योग महोत्सव में सौ से अधिक देशों के योगी कर रहे हैं प्रतिभाग

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परमार्थ निकेतन में लगा योगियों का जमघट
योग महोत्सव से पूर्व विश्व प्रसिद्ध योगगुरूओं को अर्पित की भावभीनी श्रद्धाजंलि
योग स्वस्थ तन और प्रफुल्लित मन के साथ विश्व को एक परिवार का मूल मंत्र है सिखाता :  स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, आयुष मंत्रालय- भारत सरकार, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड एवं गढ़वाल मण्डल विकास निगम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 29 वें वार्षिक विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में प्रतिभाग करने के लिये प्रतिभागी, योग जिज्ञासु, योग विद्यार्थी परमार्थ निकेतन में पहुंच रहे हैं।

इस विश्व विख्यात कार्यक्रम की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के 20 विभिन्न देशों के 70 से अधिक पूज्य संत एवं योगाचार्य सम्मिलित हो रहे हैं। आज दोपहर तक इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महापर्व में सम्मिलित होने के लिये सम्पूर्ण विश्व के लगभग 100 देशों के 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभाग कर रहे हैैं।

योग की कक्षायें कल प्रातः 4 बजे से रात 9:30 बजे तक सम्पन्न होंगी जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगर योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सोमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, भरत योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले 150 योगों के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त ध्यान, मुद्रा, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न होंगी। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों एवं धर्मगुरूओं द्वारा धार्मिक सवांद एवं प्रश्नोत्तरी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में किया जायेगा।


अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की पूर्व संध्या पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज की प्रेरणा से साध्वी भगवती सरस्वती जी ने योगाचार्यो एवं प्रतिभागियों के साथ मिलकर आज की पावन गंगा आरती में विश्व प्रसिद्ध योग परम्परा के दिग्गज पूज्य बी. के. एस. आंयगर जिन्होने विज्ञान और आध्यात्म का समन्वय कर योग की उत्कृष्ट विधा आंयगर को जन्म दिया, पूज्य महामण्डलेश्वर दयानन्द सरस्वती जी महाराज जिनका पावन सानिध्य एवं आशीर्वाद प्रतिवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव को मिलता रहा है एंव पूज्य स्वामी वेद भारती जी जिन्होने योग एवं ध्यान का वैज्ञानिक स्तर पर समन्वय कर योग के नये आयामों को विकसित किया, को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। पूज्य स्वामी जी ने योगियों को याद करते हुये कहा कि इन्होने ’योग को किया नहीं जिया है, उनके जीवन का हर क्षण योगमय था।’

इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की विशिष्टता यह है कि 2 मार्च को दोपहर 12:30 बजे भारत के कर्मठ एवं कर्मयोगी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी विडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से प्रतिभागियों  को सम्बोधित करेंगे।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देश और विदेश से आये पूज्य संतों, प्रतिभागियों एवं योग जिज्ञासुओं का इस योग और धर्म की नगरी ऋषिकेश में पतित पावनी माँ गंगा के तट पर एवं हिमालय की तलहटी में स्थित परमार्थ निकेतन मंे सम्पन्न अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सभी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि आप सभी इस योग महापर्व में ध्यान व योग की उच्चस्तरीय विधाओं के साथ आत्मिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के शिखर को प्राप्त कर पायेंगे। योग हमें स्वस्थ तन और प्रफुल्लित मन के साथ विश्व एक परिवार है का मूल मंत्र सिखाता है। माँ गंगा हमारे रोम-रोम में दिव्यता का संचार कराती है।’

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, जब आप माँ गंगा के तट पर आते हैं; हिमालय की गोद में आते हैं; योग की जन्मभूमि में चरण रखते हैं तब आप जो हैं वही बन जाते है न कि जो आप करते है। योग आपके लिये क्षण मात्र का अनुभव नहीं होता अपितु चारों पहर की अनुभूति हो जाता है।’

चीन से आयी डिफांग लिन झाऊ ने कहा, ’इतने सारे लोग एक ही उद्देश्य के लिये यहाँ पर एकत्रित हुये है अतः हमारे लिये यह आन्दोत्सव का क्षण है।’

ईरान से आयी शर्मिनेह ने कहा, पूर्व में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का विडियो देखकर मैं उत्साह से भरी हुयी थी। यहाँ आकर मैं अब आनन्द से विभोर हूँ।’

कनाडा की ऐन मैरी ने कहा, ऋषिकेश मेरे हृदय में बसता है; यहाँ पर दूसरी बार आकर मैं बेहद खुश हूँं।’

योगागुरू डाॅ आण्ड्रिया पेज ने कहा, यह महोत्सव आधुनिक योग का अभिकेन्द्र बिन्दु है। यह प्राचीन भारतीय आदर्शो एवं पश्चिमी विकासवादी प्रयोगों का उत्कृष्ट संगम है। मेरे द्वारा कराये गये योग अभ्यासों का सम्बन्ध योगियो के गहन निरिक्षण से है तथा उनके योग अभ्यासों के विस्तार के लिये यौगिक विधा प्रदान करना मेरा उद्देश्य है। हम यहाँ पर योग के भविष्य की रूपरेखा तैयार कर रहे है।’

अमेरिका से आयी लौरा प्लम्ब के कहा, ’ अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव धरती पर स्वर्ग का अवतरण है। यहाँ पर दुनिया के हर कोने से प्रतिभागी आकर योग परिवार में सम्मिलित होते है। हम एक दूसरे से जुड़े होते हैं; मानो हम एक ही माँ की सन्तान हैं। इसी एकत्व की भावना के साथ अपना उद्धार, औरो की सेवा एवं पारस्परिक प्रेम की प्रगाढ़ता के लिये स्वयं को ऊचां उठाने की कला सीखते हैं।’

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