फर्जी सर्वें के फर्जीवाड़े से खुद चैनल की ही तो हुई फजीहत

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रातों रात खुद ही हटाना पड़ा वेबसाइट से लेकर सोशल मीडिया तक के कंटेंट 

प्रदेश की जनता ने नकारा फर्जी सर्वे, और चैनल को पड़ी जमकर गालियां 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
एक बार पुनः त्रिवेंद्र सिंह सरकार के काम और उनकी पारदर्शी छवि निखर कर सामने आई है। इस बार यह छवि खुद फर्जी सर्वे दिखाकर टीआरपी वसूलने वाले न्यूज चैनल की ओर से आई है। जी हां, एक न्यूज चैनल ने जिस तरह से उत्तराखंड सहित हरियाणा के मुख्यमंत्री की छवि ख़राब कर फर्जी सर्वें से टीआरपी वसूल करने की सोची थी। उसे प्रदेश की जनता ने नकारते हुए सर्वे को जहां फर्जी करार दिया वहीं चैनल के इस फर्जीवाड़े से खुद उसकी ही फजीहत हुई है। उसी सर्वें वाली खबर पर चैनल को जनता द्वारा मिल रही गालियों और तीखी टिप्पणियों के चलते अपनी वेबसाइट और आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से हटाने पर मजबूर होना पड़ा है। अब यह सवाल उठना तो लाजिमी ही है कि अगर सर्वें का मजबूत आधार होता या सर्वें में वास्तविकता से लेनादेना होता। तो न्यूज चैनल को यूं ही बैकफुट पर नहीं आना पड़ता।  वहीं यह भी जानकारी मिली है यह चैनल विज्ञापन के नाम पर उत्तराखंड और हरियाणा सरकारों से करोड़ों रुपया बीते चार सालों में ले चुका है। जानकारों का कहना है कि इस तरह की फर्जी सर्वे की ख़बरें दिखाकर यह चैनल और ”डील” करने का सरकारों पर दबाव बनाना चाहता होगा।  
कोई भी न्यूज चैनल कभी भी मजबूत आधार और पक्की खबर को न तो बिना प्रमाण के और न ठोस जानकारी के होते हुए नहीं हटाता, बल्कि उसे और भी ज्यादा प्रमोट करता है। इसके लिए वह ऐसी खबरों को और उसके प्रोमो को बार-बार प्रसारित करता है, और वेबसाइट पर मोस्ट व्यू वाली लिस्ट में रखता है। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया अकाउंट पर भी ज्यादा से ज्यादा शेयर करता है। यहां तक ही गूगल में सर्च करने पर भी ऐसी खबरें सबसे ऊपर दिखाई देती हैं। बहरहाल, एक बात को स्पष्ट हुई कि उत्तराखंड की स्वच्छ, पारदर्शी और ईमानदार प्रदेश सरकार पर दिखाया गया सर्वें तो गलत था ही साथ ही हरियाणा के मुख्यमंत्री के बारे में जो टिप्पणियां चैनल के प्रस्तोता द्वारा कथित सर्वे के शुरू में ही दिखाया गया था वह सब प्रायोजित और बेसिर पैर का ही निकला। लेकिन एक बात यह भी जरूर है इस सर्वे से इसकी मंशा तो जरूर साफ़ हो गयी कि कहीं न कहीं इसके पीछे कोई और था, लेकिन इस कथित सर्वे ने चैनल द्वारा पत्रकारिता के उच्च मानदंडों के पालन न करने पर चैनल की साख पर जरूर बट्टा लगा है। 
गलत सर्वें दिखाने पर चैनल की हुई फजीहत…
न्यूज चैनल की ओर से उत्तराखंड व त्रिवेंद्र सरकार की गलत छवि प्रसारित करने पर राज्य की जनता में भारी आक्रोश था। खुद राज्य के अलग-अलग जगहों पर जनता और राजनीतिक विशेषज्ञों ने इसकी निंदा की थी। जहां एक ओर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट सीएम का अवाॅर्ड मिल चुका है, वहीं ऐसा सर्वे दिखाना पूर्ण रूप से प्रायोजित ही नजर आता है। अब बात आती है, गलत सर्वें को पहले प्रसारित करना और अब बैकफुट पर लौटते हुए अपनी वेबसाइट और ट्वीटर अकाउंट से खबर को ही हटा देना। क्या इससे न्यूज चैनल की फजीहत नहीं हुई।
जब से चैनल बैकफुट पर आया है, उत्तराखंड ही नहीं, देश के अन्य क्षेत्रों में भी इस न्यूज की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
कांग्रेस ने लिए चटकारे, लेकिन अब क्या है जवाब ?
फर्जी सर्वें वाली खबर से उस समय मानों विपक्ष को कोई मुद्दा मिल गया हो। इस प्रसारण के अगले दिन विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस जिसका राज्य में अब कोई आधार ही नहीं रह गया। को विषय मिला। तो एक मौके को उसने अच्छी तरह से भुनाया। राज्य में जगह-जगह पर आतिशबाजी और मिष्ठान वितरण कार्यक्रम चलाए गए। सरकार विरोधी नारे भी लगते दिखे। तो वहीं आम आदमी पाटी आदि ने भी इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी।
अब यहां विपक्ष से सवाल पूछा जाना चाहिए कि जिस न्यूज चैनल के सर्वें की वास्तविकता को जाने, वह सरकार के खिलाफ बोल रहे थे। एक बार सरकार से सवाल करने से पूर्व चैनल से सर्वें का आधार, मजबूती और वास्तविकता तो जान लेते। चूंकि अब जब चैनल की हकीकत सामने आई तो ऐसे में विपक्ष क्या सरकार के पक्ष में नारे लगाएगा और अपनी गलती पर पश्चाताप करेगा।
उत्तराखंड राज्य और उसकी जनता की हुई जीत ?
फर्जी सर्वें वाली खबर को अपनी वेबसाइट व आधिकारिक ट्वीटर से हटाकर न्यूज चैनल ने स्वयं ही सत्यता जनता के सामने रख दी। इससे उत्तराखंड और उसकी जनता की जीत हुई है। जनता के भारी आक्रोश के बूते चैनल को अपनी खबर को हटाने पर मजबूर होना पड़ा। मगर, एक सवाल अब भी उठता है, आखिर उत्तराखंड को साॅफ्ट टारगेट क्यों बनाया जा रहा है, वह कौन लोग है जो लगातार अपनी असफल कार्य से सरकार और राज्य को गलत तरीके से पेश करना चाहते हैं ?