आत्मनिर्भरता में रक्षा उपकरणों का आधुनिकीकरण

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रक्षा उपकरणों का निर्माण रक्षा मंत्रालय की ओर से की गई घोषणा समय की आवश्यकता

कमल किशोर डुकलान
आत्मनिर्भरता की दिशा में सेनाओं के लिए हथियार और रक्षा उपकरणों का निर्माण रक्षा मंत्रालय की ओर से की गई घोषणा समय की आवश्यकता है।…
आयुध निर्माणी के मामले में रक्षा हथियारों को आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत सरकार के रक्षामंत्रालय की ओर से की गई यह घोषणा समय की आवश्यकता है, हथियार और रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगाकर उन्हें देश में ही तैयार किया जाना।भारत सरकार का सही दिशा में उठाया गया कदम स्वागत योग्य है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की पहल की जा रही है तब यह आवश्यक हो जाता कि भारत अपनी जरूरत की रक्षा सामग्री का उत्पादन भारत में खुद करे। ध्यान रखने योग्य है,कि वर्तमान युग में किसी देश की महत्ता का आकलन इससे भी होता है कि वह अपनी जरूरत की रक्षा सामग्री का निर्माण स्वयं करता है या नहीं?
रक्षा हथियार और उपकरणों का निर्माण अब देश में ही किया जाएगा। रक्षा सम्बन्धी हर चीज का आयात करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगने के साथ ही अगले छह-सात साल में हथियार और रक्षा उपकरण बनाने वाले स्वदेशी उद्योग को करीब चार लाख करोड़ रुपये के कार्य मिलेंगे। इससे स्वदेशी उद्योग को मजबूती मिलेगी और भारत को रक्षा सामग्री के आयात में बहुत कम विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ेगी, लेकिन ऐसा तभी होगा जब स्वदेशी उद्योगों की ओर से तैयार रक्षा सामग्री गुणवत्ता के मानकों पर अब्बल मिलेगी। बेहतर होगा कि यह हर स्तर पर सुनिश्चित किया जाए कि तीनों सेनाओं की जरूरत पूरी करने के लिए देश में तैयार होने वाले हथियारों और उपकरणों की गुणवत्ता से किसी तरह का कोई समझौता न होने पाए। रक्षा मंत्रालय द्वारा इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि आर्डिनेंस फैक्ट्रियों की ओर से तैयार रक्षा सामग्री को लेकर गुणवत्ता संबंधी पूर्व में भी अनेकों प्रश्न उठते रहे हैं।
सेनाओं को केवल आधुनिक रक्षा सामग्री से लैस करने के साथ ही जरूरी नहीं होता कि उनकी मांग समय रहते पूरी हो। चूंकि इस मामले में अतीत के अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं इसलिए जरूरी सबक समय रहते सीखे जाने चाहिए। इसी क्रम में उन कारणों का निवारण भी प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए जिनके चलते हमारी आर्डिनेंस फैक्ट्रियों का वक्त के हिसाब से आधुनिकीकरण नहीं हो पाया।
यह भी अच्छा नहीं हुआ कि निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देकर देश में ही रक्षा सामग्री के उत्पादन को प्राथमिकता नहीं दी जा सकी। अब जब ऐसा किया जा रहा है तब इस पर भी ध्यान देना होगा कि आत्मनिर्भर भारत में तैयार आयुध सामग्री ऐसी हो जिसकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी हो। यह हैरानी की बात है कि राजनाथ सिंह की ओर से की गई एक महत्वपूर्ण घोषणा कांग्रेसी नेता चिदंबरम को महज शब्दजाल नजर आई। उनकी आलोचना का औचित्य समझना कठिन है।