गुलाब के फूलों की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा

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  • तराई-भाबर की मिट्टी और मौसम गुलाब की खेती के लिए अनुकूल
हल्द्वानी । गुलाब के फूलों की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। हल्द्वानी ब्लॉक में प्रति सीजन गुलाब के 20 हजार पौधों की खपत हो रही है। इसके अलावा मोटाहल्दू, नयागांव में पॉलीहाउस में उगाए जा रहे गुलाब का दिल्ली तक निर्यात किया जा रहा है।
पांच लाख 90 हजार रुपये की लागत से तैयार पॉलीहाउस में एक सीजन में ही किसानों को ढाई लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा हो रहा है। तराई-भाबर की मिट्टी और मौसम गुलाब की खेती के लिए अनुकूल है। जिससे बारह महीने पौधों से पुष्प उत्पादन होता है। धार्मिक व शुभ कार्यों में गुलाब की पंखुड़ियों की डिमांड रहती है। जिससे बाजार में लगातार फूल की मांग बनी रहती है। साथ ही घर के आंगन में लगाने के लिए भी गुलाब के पौधे की मांग होने से किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं। 
कोलकाता, बनारस से आ रहा गुलाब देशभर में गुलाब की तीन हजार से भी ज्यादा किस्में हैं। हल्द्वानी की नर्सरी और पॉलीहाउस में लगाया जा रहा गुलाब कोलकाता, बनारस, बेंगलुरू और आंध्र प्रदेश से मंगाया जा रहा है। बाजार में सबसे ज्यादा डिमांड सिंगल स्टिक वाले रेड रोज की है। जिसके एक पौधे की कीमत डेढ़ सौ रुपये है। जबकि फूल की एक स्टिक तीस रुपये की बिकती है। अनुकूल है तराई-भाबर की जलवायु किसी भी प्रकार की जलवायु में गुलाब की खेती जा सकती है, लेकिन पॉलीहाउस में ज्यादा बेहतर परिणाम मिल रहे हैं।
तराई-भाबर की जलवायु गुलाब के लिए अच्छी साबित हो रही है। पॉलीहाउस में न्यूनतम 12 डिग्री एवं अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में 70 से 80 प्रतिशत आर्द्रता बनाए रखने से गुलाब का उत्पादन और उसकी गुणवत्ता को बेहतरीन किया जा सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान कम होने पर फूल की कलिकाएं बनना कम हो जाती हैं।
गुलाब की व्यावसायिक प्रजातियां सफेद एवालंच पीला फोनफीटी पीला, गोल्डन क्रिस्टल, गोल्ड स्ट्राइक लाल बोर्डो, फस्टरेड, ग्रेंडगाला, ताजमहल, पैसन पिंक प्वाजन  बाजार में गुलाब की मांग हमेशा बनी रहती है। इसलिए किसानों का गुलाब की खेती की ओर रुझान बढ़ा है। हल्द्वानी में नयागांव, मानपुर पश्चिम, मोटाहल्दू सहित अन्य इलाकों में गुलाब की खेती की जा रही है।