सामरिक दृष्टि से सीमांत जिलों में हवाई पट्टी बनाने की तैयारी

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देहरादून : उत्तराखंड के सीमान्त जिलों में प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के सहयोग से चमोली जिले के गैरसैंण व अल्मोड़ा जिले के चौबटिया के बीच हवाई पट्टी बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए केंद्र व सेना की संयुक्त टीमें इलाके का विस्तृत सर्वे भी कर चुकी हैं। अभी तक यहाँ चिह्नित की गई भूमि हवाई पट्टी के लिए उपयुक्त पाई गई है। इस क्षेत्र के चीन सीमा से निकट होने के कारण इसे सामरिक दृष्टिकोण से भी काफी अहम माना जा रहा है।

उत्तराखंड का चमोली जिला भारत-चीन सीमा पर स्थित है। चीन से चल रही तनातनी के बाद केंद्र की नजरें उत्तराखंड की चीन से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भी हैं। यहां लगातार सुरक्षा बढ़ाने की तैयारी चल रही है। प्रदेश सरकार के साथ थल सेना व वायु सेना के अधिकारियों का लगातार संवाद जारी है।

थल सेना का तो उत्तराखंड में खासा मजबूत बेस भी हैं। देहरादून के साथ ही लैंसडौन, रानीखेत, गोचर आदि स्थानों पर सेना की कई यूनिट तैनात हैं। वायुसेना का उत्तराखंड में अभी बहुत मजबूत आधार नहीं है।

वायुसेना के दो अहम एयर बेस सहारनपुर व बरेली में हैं। यहां से उत्तराखंड से सटी चीन सीमा की हवाई दूरी एक घंटे से अधिक समय की है। इसे देखते हुए वायु सेना के अधिकारियों ने बीते माह उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत तमाम आला अधिकारियों से वार्ता की थी।

इसमें वायु सेना ने उत्तराखंड में प्रस्तावित यूनिटों की जानकारी देने के साथ ही इनके सामरिक महत्व के बारे में बताया। इसी का हिस्सा उत्तराखंड में एक हवाई पट्टी बनाना भी था। वैसे तो केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से यहां हवाई पट्टी बनाने का प्रस्ताव आया है, लेकिन माना जा रहा है कि यह सेना के इस्तेमाल के लिए बनाई जा रही है।

सूत्रों की मानें तो इस संबंध में प्रदेश सरकार को जमीन मुहैया कराने को कहा गया है। इसके लिए केंद्र व सेना के अधिकारियों की उत्तराखंड शासन के आला अधिकारियों से दो दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं।

अब यह मामला क्योंकि सेना व सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए कोई भी अधिकारी इसमें कुछ भी बोलने से बच रहा है। यदि यह हवाई पट्टी बनती है तो यह प्रदेश में सीमांत क्षेत्र में चौथी हवाई पट्टी होगी। अभी प्रदेश में गोचर, चिन्यालीसाड़ व नैनीसैनी में हवाई पट्टी बनी हुई हैं मगर बड़े जहाज उतारने के लिए इनमें काफी काम किया जाना शेष है।