मुख्यमंत्री से लॉकडाउन में फंसे बदरीनाथ के मौनी बाबा की गुहार

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जिला प्रशासन ने ही कुछ रसूखदार साधुओं को बदरीनाथ जाने की इजाजत दी है तो मौनी बाबा को क्यों नहीं ?

दीपक फर्स्वाण 
महज 5 वर्ष की आयु में एक छोटे से बालक को परिस्थितिवश सन्यास धारण करना पड़ा। किस्मत उसे बदरीनाथ धाम में नारायण पर्वत पर एक कुटिया में रहने वाले एक संत के पास ले आई। संत ने इस नन्हे सन्यासी को अपना शिष्य बना लिया और उसकी परवरिश की जिम्मेदारी भी अपने हाथों में ले ली। वर्ष 1990 से यह सन्यासी लगातार बारह महीने मोक्षधाम बदरीनाथ में ही रहता है।
गुरु महाराज के जलसमाधि लेने के बाद कुटिया जो अब छोटे आश्रम का आकार ले चुकी है, में ही उसका एकमात्र निवास स्थान है और साधना स्थल भी। इस सन्यासी को लोग आज मौनी महाराज (धर्मराज भारती) के रूप में जानते और पहचानते हैं। इतने वर्षों की तपस्या में अब इस सन्यासी के कुछ शिष्य भी बन चुके हैं। लिहाजा एक शिष्य की जिद्द पर बीते फरवरी माह में उन्हें बंग्लैार जाना पड़ा। वह बदरीनाथ वापसी करते उससे पहले देशव्यापी बंदी लागू हो गई। लॉकडाउन में कुछ ढील मिलने पर मौनी महाराज बीते 13 मई को ट्रेन से हरिद्वार पहुंच गए।
चमोली पहुंचने पर उन्हें पीपलकोटी स्थित एक होटल में क्वारेंटीन कर दिया गया। एक सप्ताह की क्वारेंटीन अवधि पूरी होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने बीते 20 मई को उन्हें डिस्चार्ज सर्टिफिकेट जारी कर अपनी कुटिया में यानि बदरीनाथ जाने को हरी झण्डी दे दी। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने मौनी महाराज को जोशीमठ में ही रोक लिया। कहा जा रहा है कि बदरीनाथ जाने की इजाजत किसी को नहीं है। ऐसे में वह ‘अधर’ में फंस गए हैं। मौनी महाराज की इस दास्तां में जो दुखद पहलू उभर कर आया है, वो है स्थानीय प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना व संवेदनहीन रवैया।
नारायण पर्वत पर अपने जीवन के तकरीबन तीन दशक खफा चुके मौनी महाराज को समूचा चमोली जिला पहचानता है। ऐसा भी नहीं कि पुलिस-प्रशासन के लिए वो अनजान हैं। बदरीनाथ धाम शीतकाल में जब 6 फ़ीट से ज्यादा बर्फ से ढका होता है, तब नारायण पर्वत पर कुटिया में एकांतवास में बने रहने के लिये जिला प्रशासन हर बार उन्हें अनुमति देता आया है। यानि प्रशासन को पता है कि उनका एकमात्र ठिकाना उनकी कुटिया है। फिर भी क्वारेंटीन निभाने के बावजूद मौनी महाराज को वही प्रशासन जोशीमठ में रोके हुए है।
बात जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया तक भी पहुंच चुकी है, पर मौनी महराज को अभी तक इजाजत नहीं मिली। यह स्थिति तब है जब कि जिला प्रशासन ने ही कुछ रसूखदार साधुओं को बदरीनाथ जाने की इजाजत दी है जिनके देश में कई स्थानों पर आलीशान आश्रम मौजूद हैं। हैरान-परेशान मौनी महाराज ने अब एक वीडियो जारी कर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से गुहार लगाई है।