दून विश्वविद्यालय के कुलपति की बर्खास्तगी : उत्कृष्टता के केंद्र का दावा और घपले-घोटालों की निकृष्टता
इन्द्रेश मैखुरी
सवाल :
आखिर जिन नौटियाल का नाम तीसरे नंबर पर लिखा हुआ था, उनके नाम पर ही निशान लगाने की क्या मजबूरी थी ?
जो सरकार, कुलपति पद के लिए आवश्यक अर्हताओं वाला विज्ञापन जारी करती है,आखिर उसके पास,आवेदकों के दावों की सत्यता सुनिश्चित करने वाला तंत्र क्यूँ नहीं है ?
प्रश्न तो यह भी हो सकता है कि तंत्र नहीं है या अपने चहेतों के लिए किसी तंत्र की जरूरत ही महसूस नहीं की जाती ?
उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी देहरादून में स्थित दून विश्वविद्यालय के कुलपति डा.चंद्रशेखर नौटियाल को उच्च न्यायालय,नैनीताल ने कुलपति पद से बर्खास्त करने का आदेश दिया है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से यहाँ के विश्वविद्यालय और उनके कुलपति विवादों के केंद्र बनते रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद डा.नौटियाल ऐसे पहले कुलपति हैं,जिनकी बर्खास्तगी का आदेश, उच्च न्यायालय द्वारा जारी किया गया है।
विश्वविद्यालय के कुलपतियों के विवादास्पद होने का सिलसिला राज्य बनने के बाद से बदस्तूर जारी है। वर्ष 2002 में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो.बी.एस.राजपूत और उनके एक शोध छात्र पर आरोप लगा कि जर्मनी की नोबल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक रैनैटा कैलौस का शोध पत्र चोरी करके राजपूत और उनके शोध छात्र ने अपने नाम से छपवा लिया। छात्र आंदोलन के बावजूद तत्कालीन सरकार, राजपूत के खिलाफ कार्यवाही से बचती रही। दुनिया के 18 नोबल विजेताओं ने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी कि आखिर आपके देश में ऐसा व्यक्ति कुलपति कैसे रह सकता है,जो शोध पत्र चोरी का आरोपी हो। इस चिट्ठी के बाद भी राजपूत के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने के बजाय,सरकार ने उनका इस्तीफा लेकर,राजपूत को पतली गली से साफ़ बचा कर निकाल दिया ।
दो साल पहले,दिसंबर 2017 में केंद्र सरकार ने हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो.जे.एल.कौल को बर्खास्त कर दिया। कौल पर आरोप था कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त थे और उन्होंने मनमाने तरीके से प्राइवेट बी.एड. कॉलेजों में सीटें बढ़ाने की संस्तुति दी थी और अब दून विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आरूढ़ डा.चंद्रशेखर नौटियाल को 3 दिसंबर 2019 को सुनाये फैसले में उच्च न्यायालय,नैनीताल ने पद से बर्खास्त करने का आदेश दिया है।
डा. नौटियाल जनवरी 2018 में दून विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति नियुक्त हुए थे। उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में देखें तो कुलपति पद पर वे एक वर्ष भी पूरा न कर सके और बड़े बेआबरू हो कर कूँचे से रुखसत कर दिये गए। उच्च न्यायालय ने डी.ए.वी. इंटर कॉलेज,देहरादून के पूर्व शिक्षक यज्ञदत्त शर्मा की याचिका पर फैसला देते हुए,डा. नौटियाल के बारे में जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है,वह बे-आबरू करके निकाले जाने जैसा ही है।
डा. नौटियाल जनवरी 2018 में दून विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति नियुक्त हुए थे। उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में देखें तो कुलपति पद पर वे एक वर्ष भी पूरा न कर सके और बड़े बेआबरू हो कर कूँचे से रुखसत कर दिये गए। उच्च न्यायालय ने डी.ए.वी. इंटर कॉलेज,देहरादून के पूर्व शिक्षक यज्ञदत्त शर्मा की याचिका पर फैसला देते हुए,डा. नौटियाल के बारे में जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है,वह बे-आबरू करके निकाले जाने जैसा ही है।