35 सालों में 900 से अधिक जवानों की शहादत ले चुका है सियाचिन ग्लेशियर

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काजी और बाना पोस्ट के बीच हिमस्खलन की चपेट में सैनिक 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : सियाचिन को दुनिया के युद्ध के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां हिमस्खलन या प्रतिकूल मौसम की वजह से औसतन अब तक हर महीने दो जवान शहीद होते रहे हैं। वर्ष 1984 से लेकर अब तक के आंकड़ों पर यदि गौर किया जाय तो यहां अभी तक 900 से अधिक जवान शहीद हो चुके हैं।

सियाचिन ग्लेशियर में सोमवार को दोपहर बाद भारी हिमस्खलन में सेना की पेट्रोलिंग पार्टी के आठ जवान व पोर्टर लापता हो गए थे । इनमें से छह की मौत हो गई है। घटना के बाद व्यापक पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया था। सेना ने इसकी पुष्टि कर दी है।

सैन्य प्रवक्ता के अनुसार 19 हजार फुट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर के उत्तरी सेक्टर में काम कर रहे आठ कर्मचारी हिमस्खलन की चपेट में आ गए। सूचना पर पास के पोस्ट से बचाव टीम को तत्काल मौके पर भेजकर बचाव कार्य शुरू किया गया। बर्फ में दबे आठ लोगों को निकालकर हेलीकाप्टर से पास के सैन्य अस्पताल में पहुंचाया गया। इनमें सात की हालत गंभीर थी। इलाज के दौरान छह की मौत हो गई। इनमें चार जवान तथा दो पोर्टर शामिल हैं, जिन्होंने काफी देर तक बर्फ में दबे रहने के कारण दम तोड़ दिया।

सैन्य प्रवक्ता के अनुसार जिस वक्त हिमस्खलन हुआ जवान उत्तरी ग्लेशियर में थे। पोर्टर्स समेत पेट्रोलिंग पार्टी चौकी पर बीमार एक अन्य व्यक्ति को निकालने गई थी। इसी दौरान दोपहर बाद लगभग तीन बजे भारी हिमस्खलन हो गया। इसकी चपेट में आकर पेट्रोलिंग पार्टी के सभी लोग दब गए। सूत्रों ने बताया कि पेट्रोलिंग ड्यूटी 6 डोगरा के जवानों की थी। काजी और बाना पोस्ट के बीच वे हिमस्खलन की चपेट में आ गए। अभियान में मदद के लिए खोजी कुत्ते भी लगाए गए हैं।

गौरतलब हो कि युद्ध के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र के पहचाने जाने वाले सियाचिन इलाके में भारत ने 1984 में सेना की तैनाती की थी। क्योंकि मानव रहित भारत के इस इलाके में इस दौरान पाकिस्तान की ओर से अपने सैनिकों को भेजकर यहां कब्जे की कोशिश की गई थी,जिसके के बाद से लगातार यहां जवानों की तैनाती होती रही है। हालाँकि यह इलाका पकिस्तान के लिए भी मुफीद नहीं है उसका भी यहाँ काफी सैन्य नुकसान होता रहा है लेकिन पकिस्तान अपनी कारगुजारियों में तब भी सुधार नहीं ला पाया है और वह हमेशा इस इलाके पर कब्जे की नियत रखता रहा है, लेकिन भारतीय सैनिकों की मुस्तैदी से वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया है।