NH-74 मुआवजा घोटाले में अब SIT को है सरकार की ”हाँ ”का इंतज़ार!

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  • आर्बिट्रेटर रहे तत्कालीन जिलाधिकारियों तक पहुंची SIT जांच की आंच! 
  • प्रवर्तन निदेशालय की रडार पर हैं तत्कालीन समय में तैनात रहे अधिकारी!
  • एनएचएआई के कुछ अधिकारियों से भी हुई है फौरी पूछताछ!

राजेन्द्र जोशी 

देहरादून : राष्ट्रीय राज मार्ग-74  (NH -74) मुआवजा घोटाले में अपर जिलाधिकारी (ADM)तक के लिप्त होने की जानकारी और उसकी गिरफ्तारी के बाद अब जांच की आंच अब उधम सिंह नगर जिले के तत्कालीन दो जिलाधिकारियों जो मामले के आर्बिट्रेटर  रहे थे,की एसआईटी ने पत्रावलियां खंगालनी शुरू कर दी है। मामले में SIT ने सरकार से आर्बिट्रेटर रहे दोनों जिलाधिकारियों से पूछताछ के लिए औपचारिक स्वीकृति मांगी है।  इसके बाद अब सूबे में डबल इंजन की सरकार की अग्निपरीक्षा का समय निकट आ गया है कि वह भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है अथवा मामले में जांच के लिए बुलाये गए अधिकारियों पर नरमी बरतते हुए भ्रष्टाचार पर खुद ही कठघरे में खड़ी हो जाएगी ? सत्ता के गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि पूरे  मामले पर प्रवर्तन निदेशालय की नज़र भी लगी हुई है कि तत्कालीन समय में तैनात रहे अधिकारियों ने भ्रष्टाचार से कमाया धन कहाँ-कहाँ इन्वेस्ट किया है। 

उल्लेखनीय है कि निलंबित एडीएम की गिरफ्तारी के बाद एसआईटी की टीम  ने अब तत्कालीन समय में आर्बिट्रेशन में हुए कुछ निर्णयों की पत्रावलियां खंगालनी शुरू कर दी हैं। वहीँ एसआईटी एनएचएआई -74 मुआवजा घोटाले में आर्बिट्रेटरों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है। एनएच -74 मुआवजा घोटाले में अपर जिलाधिकारी ने घोटाले की जो एफआईआर दर्ज कराई थी उसमें एनएचएआई के अफसरों को भी नामजद किया गया था। लेकिन केंद्र के एक बड़े नेता के पत्र के बाद इस मामले में  इन अधिकारियों पर की जा रही जांच में ढील बरतनी शुरू कर दी थी लेकिन जब जांच टीम को मामले में इनकी भूमिका संदिग्ध होने का पता चला तो एसआईटी ने पूर्व में एनएचएआई के कुछ अधिकारियों से फौरी पूछताछ की।

गौरतलब हो कि त्रिवेन्द्र सरकार के सत्ता में आने के बाद एसआईटी इस घोटाले में पांच पीसीएस अफसरों को अब तक जेल भेज चुकी है। सूत्रों के अनुसार एसआईटी अब आर्बिट्रेशन प्रोसेस की जांच करेगी। क्योंकि मामले की जांच में एसआईटी को यह भी पता चला है आर्बिट्रेशन में कुछ  अनियमितता बरती गयी है। जिसके लिए शासन को पत्र भी लिखा जा चुका है । इधर एसएसपी डा. सदानंद शंकर राव दाते ने इस बात की पुष्टि की है कि एसआईटी एनएचएआई के अफसरों की भूमिका की भी जांच करेगी। गौरतलब हो कि इस घोटाले का पर्दाफाश करने वाले तत्कालीन मंडलायुक्त सेंथिल पांडियन ने घोटाले में एनएचएआई के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया था और तीन सौ करोड़ से अधिक के इस घोटाले में जांच रिपोर्ट में एक पूरे सिंडीकेट का जिक्र किया गया था।

मामले में अब डबल इंजन की सरकार को जनता के सामने जहाँ अपनी छवि चमकाने का मौक़ा सामने आया है वहीँ सरकार की अग्निपरीक्षा का समय भी सामने आ गया है कि वह भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर अभी भी अडिग है अथवा भ्रष्टाचार पर वेरो टोलरेन्स का नारा महज दिखावे के लिए ही है। उल्लेखनीय है कि सरकार के सत्ता में आने के दौरान सरकार के सामने भ्रष्टाचार और घोटाले का यह पहला इतना बड़ा मामला सामने आते ही मुख्यमंत्री ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए मामले की सीबीआई जांच की घोषणा की थी लेकिन उस दौरान सरकार आये तमाम दबावों के बाद सरकार ने मामले में एसआईटी जांच का निर्णय दिया था। यहाँ इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि मामले में एसआईटी की जांच पर राज्य की जनता में सरकार के पारदर्शी प्रशासन और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का सन्देश गया है।  अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार अपनी यह छवि बरक़रार रखती है नहीं ?