रुद्रपुर : एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद आखिरकार पंतनगर सिडकुल ने भी पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ भारत मिशन के प्रति गंभीरता दिखाई है। यही कारण है कि पंतनगर सिडकुल में कॉमन एफलाइंग ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) बनकर तैयार हो गया है और वर्तमान में इससे सिडकुल के 20 उद्योग जुड़ गए हैं।
विभाग का दावा है कि 31 मार्च तक सिडकुल के 100 बड़े उद्योगों की भी सीईटीपी प्लांट से कनेक्टिविटी हो जाएगी। सीईटीपी प्लांट का निर्माण हैदराबाद की रैनकी कंपनी ने किया है। साढ़े तीन करोड़ रुपये की लागत से यह प्लांट तैयार हुआ है।
हालांकि सिडकुल की स्थापना के बाद से ही इस दिशा में कवायद शुरू हो गई थी, लेकिन इसमें कुछ न कुछ अड़चन पैदा होती रही। पिछले 12 साल से सिडकुल में उद्योगों से निकलने वाले दूषित पानी से जहां वातावरण खराब हो रहा था और उद्योगों के आसपास की कृषि भूमि पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ रहा था।
इसी को देखते हुए विभाग ने पिछले एक वर्ष के अंतराल में सीईटीपी प्लांट के कार्य को गति दी और अब प्लांट बनकर तैयार हो गया है। प्लांट से कनेक्टिविटी के लिए स्थानीय उद्योगों ने भी सिडकुल आरएम आफिस से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
सिडकुल के क्षेत्रीय प्रबंधक जीएस रावत का कहना है कि जल्द से जल्द सिडकुल के तमाम फैक्ट्रियों को प्लांट से जोड़ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्थानीय उद्यमियों का भी इसमें सहयोग मिल रहा है, उद्यमी प्लांट से अपने कारखानों को जोड़ने के लिए उत्सुक हैं।
सिडकुल के एमडी डा. आर. राजेश का कहना है कि सीईटीपी प्लांट से 20 फैक्ट्रियांजुड़ चुकी हैं और इसका दो माह पहले ट्रायल भी कर दिया गया है। 31 मार्च तक सिडकुल के 100 बड़े उद्योगों को इससे जोड़ दिया जाएगा।
सिडकुल में सीईटीपी प्लांट के निर्माण के बाद से अब जैसे-जैसे उद्योगों की कनेक्टिविटी शुरू हो रही है वैसे वैसे सिडकुल के बीच बहने वाली कल्याणी नदी में भी प्रदूषण कम हो जाएगा। अभी तक कई उद्योगों का दूषित पानी कल्याणी नदी में ही छोड़ा जाता रहा है, इससे कल्याणी नदी के आसपास की जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई।