अनिवार्य सेवा निवृति पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसा कोई लाभ नहीं मिलेगा

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द्वेष भावना से कोई अधिकारी मातहत नहीं ठहरा सकेगा नकारा 

10 साल का रिकॉर्ड जांचा जायेगा अनिवार्य सेवानिवृत्ति से पहले 

ग्रेच्युटी और पेंशन का लाभ जब तक सेवा की तभी मिलेगा 

देहरादून: प्रदेश सरकार द्वारा नकारा कर्मचारियों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति खासी भारी पड़ेगी। वहीं यह भी सरकार ने साफ़ किया कि द्वेष भावना से कोई अधिकारी अपने किसी मातहत को नकारा नहीं ठहरा सकेगा। लेकिन यह भी साफ़ किया कि इस तरह की सेवानिवृति में कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसा कोई लाभ नहीं मिलेगा।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कर्मचारी को यदि 51 वर्ष की आयु में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई तो उसे इस आयु तक दी गई सेवा के अनुसार ही पेंशन व ग्रेच्युटी मिलेगी। इतनाही नहीं किसी भी कर्मचारी को नकारा ठहराने से पहले उसका 10 वर्ष का रिकॉर्ड जांचा जाएगा। मतलब साफ़ है कि द्वेष भावना से कोई अधिकारी किसी मातहत को नकारा नहीं ठहरा सकेगा। अब जल्द ही कार्मिक विभाग इसकी स्पष्ट व्याख्या जारी करेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाल ही में 50 वर्ष से अधिक आयु के नकारा कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय लिया है। इसके लिए पहले से ही बनाए गए नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है।

सरकार के निर्देश पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह द्वारा सभी विभागों को नकारा व लापरवाह कर्मचारियों को चिह्नित करने के निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं। हालांकि, कोई अधिकारी द्वेष भावना के तहत किसी कर्मचारी को नकारा न ठहरा सके, इसके लिए भी व्यवस्था दी गई है। इस व्यवस्था के अनुसार विभागाध्यक्ष को किसी भी कर्मचारी को नकारा बताने से पहले उसके दस साल का रिकॉर्ड की जांच करते हुए इसका उल्लेख अपनी रिपोर्ट में देना होगा। यदि कोई कर्मचारी बीते कुछ माह से ही काम नहीं कर रहा है तो यह भी देखा जाएगा कि आखिर ऐसा क्यों है। शासन द्वारा गठित समिति ऐसे मामलों का परीक्षण कर उस पर निर्णय लेगी।

मकसद यह कि द्वेष भावना से कोई काम न हो और कर्मचारी के हित भी सुरक्षित रहें। अनिवार्य सेवानिवृत्ति में एक बात और स्पष्ट की जा रही है कि जिस आयु में भी कर्मचारी सेवानिवृत होगा, उसे उसी वर्ष तक का ही सेवा लाभ दिया जाएगा। जबकि, स्वैच्छिक सेवानिवृति की स्थिति में कर्मचारी को कम आयु में सेवानिवृत्ति देने के बावजूद उसकी सेवाओं को पूरी सरकारी सेवाएं मानते हुए पेंशन और भत्तों का लाभ दिया जाता है।

सूत्रों की मानें तो कुछ समय पूर्व हुई सचिव समिति की बैठक में सर्विस रूल्स में अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर दी गई व्यवस्थाओं के बारे में स्पष्ट किया गया है। इसमें कर्मचारी का रिकॉर्ड जांचने से लेकर उसकी सेवाकाल की गणना आदि का जिक्र है। इससे यह तय है कि नकारा कर्मचारियों को अब इस नकारेपन का नुकसान उठाना ही पड़ेगा।