नए भारत का नया कश्मीर : न पथराव, न हिंसा, कश्मीरी बोले: छोड़ो 370 की बात, अब तैयारी करो ईद की

धारा 144 के बावजूद कई जगहों पर खुले बाजार शांतिपूर्वक संपन्न हुई नमाज-ए-जुमा। सोपोर में छिटपुट हिंसा को छोड़ कहीं कोई हिंसक प्रदर्शन नहींशांत माहौल के बीच कश्मीरी आवाम कर रहा...ईद की तैयारी

0
354

बहुत हो लिया खून खराबा अब कर लें अमन चैन और विकास की बात 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

श्रीनगर। न पथराव – न हिंसा, न आतंकी संगठनों के झंडे और न ही पाकिस्तान और आजादी समर्थकों की नारेबाजी। विभिन्न जगहों पर खुली दुकानें और नमाज पढ़ने के लिए मस्जिदों की ओर बढ़ते कदम। शरारती तत्वों और अलगाववादी समर्थकों का तो मानो नामोनिशान ही नहीं। वाकई, ये है नए हिंदुस्तान का नया कश्मीर।

घाटी में शुक्रवार को नमाज-ए-जुमा का दिन अमूमन हिंसक प्रदर्शनों की भेंट चढ़ जाता था, लेकिन सोपोर समेत कुछ जगहों पर हुई छिटपुट हिंसा को छोड़ दें तो कश्मीर में माहौल पूरी तरह शांत रहा। कश्मीरी अवाम सोमवार को ईद मनाने को लेकर पूरी तरह तैयार दिखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरुवार को राष्ट्र के नाम संबोधन का असर भी शुक्रवार को कश्मीर घाटी के सामान्य जनजीवन पर साफ नजर आया।

शुक्रवार को लगातार पांचवें दिन भी जवाहर सुरंग से लेकर उत्तरी कश्मीर के टंगडार तक प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए निषेधाज्ञा को जारी रखा था। स्कूल कॉलेज, टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएं भी बंद थी। हर चौक और बाजार में केंद्रीय अर्धसैनिक बल और पुलिस के जवान पूरी मुस्तैदी के साथ दिनभर तैनात रहे, लेकिन वह सड़क पर निकल रहे लोगों, ठेला लेकर निकल रहे फेरी वालों, दुकानदारों या वाहनों को नहीं रोक रहे थे। ऐसे में डल झील के पास ही नहीं राजबाग, जवाहर नगर, इंदिरानगर में कुछ-कुछ दुकानें खुली।

डाउन-टाउन में नौहट्टा, राजौरीकदल और नक्शबंद साहब के इलाके को अगर छोड़ दिया जाए तो अन्य हिस्सों में भीतरी गलियों में भी कुछ दुकानें खुली हुई थी। सोमवार को ईद के दिन कुर्बानी के लिए जानवरों के खरीदार भी घरों से बाहर निकले और विभिन्न बाजारों और मंडियों में पहुंचे।

डाउन-टाउन की गलियों में घूमते नजर आए डोभाल

दो दिन पहले ही दिल्ली लौटे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शुक्रवार सुबह फिर श्रीनगर पहुंचे। पत्थरबाजों और अलगाववादियों का गढ़ कहलाने वाले श्रीनगर के डाउन-टाउन के भीतरी इलाकों में डोभाल घूमते और स्थानीय लोगों के साथ विशेषकर नौजवानों से बात करते नजर आए।

डोभाल का बिना किसी तामझाम के घूमना और लोगों से बातचीत करना बता रहा था कि जिंदगी अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। इरशाद अहमद नामक एक युवक ने कहा कि मैंने आज डोभाल साहब को पहली बार देखा है। मैंने उन्हें कहा कि यह बंद और निषेधाज्ञा 70 साल से चली आ रही खानदानी सियासत की गुलामी से बेहतर है।

शुक्रवार को चिंतित सभी थे पर हालात रहे सामान्य

कश्मीर में बीती रात हालात को लेकर सुरक्षा संबंधी मामलों की बैठक में सभी शुक्रवार के लिए बहुत चिंतित थे, क्योंकि नमाज-ए-जुमा का दिन सामान्य दिनों से बहुत संवेदनशील माना जाता रहा है।

अधिकतर देश विरोधी प्रदर्शन इसी दिन होते हैं, लेकिन हैरान करने वाले डाउन-टाउन के हालात थे, जहां जामिया मस्जिद और उसके साथ सटे इलाकों में एक भी नारा नहीं गूंजा। यह बात अलग है कि जामिया मस्जिद में नमाज-ए-जुमा नहीं हुई क्योंकि स्थानीय लोग शरारती तत्वों के हंगामे की आशंका के चलते नहीं आए। उन्होंने अपने गली-मोहल्लों में स्थित मस्जिदों में नमाज अदा की।

कश्मीरी बोले, छोड़ो 370 की बात, अब करो ईद की तैयारी 

टीआरसी मैदान के बाहर फुटपाथ पर रेडीमेड कपड़ों की दुकान सजाकर बैठे मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि यहां सुरक्षा भी है और पाबंदी भी, लेकिन मुझे किसी ने नहीं रोका। उसने वहां लगे करीब एक दर्जन ठेलों की तरफ संकेत करते हुए कहा कि खरीददार भी आ रहे हैं। अब छोड़ो 370, सोमवार को ईद होगी और सभी ईद मनाना चाहते हैं।