वित्तमंत्री प्रकाश पंत का अमेरिका में इलाज़ के दौरान निधन

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  • प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून । उत्तराखंड के वित्तमंत्री प्रकाश पंत (58 वर्ष) का निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्होंने अमेरिका के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ा।

उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत के आकस्मिक निधन की खबर से दुखी हूं। उनकी सांगठनिक क्षमता ने भाजपा को मजबूत किया और उनकी प्रशासनिक क्षमता ने उत्तराखंड की प्रगति में अहम योगदान दिया। मेरी संवेदना उनके परिवार और उनके समर्थकों के साथ है।’

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

पीएम मोदी, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, डॉ. मुरली मनोहर जोशी समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया। सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”प्रकाश पंत का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से अपूर्णीय श्रति है। उनके निधन से हमारा तीन दशक पुराना साथ यादों में रह गया है।”  मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश के वित्त मंत्री श्री प्रकाश पंत के आकस्मिक निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शान्ति तथा शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने अपने शोक संदेश में कहा कि प्रकाश के रूप में आज उन्होंने अपना छोटा भाई खो दिया है। प्रकाश पंत केवल एक राजनेता के तौर पर नहीं बल्कि आकर्षक व्यक्तित्व के धनी प्रकाश की कमी सदैव खलेगी। सदन में सबको साथ लेकर चलने की उनकी कुशलता, वित्तीय मामलों का ज्ञान और विपक्ष के हर तीखें वार का एक मीठी मुस्कान से जवाब देना, ये सब अब उनकी यादों में रहेगा। शांत, सौम्य और सरल स्वभाव के धनी प्रकाशजी ने अपने लम्बे राजनैतिक जीवन में प्रदेश के गठन और बाद में प्रदेश को एक नई दिशा देने में बड़ी भूमिका निभायी। उनके निधन से प्रदेश एवं हमारे भाजपा संगठन ने एक बहुत बड़ा व्यक्तित्व को खो दिया।

CM त्रिवेंद्र सिंह रावत जब आखिरी शब्दों को याद कर रो पड़े

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत याद करते हुए बताते हैं कि प्रकाश पंत दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में भर्ती थेइसके बाद जब प्रकाश पंत इलाज के लिए अमेरिका जाने लगे तो वे उनसे मिलने पहुंचेरात का समय था, इस दौरान प्रकाश पंत ने उनसे कहा था कि वे अमेरिका से इलाज करवाकर जरूर वापस लौटेंगेलेकिन उनका अब उनका पार्थिव शरीर वापस आ रहा है. यह कहते कहते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की आंखे नम हो गईं।

अपने व्यवहार और ज्ञान से सबको प्रभावित करने वाले उत्तराखंड के संसदीय कार्य और वित्त मंत्री प्रकाश पंत अब हमारे बीच नहीं रहे। वह अपने पीछे पत्नी, पुत्र और दो पुत्रियों को छोड़ गए हैं। वह बीते कुछ माह से बीमार चल रहे थे। उन्हें कुछ दिन पहले ही इलाज के लिए दिल्ली से अमेरिका ले जाया गया। जहां बुधवार शाम को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके निधन की खबर से पूरे प्रदेश में शोक की लहर फैल गई। पंत के निधन पर सरकार ने गुरुवार को प्रदेश के सभी सरकारी और अर्धसरकारी कार्यालयों में अवकाश रखने के साथ ही तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान सभी कार्यालय में ध्वज आधे झुके रहेंगे। उनकी अंत्येष्टि पूरे राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी।

उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख श्री अनिल बलूनी ने उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री श्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन पर गहन शोक प्रकट किया है।अपने संदेश में श्री बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड में एक दूरदर्शी, विद्वान और अनुभवी नेता खोया है जिसकी भरपाई लंबे समय तक नहीं हो पाएगी। श्री बलूनी ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से एक अच्छा मित्र खोया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और उनके परिजनों को इस असह्य पीड़ा को सहने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

हालांकि उनके पार्थिव शरीर को आने में चार से पांच दिन लगने का अनुमान लगाया जा रहा है।संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत काफी समय से अज्ञात बीमारी से जूझ रहे थे। इसी वर्ष फरवरी में बजट सत्र के दौरान बजट भाषण प्रस्तुत करते हुए वह दो बार बेसुध हो गए थे। तब उनके बीमार होने की बात पहली बार सामने आई थी। इसके बाद देहरादून में उनका इलाज शुरू हुआ और इसमें कैंसर की बात सामने आई। उन्हें नई दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया। यह कुछ दिनों के इलाज के बाद उनके इलाज में सुधार आया और वह देहरादून आ गए। कुछ दिनों बाद तबीयत बिगडऩे पर उन्हें फिर दिल्ली ले जाया गया। बीते माह 29 मई को वह इलाज के लिए टेक्सास, अमेरिका गए। जहां से शनिवार को यह दुखद खबर पहुंची।

पंत के निधन की खबर से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने उनके निधन पर शोक जताया है। सरकार ने तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है।

