अंतरधार्मिक विवाह पर प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी का आदेश किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं !

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समाज कल्याण अधिकारी को ऐसे किसी भी पत्र को जारी करने का अधिकार नहीं : मुख्यमंत्री 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : पूरे देश में अंतरधार्मिक विवाह को लेकर जहां बहस छिड़ी हुई है, और कुछ राज्य में यह मामला लव जिहाद से जुड़ा भी पाया गया है ऐसे समय में उत्तराखंड के अन्य जिलों को छोड़कर केवल टिहरी जिले के समाजकल्याण अधिकारी द्वारा अंतरधार्मिक विवाह पर प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी का आदेश जारी करना किसी सोची समझी साजिश से कम नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में अब यह सवाल भी उठने लगे हैं कि आखिर सूबे के अन्य जिलों के समाजकल्याण अधिकारियों ने क्यों नहीं इस तरह का आदेश जारी किया ?
वहीं मुख्यमंत्री ने मामले के संज्ञान में आते ही मुख्यसचिव को जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन इस मामले ने राज्य सरकार की जरूर फ़जीहत करवा दी है।  मामले पर मुख्यमंत्री का साफ़ कहना है कि राज्य में धर्म स्वतंत्रता कानून पहले से ही लागू है। छल प्रपंच से शादी करने के कुछ मामलों में सरकार ने कार्रवाई की है और सरकार अन्य प्रदेशों की भांति यहां भी अंतर धार्मिक कानून लाने पर विचार कर रही है। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मुख्य सचिव को टिहरी के समाज कल्याण अधिकारी की जांच करने का आदेश दिए गए हैं क्योंकि समाज कल्याण अधिकारी को ऐसे किसी भी पत्र को जारी करने का अधिकार नहीं है। 
गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकारें जहां अब लव जिहाद के बढ़ते मामलों को लेकर सख्त कानून बनाने पर जोर दे रही हैं, वहीं प्रदेश सरकार की दो साल पहले की पहल पर एक अन्य कानूनी प्रविधान भारी पड़ गया। अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह को प्रोत्साहन देने के संयुक्त उत्तरप्रदेश के जमाने से चले आ रहे प्रविधान को उत्तराखंड में लागू रखा गया है। समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत इस प्रविधान के तहत प्रोत्साहन राशि 10 हजार रुपये को पिछली कांग्रेस सरकार ने बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया था।
इस कानून के मुताबिक राज्य में जबरन, प्रलोभन, जानबूझकर विवाह या गुप्त एजेंडे के जरिये धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध है। इस मामले में अपराध साबित होने पर एक वर्ष से लेकर पांच वर्ष तक जेल की सजा का प्रावधान है। इस कानून के अनुसार धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से विवाह करने पर उस धर्म परिवर्तन को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। वहीं धर्म परिवर्तन के लिए जिला मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक महीने पहले शपथ पत्र देना होता है।
मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया कोऑर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत का कहना है कि इस योजना को साल 2014 में संशोधित कर नया शासनादेश जारी किया गया था, जिसमें अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह पर 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया गया था लेकिन अब उत्तराखंड सरकार इसमें बदलाव करने जा रही है। इस आदेश से मात्र अंतर धार्मिक विवाह के मसले को हटा दिया जाएगा बाकी यह योजना पहले जैसी ही रहेगी।