श्राइन बोर्ड विधेयक (देवस्थानम प्रबंधन विधेयक) विधान सभा से हुआ पारित

विधानसभा का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए हुआ स्थगित

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देवस्थानम प्रबंधन विधेयक के बाद अब बदल जाएगी प्रदेश में चारधाम और 54 मंदिरों की प्रबंधन व्यवस्था

 कांग्रेस टीएचडीसी विनिवेश के मामले में लेकर आई कार्यस्थगन का प्रस्तावदंड प्रक्रिया संहिता विधेयक भी पारित, सत्र अनिश्चितकाल के लिए हुआ स्थगित 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

सरकार हकहकूकधारियों की सुरक्षा को कृतसंकल्प

उत्तराखंड के चारों धाम देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में आ जाने के बाद और भी सुदृढ़ और व्यवस्थित होंगे। चारों धामों का प्रबंधन और अवस्थापना विकास भी सुव्यवस्थित होगा। इतना ही नहीं विश्व प्रसिद्ध चार धामों व उनसे जुड़े मंदिरों के प्रबंधन की व्यवस्था के लिए यह एक ऐतिहासिक कदम है। सरकार हकहकूकधारियों की सुरक्षा को कृतसंकल्प है।’
त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री

देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा का पांच दिनों से चल रहा शीतकालीन सत्र मंगलवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। इस दौरान सदन की कार्यवाही 20 घंटे 12 मिनट चली। जबकि सरकार ने इस शीतकालीन सत्र में 19 विधेयक पारित कराए। हालाँकि सरकार को चारों धामों की व्यवस्था को पटरी पर लाने के उद्देश्य से बनाए गए श्राइन प्रबंधन विधेयक को लेकर जहां सदन के भीतर विपक्ष  के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा वहीं सदन के बाहर सरकार को तीर्थ पुरोहितों सहित मंदिरों के हक़-हकूक धारियों और पंडा समाज के विरोध से भी दो-चार होना पड़ा। इस दौरान कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत विपक्ष ने 27 मामले उठाए। वहीं सरकारी और असरकारी कामकाज निबटाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने पांच दिन तक चले विधानसभा के इस शीतकालीन सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही संचालन में सहयोग के लिए सभी सदस्यों को धन्यवाद किया है।

इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि  चार दिसंबर से आरंभ हुए सत्र के दौरान सरकार 19 विधेयक और छह अध्यादेश लाई थी, जिन्हें सदन में पारित किया गया। इसके अलावा सदन में कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत 27 सूचनाएं  प्राप्त हुई, जिसमें से 25 की स्वीकृति दी गई। नियम 300 में 125 में से 28 को स्वीकृत किया गया और 28 को ध्यानाकर्षण के लिए भेजा गया।

उन्होंने बताया नियम 53 में 87 में से 10 सूचनाएं स्वीकृत हुई। नियम 310 में में दो सूचनाओं को नियम 58 में परिवर्तित किया गया।  स्पीकर ने बताया कि सदस्यों के कुल 893 प्रश्न प्राप्त हुए थे, जिसमें 194 तारांकित प्रश्नों में से 59 के सदन में उत्तर दिए गए। 633 अतारांकित प्रश्नों में से 365 के भी जवाब पटल पर आए। सदस्यों ने 13 अल्पसूचित प्रश्न पूछे थे, जिनमें से आठ के जवाब प्राप्त हुए। कुल 53 प्रश्न अस्वीकृत किए गए। 

देवस्थानम प्रबंधन विधेयक पारित, विपक्ष ने किया वॉकआउट

विधानसभा के अंतिम दिन करीब सवा तीन घंटे की चली चर्चा और विपक्ष के विरोध के बीच देवस्थानम विधेयक (उत्तराखंड चार धाम श्राइन प्रबंधन विधेयक) पारित हुआ। विपक्ष ने विधेयक पारित करने पर सदन से वॉकआउट किया।

