एनएच-74 घोटाले में हुआ 170 करोड़ से ज्यादा का घोटाला

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इन तहसीलों  में तैनात अध‌िकार‌ियों पर ग‌िर सकती है गाज
बाजपुर, काशीपुर, सितारगंज और जसपुर तहसील में पाए गए
पूरे खेल में सरकारी कर्मचारियों के साथ ही दलाल व किसान भी शामिल

रुद्रपुर (उधमसिंह नगर)  :  एनएच-74 भूमि अधिग्रहण में कृषि भूमि को कॉमर्शियल दिखाकर किए गए घोटाले की दस दिन तक जांच करने के बाद कुमाऊं आयुक्त डी सेंथिल पांडियन ने बड़ा खुलासा किया है।  जांच में अभी तक  घोटाले से 170 करोड़ के राजस्व का नुकसान सामने आया  है। घोटाले में एनएच, एसएलओ और राजस्व कार्यालय  बाजपुर, काशीपुर, सितारगंज और जसपुर तहसील के साथ ही कई किसान और भूमाफिया भी शामिल हैं। पांडियन ने कहा कि दस दिन तक सैकड़ों अभिलेखों की जांच रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है। शासन के निर्देश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ी तो शासन से मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की जाएगी।

सोमवार को कुमाऊं आयुक्त पांडियन ने क्लक्ट्रेट सभागार में पत्रकारों को बताया कि एक मार्च को उन्हें एनएच-74 में घोटाले की सूचना मिली थी। इसकी सूचना शासन को भेजने पर शासन ने उनकी अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर मामले की रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट तैयार करने के लिए उन्होंने सबसे पहले डीएम चंद्रेश कुमार को सभी रिकॉर्ड सुरक्षित करने के लिए निर्देशित किया और उसके बाद विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ

बैठक कर उनकी ओर से प्रस्तुत किए गए रिकॉर्डों की जांच शुरू कर दी। इसमें पाया गया कि कहीं कृषि भूमि को राजस्व की धारा 143 (अकृषि) करने की निर्धारित प्रक्रिया पूरी नहीं की गई और जहां पर की गई वहां पर बैकडेट में रिकॉर्ड दर्ज किए गए। कई मामलों में रिकॉर्डों में हेराफेरी भी सामने आई है। इसके चलते कई अधिकारी, कर्मचारी पूरे रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा पाए।

कुमाऊं आयुक्त ने कहा कि इसके लिए डीएम को 65 कॉलम का एक प्रारूप पत्र सौंपा गया है, जिन्हें डीएम, एसएलओ, चकबंदी अधिकारी और एसडीएम को सौंपकर उनसे पूरे रिकॉर्ड का ब्यौरा जमा कर शासन को भेजेंगे। फिलहाल दस दिन की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि उक्त घोटाले से 170 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है।

इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है। शासन के निर्देश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना था कि पूरे घोटाले में बड़ा सिंडिकेट शामिल है। जरूरत पड़ी तो शासन से मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की जाएगी।

चार तहसीलों में हुई सबसे अधिक गड़बड़ी

एनएच-74 में भूमि अधिग्रहण के नाम पर हुए घोटाले में सबसे अधिक गड़बड़ी काशीपुर, बाजपुर, सितारगंज और जसपुर तहसील में पाई गई है। घोटाले की प्रारंभिक जांच में ही कुमाऊं आयुक्त डी सेंथिल पांडियन ने बैकडेट में किए गए 143 के मामलों पर अपना फोकस किया था। इसमें पाया गया कि कृषि भूमि को

अकृषि भूमि में दर्शाने के लिए 2012 के ऑर्डर को 2015 में दर्ज किया गया था। कई जमीनों की तीन से अधिक बार 143 (लैंड यूज चेंज) भी की गई और ऐसे मामले सबसे अधिक बाजपुर, काशीपुर, सितारगंज और जसपुर तहसील में पाए गए। इसमें यह बात भी सामने आई कि पूरे खेल में सरकारी कर्मचारियों के साथ ही गैर सरकारी लोग भी शामिल हैं।

कमजोर प्लानिंग होने से उजागर हुआ घोटाला
रुद्रपुर एनएच-74 भूमि अधिग्रहण घोटाले को तैयार प्लान के हिसाब से किया गया था, लेकिन घोटाले में शामिल लोगों की प्लानिंग कमजोर होने से घोटाला उजागर हो गया। कुमाऊं आयुक्त के अनुसार पूरे घोटाले में एक बड़ा सिंडिकेट शामिल है,

जिसने घोटाले की पूरी प्लानिंग की थी, लेकिन उन्हें 143 की पूरी प्रक्रिया की जानकारी नहीं होने से उनकी प्लानिंग कमजोर पड़ गई और मामला खुलता चला गया, क्योंकि करीब सभी मामलों में आरोपियों ने लैंड यूज चेंज करने के लिए धारा 143 की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया है।

रिकार्डों में की गई हेराफेरी

कुमाऊं आयुक्त डी सेंथिल पांडियन द्वारा की गई भूमि अधिग्रहण घोटाले की जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि गलत तरीके से लैंड ट्रांसफर करने के लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालय में बड़े पैमाने पर रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई है। इसमें कुछ लेखपाल, तहसीलदार भी शामिल हैं। रिकॉर्ड में की गई हेराफेरी को एक आपराधिक कृत्य मानते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं।

143 के मामलों की संख्या नहीं बता पाये आयुक्त
एनएच भूमि अधिग्रहण में किए गए घोटालों में पूरा खेल भूमि को 143 करने का है और इसी खेल से 170 करोड़ के राजस्व का नुकसान भी हुआ लेकिन आखिर इस करोड़ों के घोटाले के लिए कितनी कृषि भूमि का 143 किया गया और कौन इस गड़बड़ी में मुख्य रूप से शामिल है। इसकी जानकारी देने से आयुक्त पांडियन बचते रहे। यहां तक कि पांडियन ने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि जांच के शुरुआती दौर में जिस घोटाले को 180 करोड़ का बताया जा रहा था वह कैसे 170 करोड़ पर सिमट गया।

घोटाले में शामिल लोगों के आयुक्त ने  नहीं खोले नाम
जिले में भूमि अधिग्रहण को लेकर किए गए बड़े घोटाले में दस दिन की जांच के बाद भी कुमाऊं आयुक्त घोटाले में शामिल किसी भी शख्स का नाम नहीं खोल पाए। उन्होंने पत्रकार वार्ता में न तो किसी अधिकारी का नाम उजागर किया और न ही इसमें शामिल रहे किसी किसान या भूमाफिया का नाम ही खोला। पूछने पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा फिलहाल तथ्यात्मक रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। घोटाला बड़ा होने के कारण इसकी जांच लंबी चलनी है, जिसमें और भी हेराफेरी सामने आ सकती है।