मोदी ने सांसदों की सूची राष्ट्रपति को सौंपी, सरकार बनाने का दावा पेश किया

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  • नरेन्द्र मोदी को एनडीए संसदीय बोर्ड की बैठक में संसदीय दल का नेता किया घोषित
  • बीजेपी अध्यक्ष  ने संसदीय दल के नेता के रूप में नरेंद्र मोदी के नाम का किया प्रस्ताव 
  • राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने किया  प्रस्ताव पर अनुमोदन
  • मोदी बनारस जाकर करेंगे जनता को जीत के लिए धन्यवाद 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नई दिल्ली । संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा और राजग सहयोगियों के सभी सांसदों की सूची राष्ट्रपति को सौंपी और सरकार बनाने का दावा पेश किया।  सर्वसम्मति से एनडीए का नेता चुने जाने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर  नरेंद्र मोदी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। राष्ट्रपति ने उनसे कैबिनेट के अन्य सदस्यों की भी सूची देने का अनुरोध किया। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री शपथ ग्रहण करने और एनडीए को सरकार बनाने का भी न्योता दिया। इससे पहले नरेंद्र मोदी के एनडीए का नेता चुने जाने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समर्थन पत्र सौंप दिया गया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में एनडीए के नेताओं ने राष्ट्रपति को नरेंद्र मोदी को सर्वसम्मति से  नेता चुने जाने की जानकारी देते हुए यह समर्थन पत्र सौंपा।

माना जा रहा कि इस महीने के अंत में 30 मई को वे नए मंत्रिमंडल के साथ शपथ ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन शपथ ग्रहण के पहले वे बनारस भी जा सकते हैं। चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद प्रधानमंत्री कभी चुनाव प्रचार के लिए भी बनारस नहीं जा पाए थे। शपथ लेने के पहले बनारस जाकर वे जनता को जीत के लिए धन्यवाद करेंगे।

इससे पूर्व भाजपा संसदीय दल और एनडीए के नेताओं ने 17th Lok Sabha के लिए एनडीए संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान  नरेन्द्र मोदी को संसदीय दल का नेता घोषित किया गया। इस दौरान अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा संसदीय दल के नेता नरेंद्र मोदी को प्रस्तावित किया। राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इसके बाद उन्हें एनडीए का नेता चुनने के लिए प्रकाश सिंह बादल ने नरेंद्र मोदी के नाम का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव का एनडीए के सभी दलों ने समर्थन किया।

  • इस लोकसभा चुनाव ने दिलों को जोड़ने का काम किया
  • सेवाभाव के कारण जनता ने हमें स्वीकार किया :

भारत में तो चुनाव अपने-आप में उत्सव था। मतदान भी अनेक रंगों से भरा हुआ था, लेकिन विजयोत्सव उससे भी शानदार था। प्रचंड जनादेश जिम्मेदारियों को भी बहुत बढ़ा देता है। जिम्मेदारियों को हम सहर्ष स्वीकार करने के लिए निकले हुए लोग हैं। उसके लिए नई ऊर्जा, नई उमंग के साथ हमें आगे बढ़ना है। भारत का लोकतंत्र, भारत का मतदाता, भारत का नागरिक उसका जो नीर-क्षीर विवेक है, शायद किसी मापदंड से उसे मापा नहीं जा सकता है। सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है। सत्ता-भाव न भारत का मतदाता स्वीकार करता है न पचा पाता है। इस देश की विशेषता है कि बड़े से बड़े सत्ता सामथ्र्य के सामने भी सेवाभाव को वो सिर झुकाकर स्वीकार करता है। हम चाहे भाजपा या एनडीए के प्रतिनिधि बनकर आए हों, जनता ने हमें स्वीकार किया है सेवाभाव के कारण।

  • वरिष्ठ साथियों ने दिया आशीर्वाद :

रामकृष्ण परमहंस का एक ही संदेश रहता था कि जीव में ही शिव है, ये सेवा भाव हमारे लिए और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए इससे बड़ा कोई मार्ग नहीं हो सकता। आज एनडीए के भी सभी वरिष्ठ साथियों ने आशीर्वाद दिया है। आप सबने मुङो नेता के रूप में चुना है। मैं इसे एक व्यवस्था का हिस्सा मानता हूं। मैं भी बिल्कुल आप में से एक हूं, आपके बराबर हूं। हमें कंधे से कंधा मिलाकर चलना है। एनडीए की यही तो ताकत है, विशेषता है।

  • सामाजिक एकता का आंदोलन बना यह चुनाव :

आम तौर पर चुनाव बांट देता है, दूरियां पैदा करता है, दीवार बना देता है, खाई पैदा कर देता है, लेकिन 2019 के चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है। दिलों को जोड़ने का काम किया है। 2019 का चुनाव सामाजिक एकता का आंदोलन बन गया, समता भी, ममता भी, समभाव भी, ममभाव भी। इस वातावरण ने इस चुनाव को एक नई ऊंचाई दी। भारत के लोकतांत्रिक जीवन में, चुनावी परंपरा में देश की जनता ने एक नए युग का प्रारंभ किया है। हम सब उसके साक्षी हैं। 2014 से 2019 तक देश हमारे साथ चला है, कभी-कभी हमसे दो कदम आगे चला है, इस दौरान देश ने हमारे साथ भागीदारी की है। सरकार को हमने जितना चलाया है, उससे ज्यादा सवा सौ करोड़ देशवासियों ने किया है। विश्वास की डोर जब मजबूत होती है, तो सत्ता समर्थक लहर पैदा होती है। यह लहर विश्वास की डोर से बंधी है। ये चुनाव पॉजिटिव वोट का चुनाव है। फिर से सरकार को लाना है, काम देना है, जिम्मेवारी देनी है। इस सकारात्मक सोच ने इतना बड़ा जनादेश दिया है।

  • परिश्रम की पूजा करता है हमारा देश :

हिंदुस्तान के मतदाता में जो नीर-क्षीर विवेक है, उसकी ताकत देखिए। परिश्रम की अगर पराकाष्ठा है और ईमानदारी पर रत्ती भर भी संशय न हो तो देश उसके साथ चल पड़ता है। ये देश परिश्रम की पूजा करता है, ये देश ईमान को सिर पर बैठाता है। यही इस देश की पवित्रता है। जनता ने हमें इतना बड़ा जनादेश दिया है। स्वाभाविक है कि सीना चौड़ा हो जाता है, माथा ऊंचा हो जाता है। जनप्रतिनिधि के लिए ये दायित्व होता है, उसके लिए कोई भेदरेखा नहीं हो सकती है। जो हमारे साथ थे, हम उनके लिए भी हैं और जो भविष्य में हमारे साथ चलने वाले हैं, हम उनके लिए भी हैं। जनप्रतिनिधियों से मेरा आग्रह रहेगा कि मानवीय संवेदनाओं के साथ अब हमारा कोई पराया नहीं रह सकता है। इसकी ताकत बड़ी होती है। दिलों को जीतने की कोशिश करेंगे।

  • हमारे उतने वोट  बढ़े ट्रंप को जितने वोट मिले :

2014 में भाजपा को जितने वोट मिले और 2019 में जो वोट मिले, उनमें जो वृद्धि हुई, यह वृद्धि करीब-करीब 25 प्रतिशत है। हालांकि ग्लोबल परिदृश्य में देखें तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जितने वोट मिले थे, उतना हमारा इंक्रीमेंट है। मेरे जीवन के कई पड़ाव रहे, इसलिए मैं इन चीजों को भली-भांति समझता हूं, मैंने इतने चुनाव देखे, हार-जीत सब देखे, लेकिन मैं कह सकता हूं कि मेरे जीवन में 2019 का चुनाव एक प्रकार की तीर्थयात्र थी। जो शब्दों में कहते हैं कि जनता-जनार्दन ईश्वर का रूप होती है, इसे मैंने चुनाव के दौरान अनुभव किया है।

  • कमाल कर दिया माताओं-बहनों ने :

आजाद के बाद पहली बार इतने प्रतिशत वोटिंग हुई। इस बार माताओं-बहनों ने कमाल कर दिया है। इस बार महिला सांसदों का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। आजादी के बाद संसद में इतनी महिला सांसदों के बैठने की पहली घटना होगी। भारत की आजादी के बाद संसद में सबसे ज्यादा महिला सांसद चुनकर आई हैं, ये अपने-आप में बहुत बड़ा काम हमारी मातृशक्ति के लिए हुआ है।

  • एनर्जी और सिनर्जी दोनों हैं एनडीए के पास :

देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए गठबंधन की राजनीति को हमें अपने आदर्शो और सिद्धांतों का हिस्सा बनाना ही पड़ेगा। मैं भारत का जो भावी चित्र देख रहा हूं। इन शक्तियों को जोड़ने के पीछे मेरी सीधी-सीधी समझ है। रीजनल एस्पिरेशन और नेशनल एंबिशन की दो पटरियों पर देश विकास की गति को पकड़ता है। नेशनल एंबिशन यानी एनए प्लस रीजनल एस्पिरेशन यानी आर मिलकर ‘नारा’ बनता है और इसी को लेकर हमें आगे बढ़ना है। एनडीए के पास दो महत्वपूर्ण चीजें हैं। एक है एनर्जी और दूसरा है सिनर्जी। ये एनर्जी और सिनर्जी एक ऐसा केमिकल है, जिसको लेकर हम सशक्त और सामथ्र्यवान हुए हैं।

