ले. जनरल हणुत सिंह समाधि स्थल का विवाद विधानसभा में उठा

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  • कांग्रेस विधायकों ने उठाया ले. जनरल हणुत सिंह समाधि का मुद्दा 
  • कांग्रेस : सफेदपोश और अधिकारियों ने किया समाधि को सील
  • हणुत सिंह ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान आर्म्ड ब्रिगेड किया था सफाया 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : भारतीय सेना के वीर योद्वा ले. जनरल हणुत सिंह जिन्हें संत जनरल भी कहा जाता है..उनकी समाधि स्थल का विवाद आज विधानसभा सत्र में गूंज उठा। कांग्रेस विधायकों करन माहरा और मनोज रावत ने हणुत सिंह की समाधि स्थल का मुद्दा उठाया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कुछ सफेदपोश और अधिकारी ने समाधि को सील किया है और उनकी नजर उस बेशकीमती जमीन पर टिकी हुई है। कांग्रेस ने मांग की कि दोषियों पर कार्रवाई की जाए और राज्य सरकार समाधि स्थल को अपने संरक्षण में सील को फौरन खोले। बताते चलें कि नगर निगम ने 10 अगस्त को राजपुर रोड स्थित शिवबालयोगी आश्रम से लगी हणुत सिंह के मकान और समाधि स्थल को सील कर दिया और वहां रह रहे कर्मचारियों को बिना सामान निकाले बाहर कर दिया।

गौरतलब कि हणुत सिंह एक ऐसे जांबाज सबूत थे जिन्होने अपनी वीरता से दुश्मन देश के दांत खट्टे कर दिये। हणुत सिंह ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की पूरी आर्म्ड ब्रिगेड का सफाया कर दिया।युद्व के बाद पाकिस्तान ने भी इस वीर योद्वा को फ्रक-ए-हिन्द की उपाधि से सम्मानित किया।हणुत सिंह को टैंक युद्व का जनक कहा जाता है आज भी हणुत सिंह की टैंक रणनीति का अनुसरण भारतीय सेना करती है।संत जनरल के नाम से विख्यात हनुत सिंह ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए।एक और पाकिस्तान की पूरी आर्म्ड ब्रिगेड थी और दूसरी और हनुत सिंह मात्र 17 पूना हॉर्स को कमांड कर रहे थे।बैटल ऑफ़ बसन्तरा के नाम से प्रसिद्ध उस लड़ाई में हनुत सिंह ने अपनी जादुई नेतृत्व क्षमता और अदम्य साहस के दम पर पाकिस्तान की आर्म्ड ब्रिगेड को धूल चटा दी।उनके साहस और शौर्य को देखते हुए भारत सरकार ने हणुत सिंह को महावीर चक्र से सम्मानित किया।

भारतीय सेना के स्वर्णिम इतिहास का वो हीरा भले ही अब हमारे बीच नहीं हो लेकिन कर्मभूमि और धर्मभूमि के क्षेत्र में कई कहानियां सेना में मौजूद है।10 अगस्त को अचानक नगर निगम और प्रशासन की टीम ने उनकी समाधि और मकान को सील कर दिया।सीलिंग की इस कार्रवाई पर कई सवाल भी खडे हुए।संत जनरल’ के नाम से मशहूर और महावीर चक्र से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) हनुत सिंह 10 अप्रैल 2015 को बैठे बैठे ध्यानयोग की मुद्रा में समाधि(निधन) में प्रवेश कर गए।संत हनुत सिंह आजीवन ब्रह्मचारी रहे।पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह उनके चचेरे भाई रहे है।

राजस्थान के बाड़मेर जिले के जसोल में पैदा हुए सिंह की स्कूली शिक्षा देहरादून में हुई थी। सेना में शामिल होने के बाद उन्होंने भारतीय सेना की 17 पूना हॉर्स की कमान संभाली, जिसने बसंतर के युद्घ में पाकिस्तान की आठ आर्म्ड ब्रिगेड का पूरी तरह सफाया कर दिया था। 1991 में रिटायर होने के बाद उन्होंने सांसारिक मोह त्याग दिया और यहां राजपुर रोड स्थित शिवबाला आश्रम में तपस्ता करने लगे।हाल ही में हणुत सिंह के अनुयाईयों ने भी राज्य सरकार को एक माह का अल्टीमेटम दिया है।राजस्थान,हरियाणा,मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश,दिल्ली और उत्तराखंड के सैकडों अनुयायी जल्द हणुत सिंह की समाधि में लगी सील को खोलने की मांग कर रहे है।