देश में नई श्वेत क्रांन्ति की आवश्यकताः निशंक

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ए-2 प्रोटीन के कारण देसी गाय के दूध की ज्यादा महत्ता : डॉ. निशंक 

हिमालीय क्षेत्र में गायों के संरक्षण संवर्धन हेतु विशेष कार्यक्रम चलाये केंद्र सरकार 

नई दिल्ली : सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति, सांसद हरिद्वार एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड डॉ. रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने मंगलवार को  लोक सभा में प्रश्नकाल के तहत देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, प्रतिव्यक्ति दुग्ध खपत बढाने और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता का स्तर उठाने की वकालत करते हुए कृषि मंत्री ने जानना चाहा कि देश में कितने डेयरी अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थान हैं। डॉ0 निशंक ने प्रति पशु दुग्ध उत्पादन को अंतर राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के प्रयास करने का आह्वान करते हुए सरकार से पूछा कि पिछले तीन सालों में सरकार द्वारा प्रति दुधारू पशु उत्पादन बढाने के लिए क्या रणनीति अपनायी गयी है। डॉ. निशंक ने स्वदेशी गाय के पौष्टिक दूध को अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकारी परियोजनाओं के विषय मे पूछा । उन्होंने बताया कि ए-2 प्रोटीन के कारण देसी गाय के दूध की ज्यादा महत्ता है।

देश में 18 प्रमुख डेयरी राज्यों में 12 देसी गोवंश और भैसों की नस्लों को किया गया है शामिल 

गोकुल ग्रामों के लिए 140 करोड़ की राशि आवंटित 

अपने उत्तर में मंत्रालय ने बताया कि डेयरी अनुसंधान और प्रौद्योगिकी पर तीन प्रमुख संस्थान कार्य कर रहे हैं जो कि मेरठ, करनाल और हिसार में स्थित हैं। मंत्रालय ने यह भी बताया कि वर्तमान में देश में 10 डेयरी विज्ञान महाविद्यालय कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय मवेशी प्रजनन एवं डेयरी विकास के लिए आनंवंशिक उन्नयन कार्यक्रम 2014-15 से प्रारम्भ किया गया है। मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्रों की स्थापना तथा देसी नस्लों के आनुवंशिक उन्नयन हेतु रिपाजिट्र्री का कार्य किया गया है। विश्व बैंक की सहायता से देश में 18 प्रमुख डेयरी राज्यों में 12 देसी गोवंश और भैसों की नस्लों को शामिल किया गया है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत गाय की देशी नस्ल के दुग्ध तथा दुग्ध उत्पाद के विपणन को बढावा दिया गया है। इस योजना के तहत गाय की देसी नस्लों के दुग्ध के प्रसंस्करण और विपणन के लिए प्रयास किए गए हैं। इस हेतु गोकुल ग्रामों के लिए 140 करोड़ की राशि आवंटित की गयी है। देसी गायों द्वारा दुग्ध उत्पादन को बढाने हेतु राष्ट्रीय गोकुल मिशन एवं राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्रों को अधिक व्यापक बनाने हेतु मांग करते हुए डॉ0 निशंक ने हिमालीय क्षेत्र में गायों के संरक्षण संवर्धन हेतु विशेष कार्यक्रम चलाने पर बल दिया। डॉ0 निशंक ने देश में रोजगार सृजन एवं ग्रामीण आर्थिकी सुधारने हेतु नई श्वेत क्रांन्ति चलाने पर जोर दिया।