NH-74 मुआवजा घोटाला : एसडीएम और तहसीलदार की हुई गिरफ्तारी

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एसआईटी ने घोटाले के आरोपियों को मीडिया के कैमरों से बचाया !

रुद्रपुर (उधमसिंह नगर ) :  एनएच 74 मुआवजा घोटाले में शामिल तीसरे पीसीएस अफसर व एक तहसीलदार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व अन्य धाराओं के तहत एसआईटी ने देर रात गिरफ्तार कर लिया। मीडिया के कैमरों से दूर रखकर दोनों अधिकारियों को नैनीताल कोर्ट ले जाया गया।

गौरतलब है कि घोटाले में छह पीसीएस अफसर निलंबित किए गए थे। अभी अन्य लोगों की गिरफ्तारी होनी बाकी है।एनएच-74 मुआवजा घोटाले में एसआईटी ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए रुद्रपुर के निलंबित एसडीएम अनिल शुक्ला और लालकुआं के प्रभारी तहसीलदार (सितारगंज के तत्कालीन रजिस्ट्रार कानूनगो) मोहन सिंह को गिरफ्तार कर लिया। सभी को सोमवार सुबह जिला अस्पताल में मेडिकल कराने के बाद भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट नैनीताल में पेश किया गया।

एसआईटी सूत्रों के मुताबिक दोनों अफसरों पर कृषि भूमि को अकृषक दिखाकर कई गुना अधिक मुआवजा बांटने और बैकडेट में 143 करने के मामले में मिले सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। पूर्व एसडीएम अनिल शुक्ला मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद से ही सस्पेंड चल रहे हैं। जबकि सितारगंज में रजिस्ट्रार कानूनगो रहते हुए एनएच घोटाले में धांधली के आरोपी बने मोहन सिंह वर्तमान में लालकुआं में प्रभारी तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं।

एनएच मुआवजा घोटाले में पूर्व एसडीएम अनिल शुक्ला और लालकुआं के प्रभारी तहसीलदार मोहन सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया है। दोनों को रिमांड में लेने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र भी लगाया जाएगा।
-कमलेश उपाध्याय, एसपी क्राइम एवं एसआईटी प्रभारी

गिरफ्तार अफसरों पर आरोप 

अनिल शुक्ला : सूत्रों के मुताबिक पूर्व एसएलओ और रुद्रपुर के पूर्व एसडीएम अनिल शुक्ला पर बाजपुर तहसील में तैनाती के वक्त चकबंदी प्रक्रिया के दौरान वहां की कृषि भूमि 143 कर अकृषक दिखाकर कई गुना अधिक मुआवजा बांटने का आरोप है। जबकि नियमानुसार चकबंदी क्षेत्र में 143 नहीं हो सकती। पूर्व एसडीएम ऐसे 12 मामलों पर कई गुना अधिक मुआवजा देने का आरोप है।

मोहन सिंह : पूर्व रजिस्ट्रार कानूननगो और वर्तमान में लालकुआं के प्रभारी तहसीलदार मोहन सिंह पर सितारगंज में रजिस्ट्रार कानूननगो पद पर रहते हुए बैकडेट में की गई 143 की गलत जांच रिपोर्ट लगाने का आरोप है। मोहन के खिलाफ ऐसे कुल आठ मामले हैं। हालांकि पूछताछ में मोहन ने बैक डेट में किए गए 143 के प्रपत्रों पर अपने हस्ताक्षरों को फर्जी ठहराया था। मगर दून से आई एफएसएल रिपोर्ट में प्रपत्रों में उनके ही हस्ताक्षर की पुष्टि हुई थी।