40 साल बाद रैंस की नैणी देवी निकली इन दिनों क्षेत्र भ्रमण पर

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क्षेत्र भ्रमण को निकली ‘नैणी देवी व उमा देवी ‘के दर्शन को उमड़ रहे है सीमान्त जनपद चमोली में हजारों श्रद्धालु

छुपाई हुई भैंट को भी रहस्यमय ढंग से खुद ढुढ लेती है नैणी देवी

देव सिंह umadevi2रावत 

कोठुली/कर्णप्रयाग । जहां देवभूमि उत्तराखण्ड में इन दिनों चार धाम यात्रा शीतकाल के लिए थम सा गया है वहीं मोक्ष भूमि के लिए विख्यात सीमान्त जनपद चमोली में इन दिनों क्षेत्र भ्रमण पर अलग अलग क्षेत्रों में निकली ‘नैणी देवी व उमा माता‘ के दर्शनों के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ रहे है।

बधाण परगना में रैंस (नारायणबगड) की नैणी देवी व कर्णप्रयाग की उमा माता का इन दिनों क्षेत्र भ्रमण चल रहा है। क्षेत्रवासियों को अपना आशीर्वाद व दर्शन देने के लिए नैणी देवी व उमा माता इन दिनो क्षेत्र भ्रमण पर निकली हैं। 1नवम्बर को कर्णप्रयाग में उमा देवी के गर्भगृह से बाहर आने के अवसर पर विशाल भजन संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें उत्तराखण्ड के शीर्ष लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी अपनी पूरे सांस्कृतिक दल के साथ माॅ आदि शक्ति के श्रीचरणों में अपनी प्रस्तुति दी। इसमें क्षेत्र के हजारों श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर उमा माता के श्रीचरणों में अपना नमन किया।

वहीं दूसरी तरफ 40 साल बाद नारायणबगड विकासखण्ड में रैंस की नैणी देवी इन दिनों क्षेत्र भ्रमण पर निकली है। इस नैणी देवी को नैणी माता के रूप में पूजा जाता है। यह तांत्रिक पूजा के साथ नैणी नृत्य सहित विशाल मेला लगता है। इस पूरे आयोजन को नैणी दयोरा के नाम से जाना जाता है। रैंस की नैणी के दयोरा के आयोजन में कडाकोट पट्टी umadevi4के नो गांव सम्मलित है। इनमें रैंस, चोपता, भंगोटा, कुश, तुनेडा, लोदला, व्यथरा, सोलटा व डुडवासेरा, गांव सम्मलित है।

इस छह महिने के आयोजन का शुभारंभ 6 सितम्बर 2016 को घडुली यानी घट निकालने से हुई। यह घट विगत 40 सालों से जमीन के 15 फूट से अधिक गहराई में जमीदोज किया गया था। जिसको ढूंढना भी य ह पूजा अर्चना के बाद किया जाता है। उसके बाद 10 अक्टूबर को प्रथम ब्रंह्म बंधन का पर्व बहुत ही विराट स्तर पर मनाया जाता है। इसके बाद क्षेत्र भ्रमण पर नैणी चले जाती है।

दूसरा ब्रह्म बंधन 9 जनवरी 2017को होगा है। इसके बाद 5 से 10 मार्च 2017 को नैणी देवी बन्यात में ब्रह्मतोली में चली जायेगी। 11 मार्च को सीरा बांधना प्रारम्भ होगा। इस नैणी के दयोरा का समापन 12 मार्च 2017 को ब्रह्मा तोली में ब्रह्मढोलन का रूप में नैणी दयोरा का समापन होगा। इसके छह महिने बाद इस क्षेत्र में शोक मनाया जायेगा। कुल मिला कर नैणी देवी का दयोरा देवभूमि के रहस्यमय पूजाओं में से एक है।

इन दिनों नैणी देवी बumadevi3धाण गढी के अंतिम छोर उत्तरी कडाकोट के कोठुली क्षेत्र का भ्रमण कर रही है। गौरतलब है कि 9 बैणी (बहिने) नाग कन्या के रूप में पूरे पिण्डर घाटी में विख्यात नैणी देवी का विराट मेला अपने अपने स्थानों से छह माह के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसकी पूजा के बाद नैणी देवी अपने क्षेत्र का भ्रमण करने को जाती है।

भटियाणा, रैस, डुगरी, घनियाल, जाख सहित 9 स्थानों में नैणी देवी का वास है। इनमें से कोब की नैणी क्षेत्र भ्रमण नहीं करती है। यह नो बहिने नाग कन्याओं की देवभूमि के मोध धाम में विधिवत पूजा होती है। क्षेत्र भ्रमण करते हुए नैणी के साथ दस बारह श्रद्धालुओं का दल भी होता है।

इसमें गणवे, दो ऐरवाल, पूजारी व ओजी आदि होते है। जिसमें नैणी के साथ एक निशान भूमियाल देवता का भी क्षेत्र भ्रमण में साथ रहता है। गांव के हर घर पर नैणी देवी जाती है लोग खासकर महिलायें नैणी को अपनी ध्याण मानते हुए उसकी पूजा अर्चना करते हुए उसे अपनी भैंट समोण देती है। कई बार नैणी की शक्ति की जांच करने के लिए महिलायें नैणी के लिए भैंट समोण को कहीं पर छुपा देते हैं।

ऐसी स्थिति में नैणी उस स्थान से दूर भी चले जाने के बाद अपने संकेतों से नैणी निशान धारको को उस स्थान पर जहां समोण छुपाया होता है वहां पर पंहुच कर समौण ग्रहण करती है। इस कारण उस समोण छुपाने वाले को दण्ड के रूप में नैणी देवी से माफी मांग कर विदाई देनी पड़ती है। नैणी का क्षेत्र भ्रमण का उदेश्य एक प्रकार से क्षेत्रवासियों को आशीर्वाद के साथ अपनी ध्याणों को मिलना भी होता है।