जागो उत्तराखंड जागो

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