  • बचना चाहिए छपास और दिखास से  :

छपास और दिखास से बचना चाहिए। इससे अगर बचकर चलते हैं तो बहुत कुछ बचा सकते हैं। हमारा मोह हमें संकट में डालता है। इसलिए हमारे नए और पुराने साथी इन चीजों से बचें क्योंकि अब देश माफ नहीं करेगा। हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारियां हैं। हमें इन्हें निभाना हैं। वाणी से, बर्ताव से, आचार से, विचार से हमें अपने आपको बदलना होगा। हम याद रखें कि लाखों कार्यकर्ताओं की वजह से हमें ये अवसर मिला है। इसलिए हमारे भीतर का कार्यकर्ता जिंदा रहना चाहिए। थोड़ा सा भी अहंकार अपने आसपास के लोगों को दूर कर देता है। अहंकार को जितना हम दूर कर सकते हैं, करना चाहिए।

  • टीवी और अखबार के पन्नों से नहीं बनते मंत्री :

हमें कोई वर्ग-विशेष, जाति, मोदी नहीं जिताता है। हमें सिर्फ और सिर्फ इस देश की जनता जिताती है। हम जो कुछ भी हैं, मोदी के कारण नहीं, जनता-जनार्दन के कारण हैं। हमें जनादेश मिला है, हमें उस जन का सम्मान करना हैऔर उसके आदेश का पालन करना है। इस देश में बहुत ऐसे नरेंद्र मोदी पैदा हो गए हैं, जिन्होंने मंत्रिमंडल बना दिया है। जो भी जीतकर आए हैं, सब मेरे हैं। दायित्व कुछ ही लोगों को दे सकते हैं। सरकार और कोई बनाने वाला नहीं है, जिसकी जिम्मेदारी है वही बनाने वाले हैं। अखबार के पन्नों से न मंत्री बनते हैं और न मंत्रिपरिषद जाते हैं।

  •  गरीबों ने बनाई है ये सरकार :

वीआइपी कल्चर से देश को नफरत है, एयरपोर्ट पर चेकिंग होती है तो हमें बुरा नहीं लगना चाहिए। लालबत्ती को हटाने में कोई पैसा नहीं लगा, लेकिन इसे हटाने से देश में अच्छा मैसेज गया। महात्मा गांधी का सरल रास्ता है कि आप कोई भी निर्णय करें और आप उलझन में हों तो पल भर में आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को याद कर सोचें कि आप जो कर रहे हैं, वह उसका भला करेगा या नहीं। 2014 में मैंने कहा था, मेरी सरकार इस देश के दलित, पीड़ित, शोषित, आदिवासी को समर्पित है। मैं आज फिर से कहना चाहता हूं कि पांच साल तक उस मूलभूत बात से अपने आपको ओझल नहीं होने दिया। 2014 से 2019 सरकार हमने प्रमुख रूप से गरीबों के लिए चलाई है। और आज मैं ये गर्व से कह सकता हूं कि ये सरकार गरीबों ने बनाई। गरीबों के साथ जो छल चल रहा था, उस छल में हमने छेद किया है और सीधे गरीब के पास पहुंचे हैं। देश पर इस गरीबी को जो टैग लगा है, उससे देश को मुक्त करना है। गरीबों के हक के लिए हमें जीना-जूझना है, अपना जीवन खपाना है। संविधान को साक्षी मानकर हम संकल्प लें कि देश के सभी वर्गो को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

  • बहुत कुछ करने के लिए आए हैं हम :

हम सबको मिलकर के 21वीं सदी में हंिदूुस्तान को ऊंचाइयों पर ले जाना है। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास ये हमारा मंत्र है। स्वच्छता अगर जन आंदोलन बन सकता है तो समृद्ध भारत भी जनआंदोलन बन सकता है। हम कुछ करने के लिए नहीं, बहुत कुछ करने के लिए आए हैं। 21वीं सदी भारत की सदी बने, ये हम लोगों का दायित्व है। जिस समाज में एस्पिरेशन नहीं होता है, वो समाज कुछ भी नहीं कर सकता है। विश्व एक ऐसे त्रिकोण पर खड़ा है, जहां विश्व को भारत से बहुत सारी अपेक्षाएं हैं। आप सबने मुङो दायित्व दिया है, लेकिन ये कोई कांट्रैक्ट नहीं है, ये हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है। चोट ङोलने की जिम्मेवारी मेरी है, सफलता का हक आपका है, भारत का संविधान हमारे लिए सवरेपरि है।

 

