देहरादून। प्रचंड बहुमत के साथ उत्तराखंड में सरकार बनाने का गौरव हासिल करने वाली भाजपा के दिग्गजों में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पसोपेश के हालात बताए जाते हैं। हर दूसरा बड़ा नेता मुख्यमंत्री कौन के सवाल को टालते हुए बस आलाकमान के फैसले के इंतजार की बात कह रहा। दिग्गजों की ओर से दिए जा रहे जवाब यह बताने को काफी है कि पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करने को लेकर भारी दबाव हो सकता है।
उत्तराखंड को लेकर माना जा रहा है कि यहां का मुख्यमंत्री पीएम मोदी और भाजपा अयक्ष अमित शाह की पसंद का ही होगा। इस वक्त भाजपा के पास चार पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, डा. रमेश पोखरियाल निशंक और विजय बहुगुणा हैं। हालांकि इनमें से किसी ने भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है, मगर वरिष्ठता के नाते इनकी दावेदारी को खारिज नहीं की जा सकती। भाजपा प्रदेश अयक्ष और नेता प्रतिपक्ष की दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे अजय भट्ट भी प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, मगर वह रानीखेत से चुनाव में हार गए हैं। लिहाजा भट्ट सीएम की दौड़ से लगभग बाहर हो गए हैं।
चुनाव में जीत दर्ज करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व मंत्री व झारखंड प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मंत्री प्रकाश पंत को मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदारों में शुमार किया जा सकता है। हालांकि पूर्व मंत्री डा. हरक सिंह रावत व यशपाल आर्य भी कद्दावर नेता हैं मगर हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के कारण इन्हें इस बार मौका मिलना कठिन है। नए चेहरे के तौर पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। अनिल बलूनी गढ़वाल के ब्राह्मण हैं। युवा अनिल बलूनी 2002 में पौड़ी की कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन, उस वक्त उन्हें जीत नहीं मिल पाई थी, लेकिन बलूनी की खासियत है कि कई गुटों में बंटी उत्तराखंड भाजपा में वह किसी गुट से नहीं हैं। बलूनी भाजपा आलाकमान की गुडबुक में भी हैं। ऐसे में बीजेपी की तरफ से अनिल बलूनी के चेहरे को भी आगे किया जा सकता हैं।
इधर केंद्रीय नेतृत्व में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को लेकर पसोपेश वाली स्थिति बरकरार बताई जाती है। वहीं सोशल मीडिया पर लगातार ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के नाम तैरने लगे हैं। सोशल मीडिया में चल रही कयासबाजियों की माने तो चौबट्टाखाल से भाजपा विधायक सतपाल महाराज को केंद्र भेजा जा सकता है। इससे उनके सीएम बनने की कोशिशों को बड़ा झटका लग सकता है। वहीं संघ की पृष्ठभूमि होने के नाते कहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम लगभग फाइनल बताया जा रहा। वहीं छवि को लेकर वरिष्ठ नेता प्रकाश पंत का नाम आगे किया जा रहा है। इसके साथ ही वे सभी नाम जिनका जिक्र ऊपर किया जा चुका है, कहीं न कहीं से सीएम की रेस में बताए जा रहे हैं। एकमात्र सीएम की कुर्सी के लिए कई दावेदार जुटे होना बताया जा रहा।
हालांकि हकीकत में सूबे के मुखिया को लेकर आलाकमान का मंथन कहां तक पहुंचा है, सच्चाई कोई नहीं जानता। बहरहाल इतना तय है कि भारी बहुमत से चुनाव जीतने के बाद भाजपा मुख्यमंत्री के चयन के नाम पर प्रदेश की सत्ता यूं ही कार्यवाहक मुख्यमंत्री के भरोसे कतई नहीं चलाना चाहेगी। आलाकमान की ओर से सामने रखे गए तमाम नाम को लेकर पूर्व की राजनैतिक पृष्ठभूमि भी खंगाली जा रही है। संभावना तो यही बन रही कि जल्द ही केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रदेश के सीएम को लेकर किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।