गर्मी की आहट से आसन वैटलैंड से लौट चुके हैं सात प्रजातियों के विदेशी परिंदे

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देहरादून । देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड से दो और प्रजातियों के परिंदे भी अपना प्रवास खत्म कर मूल स्थान को लौट गए हैं। अब तक कुल सात प्रजातियांें के परिंदे वापस जा चुके हैं। वर्तमान में करीब 800 परिंदे ही प्रवास पर बचे हैं। इसमें सबसे अधिक संख्या रुडी शेलडक की है। 

आसन नमभूमि में अक्टूबर में परिंदे प्रवास को आने लगते हैं, जो अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक प्रवास पर रहते हैं। इस बार 20 विदेशी प्रजातियों के परिंदे प्रवास पर आए थे, बाकी लोकल प्रजाति के परिंदे प्रवास पर हैं। बीच में मौसम गर्म होने पर पांच प्रजातियों फेरीजूनस पोचार्ड, ब्लैक विंग्ड स्किल्ड, गैडवाल, कॉमन किंगफिशर, इंडियन कोरमोरेंट प्रजाति के परिंदे वापस लौट गए थे। बीच में मौसम कुछ ठंडा होने पर परिंदों की प्रवास अवधि बढ़ी। लेकिन, दिन का तापमान फिर बढऩे पर इरोशियन विजन व नार्दन पिनटेल्स भी मूल स्थान को वापस लौट गए हैं। आसन नमभूमि में अब प्रवासी परिंदों की संख्या घटकर 800 रह गई है।

चकराता वन प्रभाग के वन बीट अधिकारी प्रदीप सक्सेना के अनुसार सात प्रजातियों के परिंदे प्रवास खत्म कर वापस लौट चुके हैं। संख्या घटकर 800 के करीब रह गई है, जिसमें सुर्खाब की संख्या सबसे ज्यादा है। आसन वेटलैंड में मौजूद परिंदों में इंडियन स्पॉट बिल्ड डक, ग्रे लेग गूज, रुडी शेलडक, टफ्ड डक, पर्पल स्वेप हेन, कॉमन मोरहेन, कॉमन कूट, रीवर लोपविंग, ब्लैक हेडेड गल, पलास फिश ईगल, इरोशियन मार्क हेरियर, लिटिल ग्रेबी, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, डारटर, लिटिल कोरमोरेंट, लिटिल इ ग्रेट, ग्रेट इ ग्रेट, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, पाइज्ड किंगफिशर, मैलार्ड, स्पॉट बिल्ड डक, कॉमन पोचार्ड शामिल हैं।

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