अब भाजपा के तीसरे विधायक की दबंगई का वायरल हुआ ऑडियो !

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देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

DEHRADUN : भाजपा के लक्सर  विधायक संजय गुप्ता के मुख्यमंत्री को लेकर दिये ‘झोटा बिरयानी’ के बयान पर मचा बवाल ठीक से शांत भी नहीं हुआ था कि इसी बीच गदरपुर के विधायक और काबीना मंत्री अरविन्द पांडेय का पत्रकारों को कांग्रेस का एजेंट कहने पर मचा बबाल और अब भाजपा के हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद का एक राजस्व कर्मी लेखपाल के साथ अभद्रता करने का ऑडियो वायरल हो गया है। इन सबको देखने के बाद लगने लगा है कि भाजपा में अब विधायक और मंत्री बेलगाम हो गए हैं, जिससे भाजपा की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।  एक ज़माने में देश की सबसे ज्यादा अनुशासित और मधुर व्यवहार के लिए जाने -जाने वाली पार्टी पर लगता है कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का असर पड़ने लगा है।  

वायरल हुए इस ऑडियो में विधायक ने गैंडीखाता के लेखपाल इंद्र विक्रम सिंह रावत को मुख्यमंत्री राहत कोष से जारी चैक बिना उनकी अनुमति के वितरण करने पर जमकर अभद्रता की। उनकी अनुमति के बिना चैक तहसील से लाने पर नाराज विधायक ने लेखपाल को यह तक कह दिया कि चैक क्या तेरे बाप ने बनवाए थे? इतना ही नहीं ऑडियो में लेखपाल ने विधायक पर ”डील” करने का आरोप भी लगाया है यह आरोप कितना सही है यह तो विधायक अथवा लेखपाल ही जानते होंगे लेकिन इस वायरल ऑडियो ने दोनों की पोल खोलकर जरूर रख दी है। 

हालाँकि ऑडियो में लेखपाल बार -बार विधायक को समझता और गुहार लगाता रहा कि उससे बदतमीजी न करने का निवेदन करता रहा लेकिन विधायक नहीं माने। इतना ही नहीं ऑडियो में विधायक ने लेखपाल को देख लेने की बात तक कह दी। मामले में लेखपाल ने पूरे प्रकरण से एसडीएम को अवगत कराते हुए ऑडियो की रिकार्डिंग उन्हें उपलब्ध कराई ही थी कि इतने मेंविधायक और लेखपाल के बीच वार्तालाप का यह ऑडियो वायरल हो गया। 

वायरल हुए ऑडियो में विधायक और लेखपाल के बीच गरमागरम बहस आप भी सुनिए :-

विधायक का काम देखने वाला लड़का: लेखपाल विक्रम सिंह जी बात कर रहे हैं।
लेखपाल: जी।
विधायक का काम देखने वाला लड़का : माननीय विधायक जी बात करेंगे। स्वामी यतीश्वरानंद जी।
विधायक: हैलो!
लेखपाल:  गुरुजी प्रणाम।
विधायक: अरे प्रणाम, तेरे को फोन किया था यहां से किसी ने?
लेखपाल: मुझे, नहीं तो।
विधायक: वो जितने भी चैक आए हैं। सुना अपने आप मत दे दियो। समझे बात।   ?
लेखपाल: वो तो मैंने दे भी दिए।
विधायक: क्यूं दे दिए तूने, तू ज्यादा बड़ा नेता हो गया। तू देगा उनको ? क्यों दिये तूने ? किसके कहने पर दिए?
लेखपाल: वो तो तहसील से आए थे बंटने के लिए तो।
विधायक : हां।
लेखपाल : तहसील से आए थे।
विधायक: तेरा बाप लेकर आया वहां से, कौन लेकर आया ? कौन लेकर आया था, हमने बनवाए थे। पहले मेरी बात सुन।
लेखपाल: गुरुजी, पहले मेरी बात सुनो। मेरे साथ बदतमीजी में मत बोलना।
विधायक: बात सुनो, जो मैं कह रहा हूं वो सुन, पहले मेरी बात सुन। चैक यहां से बंटेंगे, तू सुन ले मेरी बात। बता दिया मैंने तेरे को।
लेखपाल: गुरुजी, मेरे साथ बदतमीजी से मत बोलना। अपने आप ले लो और बंटवा लो।
विधायक: तुझे फोन नहीं किया था किसी ने। आश्रम में जो लड़का रहता है, जो काम देखता है। उसने तुझे फोन नहीं किया? (अपने आफिस में पूछे कितनी बार फोन किया तैने)
लेखपाल: मुझे किसी ने फोन न करा।
विधायक: पहले मेरी पूरी बात सुन ले। तुझे आश्रम का लड़का नहीं मिला ?
लेखपाल: मुझे नहीं मिला।
विधायक: चैक आश्रम से बटेंगे।
लेखपाल: परसों आए थे, गैंडीखाता और एक गांव के दो चेक आए थे। दोनों बांट दिये मैंने।
विधायक: भई चैक वहां देकर आते हमारे आदमियों के। चैक सारे यहां से बंटेंगे। समझे बात।
लेखपाल: गुरुजी, अपने आप डील कर लो, ठीक है जी।
लेखपाल: मैं क्या कर रहा, बदतमीजी नहीं करनी मेरे साथ।
विधायक:  सुन विक्रम। अब के तूने चैक बांटे तो ठीक नहीं रहेगा। बता दिया मैंने तुझे।
लेखपाल: सुनो गुरुजी मेरे साथ बदतमीजी नहीं करनी।
विधायक : जो चैक आए दे देना। नहीं तो मैं बताऊंगा तेरे को। तेरे इलाके में आकर।
लेखपाल (बार बार एक ही बात बोलता रहा) : मेरे साथ बदतमीजी से न बोलना।