मोदी सात अक्तूबर को केदारनाथ से तक गरुड़चट्टी जाएंगे !

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  • प्रधानमंत्री गरुड़चट्टी की गुफा में कर चुके हैं  ध्यान और साधना 
  • रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक के प्राचीन वैकल्पिक मार्ग का सर्वे

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में इन्वेस्टर समिट से पहले सात अक्तूबर को केदारनाथ धाम के दर्शन करने जा सकते हैं। मोदी केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक ऑल टेरिन व्हिकल (एटीवी) से भी जा सकते हैं।सूबे की सरकारी मशीनरी इसी लिहाज से वहां निर्माण कार्यों की तैयारियों में जुटी है। हालाँकि मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि पीएमओ की तरफ से अभी इस तरह के संकेत नहीं मिले हैं। सरकार ने तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं की सुविधाओं के मद्देनजर केदारनाथ में निर्माण कार्य तय किए हैं। यदि किसी वीवीआईपी का दौरा होता है तो तैयारी वक्त पर पूरी कर ली जाएगी।

केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। इसके मद्देनजर सरकारी मशीनरी का निर्माण कार्यों पर तेजी से फोकस है। खुद मुख्य सचिव उत्पल कुमार निर्माण कार्यों का जायजा लेने केदारनाथ दस से ज्यादा बार जा चुके हैं। मोदी सात अक्तूबर को इन्वेस्टर्स समिट में देहरादून आ रहे हैं। इसी दिन उनका केदारनाथ का कार्यक्रम भी बन सकता है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पिछले दिनों वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी को इस तरह के संकेत दे चुके हैं।

मोदी के प्रस्तावित दौरे के मद्देनजर, निम, लोनिवि और सिंचाई विभाग ने अपने-अपने निर्माण कार्यों में एकाएक तेजी दी है। लोनिवि ने केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक चार मीटर किलोमीटर समतल मार्ग भी लगभग तैयार कर लिया है। हालांकि उन्हें 30 सितंबर तक यह मार्ग पूरा करने का टॉस्क सौंपा गया। इस रास्ते पर एटीवी वाहन आसानी से गुजर सकता है। सक्रिय राजनीति से पहले मोदी गरुड़चट्टी में एक गुफा में कई माह तक ध्यान कर चुके हैं। इस लिहाज से माना जा रहा है कि उनका गरुड़चट्टी का कार्यक्रम भी बन सकता है। उधर, प्रशासन ने केदारनाथ धाम में मंदाकिनी की तरफ पहाड़ी पर दोनों गुफाएं तैयार कर ली हैं।

सरकार ने रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए सर्वे पूरा कर लिया है। अब इसकी जियोलॉजिकल रिपोर्ट और एलाइनमेंट तय किया जाना है। इसके बाद ही वैकल्पिक मार्ग पर अंतिम फैसला होगा। वर्ष 2013 की आपदा में रामबाड़ा बह गया था। इसके पीछे मंशा यह है कि रामबाड़ा की तरफ एक तो बर्फवारी कम होती है, वहीं यह इलाका सेंचुरी क्षेत्र से बाहर आता है। इस मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की आवाजाही के लिए विचार किया जा रहा है।