प्रकाश पंत थे मृदुभाषी और मिलनसार 

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने दुःख की इस घड़ी में उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए शोक व्यक्त करते हुए परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। अपने शोक संदेश में राज्यपाल ने कहा कि स्वर्गीय प्रकाश पंत एक अत्यंत मृदुभाषी, मिलनसार और लोकप्रिय राजनेता थे। प्रकाश पंत एक बेहद सक्षम और कुशल प्रशासक थे। वे जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे और सामाजिक सरोकारों से हमेशा जुड़े रहते थे। उन्होंने उत्तराखंड की राजनीति में अपना एक विशेष स्थान बनाया था। उनके निधन से उत्तराखंड को अपूरणीय क्षति हुई है। राज्यपाल ने गुरुवार को अपनी सभी मुलाकातें और बैठकें रद्द कर दी हैं।

हमेशा उत्तराखंड के हित को रखा सर्वोपरि 

विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, प्रकाश पंत ने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री तक के सफर में हमेशा प्रदेश के हित को सर्वोपरि रखा। सदन और सदन के बाहर उत्तराखंड के हितों के लिए संघर्ष किया। अग्रवाल ने ये भी कहा कि मुझे व्यक्तिगत रूप से उनका सहयोग मिलता रहा। उनके संसदीय ज्ञान को हमेशा याद रखा जाएगा।

जीवन परिचय और राजनीतिक सफरनामा  

बहुमुखी प्रतिमा के धनी प्रकाश पंत का जन्म 11 नवंबर 1960 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुआ था। तब उनके पिता मोहन चंद्र पंत वहां एसएसबी में कार्यरत थे और बाद में एरिया ऑर्गनाइजर (एओ) पद से सेवानिवृत्त भी हुए। उनकी माता कमला पंत गृहिणी हैं। मूल रूप से गंगोलीहाट के चौढियार गांव निवासी प्रकाश पंत ने प्राथमिक शिक्षा 1968 में, 1975 में हाईस्कूल और 1977 में मिशन इंटर कालेज पिथौरागढ़ से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। बाद में पीजी कालेज पिथौरागढ़ में प्रवेश लिया। जहां पर वह सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव चुने गए। बीए करने के बाद 1980 में द्वाराहाट राजकीय पालीटेक्निक से फार्मेसी से डिप्लोमा प्राप्त किया। वर्तमान में नगर के खड़कोट में उनका आवास है।

वर्ष 1984 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। अपने व्यवहार और कार्यकुशलता के चलते वह भाजपा के जिला महामंत्री बने। तब रामजन्म भूमि आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जिसमें वह जेल भी गए थे। वर्ष 1988 में नगरपालिका चुनाव में खड़कोट वार्ड से सभासद चुने गए। प्रकाश पंत भाजयुमो के जिलाध्यक्ष सहित प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी भी रहे। प्रकाश पंत का विवाह 26 मई 1989 को नगर के ही पांडेय गांव निवासी स्व. चंद्रबल्लभ पांडेय की पुत्री चंद्रा के साथ हुआ। चंद्रा अध्यापिका हैं। उनकी तीन संतानें नमिता, शुचिता और सौरभ हैं। बड़ी पुत्री नमिता की साल भर पूर्व शादी हुई है। छोटी पुत्री और पुत्र अभी पढ़ रहे हैं।

प्रकाश पंत अपने पांच भाई बहनों में दूसरे नंबर के थे। उनके बड़े कैलाश पंत लोनिवि के अधिशासी अभियंता पद से सेवानिवृत्त्त हैं। छोटे भाई भूपेश पंत पंत फार्मेसी चलाते हैं। दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। सभी के परिवार पिथौरागढ़ नगर में ही रहते हैं।उनका राजनीतिक सफर नगर पालिका पिथौरागढ़ से पार्षद से शुरू हुआ जो आज उनके निधन के साथ ही रुका गया है। 

पन्त जी अभिभाजित उत्तर प्रदेश में विधान परिषद सदस्य रहे,उसके बाद 2000 में उत्तराखण्ड गठन होने के बाद पन्त जी प्रथम विधानसभा अध्य्क्ष बने,वे 2002, 2007 में पिथौरागढ़ से विधायक चुने गए 2007 में वे कैबिनेट मंत्री रहे, 2012 में वे पिथौरागढ़ से चुनाव हारे लेकिन जनता के बीच सक्रिय बने रहे, 2017 में पुनः पिथौरागढ़ से विधायक बने,एक बार के लिए 2017 में इनका नाम सीएम पद की रेस में भी रहा, इससे पूर्व 2009 में भी इनका नाम सीएम की दौड़ में रहा, लेकिन पार्टी गुटबाजी से दूर रहने वाले शालीन,निष्कपट नेता जी को आलाकमान ने सीएम की गद्दी न सौंपी,शायद आज भी उनके चेहरे के कायल लोग जरूर मन में एक उम्मीद बांधे बैठे थे कि जरूर पन्त मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ये उम्मीद सदा के लिए पन्त जी के साथ ही खत्म हो गयी