अचानक दिल्ली गए मुख्यमंत्री और लौट भी आये मंत्रिमंडल विस्तार की तेज़ हुई चर्चाएं

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मुख्यमंत्री करेंगे 12 प्रमुख विभागों की विभागवार समीक्षा

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत गुरूवार 01 अगस्त से विभिन्न विभागों की विभागवार विभागीय स्तर पर संचालित योजनाओं एवं कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री ने सभी विभागाध्यक्षों को विभागीय कार्यों के प्रगति की अद्यतन जानकारी के साथ बैठक में उपस्थित होने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से संचालित योजनाओं, निर्माणाधीन योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण के साथ ही उनके क्रियान्वयन में तेजी लाने को कहा है। 
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने यह भी निर्देश दिये हैं कि योजनाओं का क्रियान्वयन निर्धारित समय सीमा के अन्दर सुनिश्चित किया जाय। योजनाओं के समय पर प्रभावी क्रियान्वयन से ही उसका लाभ समय पर आम जनता को मिलता है। जनहित एवं जन संतुष्टी हमारा उद्देश्य होना चाहिए।
इसी क्रम में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र गुरूवार 01 अगस्त को पूर्वाह्न 11ः00 बजे से सचिवालय में लोक निर्माण विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, औद्योगिक विकास विभाग, आबकारी विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, वित्त एवं नियोजन विभाग, गृह विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, ऊर्जा विभाग, पेयजल विभाग, राजस्व विभागों की समीक्षा बैठक करेंगे मुख्यमंत्री इस अवसर पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों से योजनाओं के क्रियान्वयन से सम्बन्धित जानकारी भी प्राप्त करेंगे।

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अचानक दिल्ली दौरे पर निकलने से एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं। दरअसल, जून में मुख्यमंत्री स्वयं मंत्रिमंडल विस्तार की बात कह चुके हैं, हालांकि इसके बाद विभिन्न कारणों से बात आगे नहीं बढ़ पाई थी।

उत्तराखंड विधानसभा में 70 विधायक हैं। इस लिहाज से यहां अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल ही बन सकता है। मार्च 2017 में मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने मंत्रिमंडल में नौ विधायकों को शामिल किया। तब दो पद शेष रह गए थे। तब से ही कई विधायक इन पदों के भरने की बाट जोह रहे हैं।

दो माह पूर्व संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री प्रकाश पंत के आकस्मिक निधन के चलते मंत्रिमंडल में एक पद और रिक्त हो गया। इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद और बलवती हो गई। जून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद मंत्रिमंडल विस्तार की बात कही। हालांकि, तब उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि मंत्रिमंडल में रिक्त चल रहे तीन पदों में से कितने भरे जाएंगे। इन पदों के लिए संभावित दावेदारों ने बाकायदा दिल्ली तक लाबिंग शुरू कर दी थी लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार मूर्त रूप नहीं ले पाया।

वैसे यदि, देखा जाए तो मुख्यमंत्री के लिए नए मंत्रियों की नियुक्ति किसी चुनौती से कम नहीं है। मौजूदा सरकार में 20 से ज्यादा भाजपा विधायक ऐसे हैं, जो दो या इससे ज्यादा बार विधायक रह चुके हैं। इनमें पांच पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। जाहिर है कि इतने दावेदारों के बीच में से मंत्रिमंडल के रिक्त पदों के लिए उपयुक्त विधायक को चुनना किसी चुनौती से कम नहीं है।

हालांकि, यह पहले से ही तय है कि केंद्रीय नेतृत्व जिसके नाम पर मुहर लगाएगा वहीं मंत्रिमंडल में जगह पाएगा। बुधवार को जिस तरह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अचानक दिल्ली रवाना हुए, उससे चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। हालांकि, मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि मुख्यमंत्री ने कुछ मंत्रियों से मुलाकात के लिए पहले समय मांगा था। इनमें से कुछ ने समय दे दिया है, इस कारण वह उनसे मिलने दिल्ली गए हैं।