विधेयक का नाम बदलने सहित कुछ अन्य संशोधनों से अब चारों धामों और इनके अधीन 54 मंदिरों की प्रबंधन व्यवस्था में बदलाव का रास्ता साफ हो गया। हालांकि विपक्ष की तरफ से इस विधेयक को प्रवर समिति के हवाले करने की भी मांग की जा रही थी। इसके अलावा सदन में दंड प्रक्रिया संहिता विधेयक भी पारित किया गया। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्षी सदस्यों ने अल्मोड़ा में हरी प्रसाद टम्टा शिल्पकला केंद्र को बजट न मिलने पर विधानसभा में धरना दिया। 

गौरतलब हो इससे पहले श्राइन बोर्ड के मुद्दे पर कांग्रेस ने सोमवार को सदन की कार्यवाही करीब सात बार स्थगित कराई थी। मंगलवार को सत्ता पक्ष पूरी रणनीति के तहत सदन में पहुंचा। भोजन अवकाश के बाद के सत्र में सरकार ने इस विधेयक पर दो घंटे की चर्चा कराना तय किया।

कांग्रेस की ओर से इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग की गई। करीब ढाई घंटे की चर्चा के बाद ध्वनिमत से यह विधेयक संशोधन के साथ पारित हुआ। अब इस विधेयक का नाम बदलकर देवस्थानम विधेयक कर दिया गया। हालांकि पहले कहा गया था कि सत्र की अवधि को बढ़ाया जा सकता है लेकिन विधेयक पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 

कांग्रेस का डेंगू पर सदन में गलत आंकड़े रखने का आरोप

नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने टीएचडीसी के विलय का उठाया मामला 

इससे पहले मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डा.इंदिरा हृदयेश ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत टीएचडीसी के विनिवेश का मुद्दा उठाया। नियम 58 में इसको सुने जाने का पीठ से आश्वासन मिलने के बाद विपक्ष ने सामान्य रूप से प्रश्नकाल चलने दिया। शून्य काल में रानीखेत विधायक करन माहरा ने आश्वासन समिति को अधिकारियों की ओर से रिपोर्ट न देने के मुद्दे को विशेषाधिकार हनन के तहत उठाया।

इस पर संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने जांच का आश्वासन दिया। प्रश्नकाल में भी कई सवालों ने समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को असहज किया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट भी सदन के पटल पर रखी गई। दंड संहिता प्रक्रिया (उत्तराखंड संशोधन ) विधेयक 2019 भी सदन से पारित हुआ।

उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन भी विपक्ष आक्रामक नजर आया। सत्र की कार्यवाही शुरु होते ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने टीएचडीसी के विलय का मामला उठाया। इस पर संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि इससे जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में है लिहाजा चर्चा में नहीं आ सकता।

प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने डेंगू से हुई मौतों का मामला उठाया। उन्होंने सरकार पर गलत आंकड़े देने का आरोप लगाया जिसका संसदीय कार्यमंत्री ने विरोध किया और कहा कि सरकार गंभीरता से जवाब दे रही है। प्रश्नकाल में डेंगू पर सवाल उठाते हुए विधायक ममता राकेश ने मांग की कि डेंगू पीड़ितों का मुफ्त इलाज करवाया जाए और डेंगू से मरने वाले के परिजनों को सरकार यूपी की तर्ज पर मुआवजा दे

इस पर संसदीय सचिव ने जवाब दिया कि डेंगू से मौत पर मुआवजे को लेकर अभी कोई विचार नहीं किया गया है। नेता प्रत्तिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने भी इस मामले में शामिल होते हुए कहा कि सरकार इसे हल्के ढंग से ले रही है। सरकार की तरफ से जिम्मेदार मंत्री गलत जवाब संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक अपने जवाब पर अड़े रहे।

उन्होंने कहा कि सरकार गंभीरता के साथ जवाब दे रही है। उन्होंने बताया कि सितंबर में डेंगू के 2803, अक्टूबर में 1357 और नवंबर 172 केस हुए हैं। विधायक महेंद्र भट ने जिलावार डेंगू से हुई मौतों का आंकड़ा मांगा।

संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि देहरादून में 6 और नैनीताल में 2 लोगों की डेंगू के कारण मौत हुई हैं, बाकी जिलों में कोई मौत नहीं हुई। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि वे इस मामले में विशेषधिकार हनन का नोटिस दे रही हैं।