गैरसैंण राजधानी के लिए पंचेश्वर से उत्तरकाशी तक किया जाएगा जनजागरण

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  • देहरादून में जुटे गैरसैंण राजधानी आंदोलनकारी
  • राजनीतिज्ञ पूरे पहाड़ को बेचने पर तुले: चारू तिवारी

देहरादून। गैरसैण सिर्फ एक स्थान का मामला नहीं है बल्कि यह पहाड़ की अस्मिता का सवाल है। उन्होंने कहा कि पहाड़ का विकास तभी संभव है जब राज्य की राजधानी पहाड़ में होगी। उन्होंने जनजागरण यात्रा की रूपरेखा बताते हुए कहा कि इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों, खासकर छात्रों, युवाओं और महिलाओं को जोड़ा जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि गैरसैंण राजधानी राजधानी क्यों आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञ पूरे पहाड़ को बेचने पर तुले हुए हैं।

इस बैठक में विभिन्न सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों, राज्य आंदोलनकारियों, छात्रों और आम नागरिकों ने गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए चल रहे आंदोलन को गति देने के लिए पंचेश्वर (पिथौरागढ़) से उत्तरकाशी तक एक यात्रा निकालने का फैसला किया है। यह यात्रा सितंबर माह से प्रस्तावित की गई है जो लगभग 20 दिन तक चलेगी।

अस्थायी राजधानी के बंजारावाला स्थित एक होटल में लगभग 6 घंटे तक चली इस बैठक में बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों के लोग, राज्य आंदोलनकारी, पत्रकार, लेखक और आम लोग शामिल हुए। बैठक में मुख्य रुप से यह बात सामने आई कि गैरसैंण को राजधानी बनाने का आंदोलन न सिर्फ सामाजिक बल्कि राजनीतिक स्तर पर लड़ा जाना चाहिए और इसके लिए एक राजनीतिक संगठन की आवश्यकता है। तय किया गया कि आने वाली बैठकों में इस तरह के राजनीतिक संगठन के बारे में चर्चा की जाएगी और सर्वसम्मति से इस संबंध में फैसला लिया जाएगा। इस मौके पर स्थायी राजधानी संघर्ष समिति के संयोजक चारु तिवारी ने कहा कि

पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि इस समय सरकार पर राजधानी बनाने का दबाव है और यह सही समय है जब हमें यह मांग तेजी से उठानी उठानी से उठानी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस आंदोलन से जुड़ने की वकालत की।

बैठक का संचालन करते हुए पत्रकार योगेश भट्ट ने विभिन्न वर्गों को जोड़ने की बात कही। गैरसैंण आंदोलन के लिए सक्रिय युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या लोगों की भागीदारी है। लोग कुछ दिन आते हैं लेकिन समयाभाव के कारण वापस चले जाते हैं।

प्रोफेसर एसपी सती ने युवा वर्ग और छात्रों को आंदोलन से जोड़ने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इसके लिए हर कॉलेज में एक छात्र संगठन तैयार किया जाना चाहिए, जो पहाड़ के मुद्दों पर काम करें। गजेंद्र रावत ने कहा कि पहाड़ खाली होते जा रहे हैं और पहाड़ के नेता पहाड़ों के बजाय मैदानों में चुनाव लड़ने लगे हैं।

मनमोहन लखेड़ा का कहना था कि यदि वास्तव में गैरसैंण की लड़ाई लड़नी है तो इसके लिए राजनीतिक ताकत बनना बहुत जरूरी है। बिना राजनीतिक मंच के यह लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती।

युवा आंदोलनकारी प्रदीप सती का कहना था कि आज राज्य में असमानता की स्थिति यह है कि सीएम के लिए 60 लाख की बुलेट प्रूफ कार खरीदी जा रही है जबकि चमोली जिले में महिलाएं रस्सी के सहारे नदी पार कर रही है।

महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने कहा कि हम असली मुद्दों को लोगों के बीच नहीं ले जा पाए हैं। पहाड़ का कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी हिस्से में रहता हो गैरसैंण के विरोध में नहीं है, लेकिन नेताओं ने उन्हें भड़का दिया है। पीसी थपलियाल ने कहा कि एक छोटे प्रदेश में दो राजधानी असहनीय हैं।

बैठक में जयदीप सकलानी,अखिलेश डिमरी, कर्नल देव डिमरी, शंकर सिंह भाटिया, सचिन थपलियाल, सुमन नेगी सहित अनेक लोगों ने अपने विचार रखे ने अपने विचार रखे।

इस अवसर पर इस मौक़े पर जयदीप सकलानी, प्रेम भाई, संदीप सेमवाल, डॉ डीपी डिमरी चंद्रबल्लभ फ़ोन्दनी, शिव प्रसाद सती, कपिल डोभाल, सुमन नेगी, सुशीला उमोली, लोकेश नवानी, शकुंतला मुंडेपी, मनोज चंदोला, दुर्गा दत्त जोशी, नंदन सिंह रावत, विनय केडी, अखिलेश डिमरी, गजेंद्र रावत, मदन भंडारी, सचिन थपलियाल, संदीप सेमवाल, त्रिलोचन भट्ट, गुणानंद जखमोला, मनमोहन लखेड़ा, योगेश भट्ट, शंकर सिंह भाटिया, जय सिंह रावत, दिनेश जुयाल, महेंद्र सिंह खालसा, पीसी थपलियाल, सरस्वती प्रकाश सती, विजय जुयाल, प्रेम पंचोली समेत कई लोग मौजूद थे.