  • 17 राज्यों में 50 प्रतिशत और नौ इकाइयों में 40-50 फीसद मिले वोट : अमित शाह 

इससे पहले अमित शाह ने पीएम मोदी के भाजपा और संसदीय दल और एनडीए के नेता चुने जाने की घोषणा की और एनडीए के सभी नेताओं को धन्यवाद कहा। अमित शाह ने सभा के संबोधित करते हुए कहा कि 17 राज्यों में 50 प्रतिशत और नौ इकाइयों में 40-50 फीसद वोट प्राप्त हुए हैं। देश के हर कोने से जनता ने मोदी को और भाजपा को जनादेश दिया है। पिछले चुनाव में देश की जनता ने एक प्रयोग किया था जिसे मैं नरेंद्र मोदी एक्सपेरीमेंट कहता हूं। आज मैं देश की जानता के सामने मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जनता ने जो प्रयोग किया था वह सफल रहा है। इस प्रयोग के बाद देश की जनता ने फिर मोदी जी को और एनडीए को प्रचंड जनादेश दिया है।

  • जनता को भरोसा कि कोई नेता तो है जो दुश्मन को उसी की भाषा में दे सकता है जवाब

उन्होंने कहा कि भारत की गरीब जनता इस देश में अपनी जगह ढूंढ रही थी, जिसे मोदी जी ने पूरा किया है। मोदी जी ने 22 करोड़ गरीब परिवारों के जीवन स्तर को उठाया है। देश की जनता में एक टीस थी कि इस देश की सरकारें जनता की सुरक्षा के लिए और राष्ट्र की रक्षा के लिए गंभीर नहीं हैं। जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो जनता को भरोसा हुआ कि कोई नेता है जो दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब दे सकता है। जब पुलवामा में दुखद हमला हुआ। पाक प्रायोजित आतंकियों ने 40 जवानों को मौत के घाट उतार दिया। और देश के सुरक्षा बलों ने उसका करारा बदला लिया तो देश की सुरक्षा को लेकर आश्वासन का भाव पैदा हुआ।

  • परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति ने देश को कर रही थी खोखला 

शाह ने कहा कि परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति ने देश को खोखला कर रही थी, लेकिन इस बार का जनादेश देश को इन बुराइयों से निजात दिला दी है। देश की जनता ने नेता को चुना है। लोगों ने मोदी के समर्थन में वोट दिया है। उनकी सुनामी के आगे सब विपक्षी ध्वस्त हो गया। 20 साल से मोदी जी ने एक छुट्टी नहीं ली है। एक भी दिन मैंने उनके जीवन में आलस नहीं देखा है।

  • लंबा राजनीतिक जीवन बिताने के बावजूद मोदी के दामन पर एक भी दाग नहीं

शाह ने यह भी कहा कि इतना लंबा राजनीतिक जीवन बिताने के बावजूद उनके दामन पर एक भी दाग नहीं है। इस तरह से देश की जनता ने एक पारदर्शी नेता को चुनने का काम किया है। देश की इच्छा है कि दुनिया में भारत को महाशक्ति बनकर उभरना चाहिए और मुझे भरोसा है कि मोदी के नेतृत्व में देश को उचित सम्मान जरूर मिलेगा।

एनडीए की इस बैठक में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल, शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे, बिहार सीएम नीतीश कुमार, एलजेपी के रामविलास पासवान समेत कई वरिष्ठ नेता समेत नवनिर्वाचित सांसद मौजूद रहे ।

संसदीय दल का नेता चुने जाने बाद अब शनिवार सायं पीएम मोदी राष्ट्रपति को सांसदों की सूची सौंपकर 17वीं लोकसभा के लिए नई सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक वे एक बार फिर नए मंत्रिमंडल के साथ प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।

वैसे तो संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेता चुना जाना औपचारिकता मात्र है। लेकिन इस दौरान वे पार्टी के सभी नवनिर्वाचित सांसदों से पहली बार रुबरू होंगे। प्रधानमंत्री मोदी दूसरी बार लोकसभा के सांसद चुने गए हैं। 2014 में पहली बार सांसद के रूप में संसद भवन में प्रवेश के पहले झुककर उसकी सीढि़यों को प्रणाम किया था।

मोदी का कहना था कि वे संसद को लोकतंत्र का मंदिर मानते हैं। यही नहीं, भाजपा को पहली बार लोकसभा में पूर्ण बहुमत दिलाने के लिए लालकृष्ण आडवाणी के आभार प्रकट किये जाने पर बोलते हुए मोदी भावुक भी हो गए थे। मोदी 17वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित पार्टी के सांसदों को संबोधित करेंगे। इस बार वे सांसद के रूप में अपने पांच साल के अनुभव को भी साझा करेंगे और खासकर नए सांसदों को गरिमापूर्ण तरीके से सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने की हिदायत देंगे।