महिलाओं की तस्करी के मामले में उत्तराखंड की स्थिति देश में सबसे खराब

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पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, उत्तरकाशी के कई इलाके मानव तस्करी से प्रभावित

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून  : हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड मानव तस्करी जैसे संगीन अपराध के मामले में पहले पायदान पर पहुँच गया है। खासकर महिलाओं की तस्करी के मामले में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की 2018 की ताजा रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। वर्ष 2017 के मुकाबले 2018 में महिलाओं की तस्करी के मुकदमों और पीड़िताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। आंकड़ाें के मुताबिक 2018 में मानव तस्करी के 29 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें 58 पीड़िताएं हैं। जबकि 2017 में 20 मुकदमों में 34 पीड़िताएं थीं। 

रिपोर्ट में उत्तराखंड के बाद मानव तस्करी में मेघालय का दूसरा स्थान है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, उत्तरकाशी के कई इलाके मानव तस्करी से प्रभावित बताए गए हैं। 

मानव तस्करी के खिलाफ मुखर इंपॉवरिंग पीपुल सोसाइटी का कहना है कि उत्तराखंड में शादी के नाम पर होने वाली मानव तस्करी को सबसे आसान माना जाता है। मानव तस्कर खुद सामने आने के बजाय दलाल के माध्यम से सौदेबाजी करते हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार सौदा हो जाने के बाद लड़की को परिजनों के साथ प्रदेश से बाहर बुलवा लेते हैं, जिस कारण इन मामलों का खुलासा नहीं हो पाता है। ऐसे में मानव तस्करी को आंकड़ाें में बांधा नहीं जा सकता। 58 महिलाओं में से 40 महिलाएं ऐसी रहीं, जिन्हें यौन व्यापार के लिए बनाया गया था। छह मुकदमे वधू-तस्करी के दर्ज किए गए हैं।