महिलाओं के तेवरों को देख आबकारी और जिला प्रशासन के छूटे पसीने

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शराब के विरोध में तीसरे दिन भी धरने पर डटी रही महिलाएं

आबकारी और जिला प्रशासन के छूटे पसीने

रुद्रप्रयाग। शराब के विरोध में रुद्रप्रयाग जिले के ऊ खीमठ क्षेत्र की महिलाएं लामबंद हो  गई है। प्रशासन द्वारा शराब की दुकान को ना खोला जाय, इसके लिए महिलाएं रात को भी नहीं सो रही हैं और बाजार में धरना दे रही हैं। उनकी सुरक्षा के लिए कोई भी पुलिस बल तैनात नहीं किया गया है। ऐसे में महिलाओं को अपनी सुरक्षा का भी भय बना हुआ है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईवे और स्टेट हाईवे से पांच सौ मीटर की दूरी पर शराब की दुकान खोलने से जगह-जगह शराब विरोधी आंदोलन शुरू हो गये हैं। ग्रामीण महिलाओं ने शासन-प्रशासन और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रुद्रप्रयाग जिले में नौ शराब की दुकानों में दो ही संचालकों ने शराब की दुकान खोली हुई है, जबकि सात जगहों पर शराब की दुकान का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। ऐसे में जहां सरकार को करोड़ों की चपत लग रही है, वहीं शराब के व्यवसाय से जुड़े लोग भी बेरोजगार हो गये हैं।

वहीं ऊखीमठ नगर पंचायत क्षेत्र की महिलाओं ने शराब की दुकान के खिलाफ सडक़ों पर आंदोलन शुरू किया हुआ है। जब से सुप्रीम कोर्ट का ओदश आया है कि रुद्रप्रयाग जिले में शराब की दुकान खोली जायेंगी, तब से महिलाएं सडक़ों पर आई हैं। तीन दिनों से महिलाओं ने सडक़ों पर मोर्चा खोला हुआ है और रात को भी जागकर धरना दे रही हैं। इसके अलावा बसुकेदार, रुद्रप्रयाग, खांखरा, सतेराखाल, मयाली की दुकाने भी नहीं खुल रही हैं। यहां भी महिलाओं ने शराब के विरोध में मोर्चा खोल लिया है। ऐसे में दुकान संचालक कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। वहीं प्रशासन भी इस ओर कोई सकारात्मक कार्रवाई करता नहीं दिख रहा है।

शराब के विरोध में सडक़ों पर उतरी महिलाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर हैं। उनका कहना है कि सरकार युवाओं को रोजगार देने के वजाय नशे की ओर धकेल रही है। युवा रोजगार करने के वजाय शराब पीने में मदमस्त हैं। ऐसे में सामाजिक माहौल भी खराब होता जा रहा है। एक ओर धार्मिक स्थलों में आ रहे श्रद्घालुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है, वहीं युवाओं के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।

ऊखीमठ क्षेत्र की महिलाओं ने रविवार रात को भी मुख्य बाजार में शराब के विरोध में सडक़ पर धरना दिया। क्षेत्रीय महिलाएं भारी संख्या में धरने पर डटी रही। महिलाओं का कहना है कि जब तक शराब की दुकान को नहीं हटाया जाता है तब तक धरना जारी रहेगा। इस मौके पर सतेश्वरी देवी, मंजू देवी, सुरेशी देवी, अंजना रावत, बिन्देश्वरी, अंंजू देवी, राजेश्वरी देवी, सुलेखा देवी, सरस्वती देवी, कुशला, तीर्था देवी, बिछना देवी, गोदाम्बरी देवी, दीपा देवी, महेश्वरी देवी, सरोजनी देवी, रेखा देवी, विजया देवी, विनोदा देवी सहित अन्य मौजूद थे।

गौरतलब हो कि रुद्रप्रयाग जनपद में पिछले तीन दिन से महिलाओं ने शराब के विरोध में मोर्चा खोला हुआ है। तीन दिनों से शराब की दुकाने बंद पड़ी हुई हैं, जिस कारण सरकार को हर दिन सात लाख रूपये के राजस्व की हानि हो रही है।

जनपद में अग्रेंजी शराब की नौ दुकानेंहै और सभी दुकानों को पूर्व के अनुज्ञापियों ने छोड़ दिया है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करने के लिए आबकारी विभाग और जिला प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। वहीं जनपद की सभी दुकानें राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे से सटी हुई हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकान खोली जानी है, जिसका ग्रामीण महिलाएं पुरजोर विरोध कर रही हैं।

ऊखीमठ क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से आंदोलन चल रहा है और बसुकेदार, मयाली, तिलवाड़ा, सुमाड़ी, खांखरा, सतेराखाल, घोलतीर में महिलाएं आंदोलन के लिए तैयार हैं। यहां महिलाएं शराब की दुकान किसी भी सूरत में नहीं खुलवाना चाहती हैं। आंदोलित महिलाओं का कहना है कि जिस सरकार ने अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य सुविधायें और नौकरी देनी थी वह सरकार अब नई पीढ़ी को शराब परोस रही है। जिसका महिलाएं पूरा विरोध करेंगी और शराब की दुकान नहीं खुलने दी जायेगी।

इधर, ठेका संचालकों ने दुकाने छोडऩी शुरू कर दी हैं। ठेका संचालकों की माने तो शराब विरोधी आंदोलन के चलते दुकाने खोलना मुश्किल है। वहीं आबकारी अधिकारी ओमकार सिंह ने कहा कि नौ दुकानों में तीन दुकानों के अनुज्ञापियों से वार्ता चल रही है, बाकी सभी दुकानों पर विरोध तेज चल रहा है। सरकार ने शराब पर फिर से अधिभार भी लगाया है, जिसे भरना अनुज्ञापियों के लिए मुश्किल हो रहा है। अधिभार क्षमता से अधिक है। रुद्रप्रयाग दुकान का एक महीने का 60 लाख रूपये अधिकार है, जिस कार दुकान स्वामी कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है।