नयी दिल्ली : लोकसभा में सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष, हरिद्वार से सांसद एवम् पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को लोक सभा में पर्वतीय क्षेत्रों में हो रहे पलायन पर चिंता प्रकट करते हुए अधिक से अधिक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केन्द्रित करने की बात कही।
देश में बड़े पैमाने पर हो रहे औद्योगीकरण के लिए ऊर्जा के नए स्रोतों की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए डाॅ. निशंक ने समूची हिमालयी बेल्ट के राज्यों में पर्यावरण रक्षा हेतु गैर-पारम्परिक ऊर्जा को विकास का मुख्य आधार बताया। गुरुवार को लोक सभा में नियम के तहत चर्चा में भाग लेते हुए गैर- वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा दिए जाने की वकालत करते हुए सरकार से मांग की कि उत्तराखण्ड सहित समूची हिमालीय बेल्ट के राज्यों में पानी बिजली समेत अन्य वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों पर कार्य किया जाना चाहिए। डाॅ. निशंक ने केन्द्र सरकार से नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा में राज्यों द्वारा नए प्रोजेक्टों की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी ऊर्जा योजनाओं में सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग की।
डाॅ. निशंक ने कहा कि देश की सभी महत्वाकांक्षी योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया आदि की सफलता देश में उपलब्ध ऊर्जा पर निर्भर करती है। अगर देश की अर्थ-व्यवस्था को विश्व में हमें तेजी से बढ़ाना है तो प्र्याप्त ऊर्जा की आवश्यकता होगी। डाॅ0 निशंक ने बताया कि देश के ऊर्जा संकट से न केवल घरेलू उपभोक्ता परेशान हैं बल्कि उद्योगों के विकास पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। गंभीर ऊर्जा संकट के मद्देनजर देश के समस्त हिमालयी राज्यों में जल विद्युत परियोजनाओं के लिए सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की परियोजनाओं का विकास नितान्त आवश्यक है।
डाॅ. निशंक ने कहा कि मौसम परिवर्तन क्षेत्र की संवेदनशील पारिस्थितिकी के दृष्टिगत हाइड्रो, सोलर-विन्ड जैसी परियोजनाओं के लिए स्पष्ट राष्ट्रीय नीति के साथ-साथ राज्यों को मिनी, माइक्रो, प्रोजेक्टों हेतु स्थानीय जनता को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। इससे न केवल इन क्षेत्रों में लोगों का पलायन रूकेगा बल्कि क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन का सूत्रपात होगा। स्थानीय इन योजनाओं में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करके इनसे जहां देश का ऊर्जा संकट मिटेगा वही संवेदनशील क्षेत्र में पर्यावरण की रक्षा भी हो सकेगी। समृद्व और श्रेष्ठ भारत का सपना साकार करने के लिए परम्परागत ऊर्जा क्षेत्र मंे स्पष्ट नीतियों का सृजन आवश्यक है।
डाॅ. निशंक ने सरकार से आग्रह किया कि समूचे हिमालयी क्षेत्र में सर्वेक्षण करवाकर पंचायत स्तर पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए स्थान चिन्हित किए जाएं तथा स्थानीय लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उनकी इन परियोजनाआंे में भागीदारी सुनिश्चित की जाये ताकि हिमालीय क्षेत्र ऊर्जा के संकट से निजात पा सके।